लखनऊ : उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम अब अपनी यूरो 6 बसों के लिए प्राइवेट फर्मों से यूरिया खरीदने का प्लान बना रहा है. यूपीएसआरटीसी ने हाल ही में सर्वे कराया कि क्या अपने यूरिया के प्लांट लगाए जा सकते हैं, लेकिन इसकी सर्वे रिपोर्ट निगेटिव आई है. अब इसके बाद पीपीपी मोड पर प्राइवेट फर्मों से यूरिया खरीदने की तैयारी हो रही है. BS6 बसों में डीजल के साथ ईंधन के रूप में यूरिया का उपयोग किया जाता है. परिवहन निगम यूरिया सप्लाई के लिए प्राइवेट फर्म को पार्टिसिपेट करने के लिए टेंडर इनवाइट करेगा.
बता दें, उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के बेड़े में अब डीजल से संचालित होने वाली यूरो 4 और यूरो 6 बसें ही शामिल हो रही हैं. पहले रोडवेज में बड़ी संख्या में यूरो 4 बसें जोड़ी गईं अब यूरो 6 बसों की खरीद हो रही है. इन बसों में ईंधन के रूप में डीजल के साथ ही यूरिया भी पड़ती है. इससे बसों का एवरेज अच्छा आता है. यूपीएसआरटीसी से जुड़े अधिकारी बताते हैं कि साधारण बसें जो डीजल से चलती हैं उनका एवरेज तीन से चार किलोमीटर प्रति लीटर रहता है. वहीं डीजल के साथ यूरिया पड़ने पर यह औसत कम से कम छह किलोमीटर प्रति लीटर हो जाता है. बसों का इंजन भी दुरुस्त रहता है. डीजल टैंक के साथ ही बसों में यूरिया का टैंक अलग होता है. इसमें ईंधन के रूप में यूरिया फिल की जाती है.
परिवहन निगम के पास अपने यूरिया के प्लांट नहीं हैं. लिहाजा सेंट्रल गवर्नमेंट के पीएसयू के साथ ही टाटा और अशोक लीलैंड की तरफ से यूपीएसआरटीसी को यूरिया सप्लाई की जाती है. यूरिया की खपत को ध्यान में रखते हुए ही परिवहन निगम ने प्लान बनाया था कि क्या प्रदेश में दो ऐसे यूरिया प्लांट स्थापित किए जा सकते हैं जिससे यूरिया पर खर्च हो रहे पैसों की कुछ बचत की जा सके. इसके लिए परिवहन निगम की टीम ने यूरिया प्लांट का सर्वे किया, लेकिन नतीजा सकारात्मक नहीं आया. इसके बाद अपने यूरिया प्लांट लगाने की योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया. अब प्राइवेट फर्म को आमंत्रित किया जा रहा है.
100 लीटर डीजल में फिल होती है पांच से छह लीटर यूरिया :उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के अधिकारी बताते हैं कि किसी बस में अगर 100 लीटर डीजल फिल किया जाता है तो पांच से छह लीटर तक यूरिया भी फिल की जाती है. यूरिया पड़ने से बसों का एवरेज बढ़ जाता है. इसलिए यूरो 6 बसों में डेफ का इस्तेमाल किया जा रहा है.