रायपुर:यूटराइन या गर्भाशय का कैंसर उस कैंसर को कहा जाता है, जो कि बच्चेदानी में होता है. गर्भाशय का कैंसर दो प्रकार का होता है, पहला एंडोमेट्रियल कैंसर और दूसरा सार्कोमा कैंसर कहलाता है. गर्भाशय का कैंसर कितना खतरनाक हो सकता है? किस उम्र की महिलाओं में यह देखने को मिलता है? इस दौरान कौन-कौन से लक्षण दिखाई पड़ते हैं? गर्भाशय का कैंसर होने पर इसके बचाव और इलाज कैसे किए जाए? इस बारे में अधिक जानकारी के लिए ईटीवी भारत ने स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर साबरी सक्सेना से बातचीत की.
जानिए क्या कहती हैं स्त्री रोग विशेषज्ञ: स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सावेरी सक्सेना ने कहा, "गर्भाशय का कैंसर दो प्रकार का होता है, जिसमें पहला एंडोमेट्रियल कैंसर और दूसरा सार्कोमा कैंसर कहलाता है. गर्भाशय का कैंसर महिलाओं में 40 से 50 वर्ष के आसपास होता है. गर्भाशय के कैंसर में प्रमुख लक्षणों में माहवारी के दिनों में खून का ज्यादा आना या ज्यादा दिनों तक ब्लीडिंग होना या कम दिनों में अधिक ब्लीडिंग होना है. इस तरह के लक्षणों के अलावा महिलाओं में मेनोपॉज होने के बाद भी थोड़ा बहुत भी ब्लड आता है, तो इसको नजर अंदाज नहीं करना चाहिए. मेनोपॉज होने के बाद एक या दो बूंद खून भी आता है तो ऐसे में डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए. कई बार यही एक मात्र लक्षण गर्भाशय के कैंसर का होता है. पीरियड्स आने के पहले ब्लीडिंग होना, रिलेशन बनाने के बाद ब्लीडिंग आना ये भी लक्षण है. गर्भाशय का कैंसर अगर बढ़ता है तो पेट के निचले हिस्से में महिलाओं को दर्द होता है. पेशाब या शौच के समय दर्द होता है. वजन का जरूरत से ज्यादा कम होना, भूख कम लगना जैसी समस्या गर्भाशय का कैंसर बढ़ने के बाद इस तरह के लक्षण दिखाई पड़ता है."