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बनारसी लौकी और सेम की ये किस्में स्वाद-पोषण से हैं भरपूर; मौसमी बदलाव सहने की क्षमता, किसानों को होगा बंपर फायदा - Banaras vegetables dedicated India - BANARAS VEGETABLES DEDICATED INDIA

पीएम मोदी ने सब्जी अनुसंधान के सब्जी की प्रजातियों के बीज को देश के किसानों को समर्पित किया है. इनमें दो सब्जियां वाराणसी के सब्जी अनुसंधान केंद्र की हैं. इन सब्जियों के देश को समर्पित होने के बाद सब्जी अनुसंधान केंद्र में भी खुशी का माहौल है.

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पीएम मोदी ने बनारस की दो सब्जियां देश को की समर्पित (photo credit- Etv Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 14, 2024, 7:10 AM IST

Updated : Aug 14, 2024, 11:56 AM IST

वाराणसी :भारतीय सब्जी अनुसंधान केंद्र की लौकी और सेम की प्रजाति अब देशभर में नए नाम से बिकेगी. पीएम मोदी ने सब्जी अनुसंधान की दो सब्जी की प्रजातियों के बीज को देश के किसानों को समर्पित किया है. इसकी बुवाई अब किसान कर सकते हैं. बता दें, कि यह दोनों प्रजाति जलवायु परिवर्तन के खतरे को सहकर किसानों के लिए फायदेमंद साबित होगी.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते रविवार को दिल्ली में 61 फसलों की 109 नई एवं उन्नत किस्म को देश के किसानों को समर्पित किया था, जिनमें से दो सब्जियों की प्रजाति वाराणसी के सब्जी अनुसंधान केंद्र की है. इन सब्जियों में लौकी और सेम की प्रजातियां हैं. इनके नाम काशी शुभ्रा और बौनी सेम- 207 है. इन सब्जियों के देश को समर्पित होने के बाद सब्जी अनुसंधान केंद्र में भी खुशी का माहौल है. अनुसंधान केंद्र के कार्यकारी निदेशक डॉ नागेंद्र राय ने इस पर अपना हर्ष जताया है.

यह है बौनी सेम- 207 की प्रजाति. (Photo Credit; ETV Bharat)



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236 क्विंटल होगी सेम की उपज:डॉ नागेंद्र राय ने कहा, कि काशी बौनी सेम 207 और काशी शुभ्रा को पीएम मोदी ने देश को समर्पित किया है. यह दोनों प्रजाति रोग रोधी क्षमता युक्त है. इससे किसानों को अच्छी ऊपज और फसल के अच्छे मूल्य का लाभ मिल सकता है. आगे वह बताते हैं, कि काशी बौनी सेम 207 एक उन्नत किस्म की सेम है. इसकी बढ़वार झाड़ी नुमा होती है. इसके पौधे की ऊंचाई 60 से 70 सेंटीमीटर होती है. इसकी बुवाई अक्टूबर के पहले सप्ताह से नवंबर के दूसरे सप्ताह के बीच की जा सकती है. उसकी पहले तुड़ाई बुवाई की 90 से 95 दिन में होती है. इसकी 10 से 12 सेंटीमीटर लंबी फलियां होती हैं. पांच बार तुड़ाई में इसकी ऊपर 236 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है. उन्होंने बताया, कि 36 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान में भी यह अच्छा ऊपज किसानों को दे सकती है.

यह है खास काशी शुभ्रा प्रजाति की लौकी. (Photo Credit; ETV Bharat)



ये है शुभ्रा लौकी की खासियत: शुभ्रा लौकी के बारे में बताते हुए डॉ नागेंद्र राय कहते हैं, कि इसे खरीफ, जायद और ऑफ सीजन में भी उगाया जा सकता है. इसकी पहले तुड़ाई बीज बोने के 55 दिन बाद शुरू होती है. पहले हल्के हरे 28 से 30 सेंटीमीटर लंबे इसके फल होते हैं. जिसका वजन 800 ग्राम होता है. इसकी खास बात यह है, कि इसकी पैकेजिंग कर लंबी दूरी में भी इसे बेचा जा सकता है, यह खराब नहीं होगी. इस कमरे के तापमान में 6 दिनों तक भंडारण भी किया जा सकता है. वहीं, ये दोनों सब्जियां लोगों के लिए भी स्वाद-पोषण से भरपूर हैं.

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Last Updated : Aug 14, 2024, 11:56 AM IST

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