उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

दूध उत्पादन में यूपी बादशाहत बरकरार, देश के कुल उत्पादन में 16 फीसदी उत्तर प्रदेश का योगदान - UTTAR PRADESH MILK PRODUCTION

उत्तर प्रदेश में दूध का उत्पादन बढ़ाने के लिए कई योजनाएं चल रही हैं और पशुपालकों को प्रोत्साहित किया जा रहा है.

Photo Credit- ETV Bharat
दूध का उत्पादन बढ़ाने के लिए कई योजनाएं चला रही योगी सरकार (Photo Credit- ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 8, 2024, 3:00 PM IST

लखनऊ:उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार प्रदेश में दूध के उत्पादन को बढ़ाने के लिए लगातार अनेक योजनाएं चला रही है. पशुपालकों को प्रोत्साहित कर रही है. यही वजह है कि दूध के उत्पादन में यूपी ने देश के सभी राज्यों को पीछे छोड़ रखा है. बेसिक एनिमल हसबेंडरी स्टैटिक्स 2023-24 के आंकड़ों के अनुसार देश में दूध का कुल उत्पादन 239.30 मिलियन टन है.

इसमें उत्तर प्रदेश का योगदान करीब 16 फीसदी है. ये देश में सबसे ज्यादा है. उत्तर प्रदेश के बाद राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र और पंजाब का नंबर आता है. इस तरह दूध के उत्पादन में यूपी की बादशाहत देश भर में बरकरार है.

राज्य सरकार के प्रवक्ता के मुताबिक उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार प्रदेश से लेकर जिला स्तर तक पशुपालकों को प्रोत्साहन देने के लिए नंद बाबा और गोकुल पुरस्कार से सम्मानित करती है. पिछले दिनों नस्ल सुधार के जरिए उत्पादन बढ़ाने के लिए ऑस्ट्रेलिया सरकार ने प्रदेश सरकार से सहयोग की इच्छा जताई थी. सरकार नस्ल सुधारने के लिए सेक्स शॉर्टेज तकनीक (इसमें सिर्फ बछिया होने की संभावना 90 फीसदी से अधिक होती है) का प्रयोग कर रही है.

गोरखपुर में खुलने वाले राजकीय पशु चिकित्सा महाविद्यालय भी नस्ल सुधार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. दूध का उत्पादन और प्रति व्यक्ति प्रति ग्राम दूध की उपलब्धता बढ़ने से लोगों की सेहत सुधरेगी. यह लगातार बढ़ भी रही है. 2021 में प्रति व्यक्ति प्रति ग्राम दूध की उपलब्धता 321 ग्राम थी. 2024 में यह बढ़कर 471 ग्राम हो गई. दूध के उत्पादन की सालाना वृद्धि दर 3.78% है. इसमें उत्तर प्रदेश का योगदान भी सबसे ज्यादा है.

मुख्यमंत्री ने दिये हैं ये निर्देश:डेयरी सेक्टर में सहकारिता से चमत्कार संभव है. दुनिया का सबसे मजबूत ब्रांड अमूल इसकी मिसाल है, इसलिए सरकार का खासा फोकस है. हाल ही में मुख्यमंत्री के समक्ष प्रादेशिक कॉआपरेटिव डेयरी फेडरेशन (पीसीडीएफ) का प्रेजेंटेशन हुआ था. इसमें उन्होंने निर्देश दिये गये थे कि दुग्ध संघों में हर स्तर पर जवाबदेही तय करते हुए काम के टारगेट तय किये जाएं.

दुग्ध संग्रह क्षमता बढ़ाते हुए दूध की गुणवत्ता परीक्षण के कार्यों को बेहतर करने करें. समिति से जुड़े कर्मियों का उचित प्रशिक्षण कराया जाए. उन्हें दूध की गुणवत्ता जांचने वाले जरूरी उपकरण उपलब्ध कराये जाएं और समितियां एक दूसरे से प्रतिस्पर्धा करें. पशुपालकों से संवाद बढ़ाएं. सरकार के इन कदमों से डेयरी संघों की दुग्ध उत्पादकता में वृद्धि होगी और किसानों की आय भी बढ़ेगी.

छोटे और भूमिहीन किसानों को होता है सबसे ज्यादा फायदा:उत्तर प्रदेश में अधिकांश पशुपालक कम जोत वाले या भूमिहीन किसान हैं. पाले जाने वाले दुधारू पशु इनके लिए एटीएम सरीखे हैं. पशुपालन में हुए किसी भी अच्छे कार्य का बेहतर असर इन पर ही पड़ेगा. यह तबका योगी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है. अपनी पहली कैबिनेट में ही लघु और सीमांत किसानों का एक लाख रुपये तक का ऋण माफ कर वह इसे साबित भी कर चुके हैं.

पशुपालन को प्रोत्साहन भी उसकी एक कड़ी है. योगी सरकार पशुपालकों के अधिकतम हित में दूध के साथ गोबर, गोमूत्र आदि को भी आर्थिक रूप से उपयोगी बना रही है. मुख्यमंत्री का साफ निर्देश है कि गोबर से कम्प्रेस्ड बायो गैस (सीबीजी) प्लाण्ट स्थापित किये जाएं. इसके लिए प्रदेश सरकार भूमि उपलब्ध कराएगी.

महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का प्रभावी जरिया है डेयरी सेक्टर: डेयरी सेक्टर महिलाओं को सशक्त बनाने का प्रभावी जरिया है. सेक्टर में काम करने वाली महिलाओं की संख्या भी सर्वाधिक है. ऐसे में इस सेक्टर से महिलाओं को अधिक से अधिक संख्या में जोड़ने की जरूरत है. कुछ जगहों पर महिलाओं का समूह इस सेक्टर में बेहतरीन काम भी कर रहा है.

ये भी पढ़ें-महाकुंभ 2025: 13 में से कौन है पहला अखाड़ा, जानिए क्या है दावा और मान्यता?

ABOUT THE AUTHOR

...view details