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सीतापुर में एक साथ जलीं 11 लाशें, बच्चे के शव को दफनाया, रोते-बिलखते लोग बोले- गांव को पहली बार श्मशान बनते देखा - Sitapur 11 dead body cremated

जिले के जटहा और गुरेनी में रविवार को श्मशान घाट जैसा नजारा दिखा. एक साथ 11 लाशें जली तो लोगों का दिल रो पड़ा. शाहजहांपुर में हुए हादसे के इन गांवों के कई परिवार ने अपनों को खो दिया है.

अपनों को खो चुके परिवारों में नही जल रहे चूल्हे.
अपनों को खो चुके परिवारों में नही जल रहे चूल्हे. (PHOTO Credit; Etv Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : May 27, 2024, 8:39 AM IST

Updated : May 27, 2024, 9:37 AM IST

सीतापुर :'हम जिंदा बैठे हैं लेकिन हमारे अपने हमें अकेला छोड़ गए. मां पूर्णागिरी से सभी मुराद मांगने जा रहे थे. नहीं पता था मौत हमारे अपनों को हमसे दूर कर देगी. गांव की जिन गलियों से तमाम अरमान लिए वे दर्शन को निकले थे, उन्हीं रास्तों से अब उनकी शव यात्राएं निकल रहीं हैं. गांव की जिस जगह पर लोग अपना दुख-दर्द बांटते थे, उसी जगह पर अब उनकी चिताएं सज रहीं हैं. गांव के जिन लोगों ने उन पर फूल बरसा कर उन्हें हंसते-मुस्कुराते विदा किया था, वही अब उनकी अर्थियां सजा रहे हैं'.

ये अलफाज रोते-बिलखते उन परिवार के के हैं जिन्होंने हादसे में अपनों को खो दिया. जिला मुख्यालय से लगभग 30 किमी की दूरी पर सिधौली इलाका पड़ता है. यहां गांव जटहा पड़ता है. यहां के कई लोग शनिवार की रात प्राइवेट बस से मां पूर्णागिरि के दर्शन के लिए जा रहे थे. इस दौरान शाहजहांपुर के खुटार इलाके में गिट्ची से भरा एक ट्रक बस पर पलट गया. हादसे में 12 लोगों की मौत हो गई. जबकि 9 लोग घायल हो गए. करने वाले में महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे. इनमें से मीना (30) पत्नी रामदास, सुधांशु (6) पुत्र रामदास, रामगोपाल (48), उसकी पुत्री रोहिणी (20), शिव शंकर (48) पुत्र सतनू, छोटकी (45), अजीत (12) और प्रमोद (38) और सोनवती (45) पत्नी केदारी जटहा के रहने वाले थे. बाकी के 3 दूसरे गांव के थे.

गांव में हर तरफ चीख-पुकार मची है. (PHOTO Credit; Etv Bharat)

रविवार को इनके शव गांव पहुंचे तो हर कोई रो पड़ा. गांव के लोग उस मनहूस घड़ी को कोसने लगे जब वे यात्रा पर निकले थे. कोई बुजुर्ग अपना सिर पीट रहा था तो कोई रो-रोकर अचेत हो जा रहा था. हमेशा शांत रहने वाली गांव की गलियों में उस वक्त और भी चीख-पुकार मच गई, जब जब एक साथ सभी शव पहुंचे. इनमें से कोई अपना पोता तलाश रहा था तो कोई अपना सुहाग. लोग लाख सांत्वना दे रहे थे लेकिन अपनों को खो चुकी आंखों में आंसुओं का सैलाब था. दर्द और गम का ये मंजर देखकर दिलासा देने वालों का भी सब्र जवाब दे गया. वह भी फकक-फकक कर रो पड़े.

जटहा के रामदास अपनी मां जगरानी से यह कहकर दर्शन के लिए निकला था कि मां पूर्णागिरी से उसकी लंबी उम्र की कामना करेंगे, लेकिन क्या पता था कि वह अपनी जिंदगी ही खोने जा रहा है. रोती बिलखती जगरानी बार-बार यही कह रहीं हैं कि रामदास घायल है. मासूम इकलौते पौत्र सुधांशु व उसकी मां मीना हमें तड़पता हुआ छोड़ गईं. पौत्री एकता रिश्तेदारी में गई थी, अन्यथा वह भी अपनी मां व पिता के साथ जरूर जाती, भगवान ने उसे बचा लिया. हादसे के शिकार अन्य परिवारों का रुदन देखकर गांव में जुटे सैकड़ों लोगों को दिल रोने को मजबूर हो गया.

दिलासा देने वालों की भी आंखें नम हो गईं. (PHOTO Credit; Etv Bharat)

सभी की अर्थियां एक साथ उठी. गांव के बाहर एक साथ 7 चिताएं तैयार की गईं जबकि रामदास के पुत्र सुधांशु को दफनाया गया. रामगोपाल व उसकी पुत्री रोहिणी के शव एक ही चिता पर जलाए गए. इसी तरह गुरेनी गांव में भी 3 चिताएं सजीं. हादसे के बाद दोनों गांवों के अधिकतर घरों में चूल्हे नहीं जलाए गए. कुछ लोगों ने अपने घरों पर खाना बनवाकर पीड़ित परिजनों के यहां भिजवाया. जिलाधिकारी के निर्देश पर तहसील प्रशासन ने पूड़ी व सब्जी के पैकेट गांव में वितरित कराने के लिए भेजा, लेकिन ग्रामीणों ने इसे लेने से मना कर दिया.

ग्रामीणों को दिलासा देने के लिए तहसील के अधिकारी, पुलिस फोर्स, राजनीतिक हस्तियों के अलावा समाजसेवी, आम लोग भी गांव पहुंचे थे. देर शाम सभी शवों का अंतिम संस्कार भी कर दिया गया. गांव का रूपेश प्रत्येक वर्ष मां पूर्णागिरि दर्शन के लिए बस बुक कराकर लोगों को ले जाता था. इस वर्ष भी रूपेश ने बस बुक कराई थी. बताते हैं कि सिधौली में बस खड़ी थी. वहां से गांव के लोग धार्मिक यात्रा पर निकले थे. इसके बाद शाहजहांपुर में हादसा हो गया.

अंतिम विदाई देने के लिए आसपास के लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी. (PHOTO Credit; Etv Bharat)

जटहा निवासी सर्वेश ने बताया कि ढाबे पर बस रुकी और उसमें सवार लोग खाना खाने के लिए ढाबे पर चले गए. गर्मी अधिक होने के कारण कुछ लोग बस के किनारे बैठ गए. सर्वेश ढाबे से बाहर आकर बस में चढ़ ही रहा था कि गिट्टी लदा ट्रक बस पर पलट गया. इस पर तेजी से भागा. इस प्रयास में उसके हाथ में हल्की सी चोट आई. बस के अंदर दबे लोग चीख रहे थे और बचाने की गुहार लगा रहे थे. सर्वेश के मुताबिक जो लोग बच गए उन्होंने मौत को बेहद करीब से देखा. बस में महिलाओं और बच्चों को मिलाकर कुल 93 लोग सवार थे.

एक साथ सभी शव पहुंचने पर गांव में चीख-पुकार मच गई. (PHOTO Credit; Etv Bharat)

हादसे में 11 लोगों की पहले ही मौत हो गई थी. बाद में घायल लल्लू (60) उर्फ बिंद्रा ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया. इससे मरने वालों की संख्या 12 हो गई. हादसे में जटहा के नौ जबकि मछरेहटा थाना क्षेत्र के गुरेनी गांव की सुमन देवी (36) पत्नी गंगाराम व उसका पुत्र आदित्य (8) की मौत हो गई. लल्लू पड़ोसी गांव का रहने वाला था. मोहनलालगंज से सांसद कौशल किशोर, विधायक मनीष रावत, पूर्व मंत्री व सपा प्रत्याशी आरके चौधरी, पूर्व विधायक डॉ. हरगोविंद भार्गव व भाजपा जिलाध्यक्ष राजेश शुक्ला ने गांव पहुंचकर परिजनों को सांत्वना दी.

दर्दनाक सड़क हादसे में तमाम लोग घायल हैं. इनमें जटहा निवासी वीरेंद्र, सोनावती, अवंतिका, सुशील, अमित, अजय, रामदास, शिवरानी, रितिक, कैलाश, हिमांशू, बालकिशन, बिट्टू, आदित्य, विजय कुमार, रामू, विजय, महरानी व विकास गंभीर रूप से घायल हो गए. अस्पताल व मेडिकल कॉलेज में इलाज चल रहा है.

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Last Updated : May 27, 2024, 9:37 AM IST

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