फर्रुखाबादःयूपी में बिजली के निजीकरण का विरोध हर जिले में चल रहा है. इसी कड़ी में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के आह्रान पर बिजली कर्मियों ने बीते दिनों काली पट्टी बांधकर काम किया है. कर्मी रोज शाम को एक घंटा धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं. कर्मचारियों का कहना है कि अगर बिजली का प्रदेश में निजीकरण हुआ तो दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के करीब 76 हजार कर्मचारी बेरोजगार हो जाएंगे. इनमें संविदा और नियमित कर्मचारी शामिल हैं.
यूपी में बिजली का निजीकरण: प्राइवेट कंपनियों की भर्ती के विरोध में उतरे कर्मचारी, बोले- 76 हजार कर्मी हो जाएंगे बेरोजगार - UP ELECTRICITY PRIVATIZATION
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने काली पट्टी बांधकर जताया विरोध.
By ETV Bharat Uttar Pradesh Team
Published : Jan 18, 2025, 11:48 AM IST
भर्ती का विरोध जतायाः बिजली के निजीकरण के लिए ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट की नियुक्ति शुरू हुई है. इसका कर्मचारी विरोध कर रहे हैं. विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के आह्वान पर एसडीओ, जेई व अन्य कर्मचारी निजीकरण का विरोध कर रहे हैं. बीते दिन विद्युत कर्मचारी संयुक्त समिति के बैनर तले प्रदर्शन किया गया. शाम को एक घंटा भोलेपुर स्थित विद्युत वितरण मंडल कार्यालय परिसर में धरना प्रदर्शन विरोध जताया. इसके साथ ही कर्मचारियों ने काली पट्टी बांधकर कामकाज किया.
आंदोलन जारी रखने का ऐलानःकर्मचारियों ने निजीकरण का फैसला वापस होने तक आंदोलन जारी रखने की चेतावनी दी है. विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति का निजीकरण के विरोध में आंदोलन बढ़ता जा रहा है. गुरुवार को प्रदर्शन के साथ काली पट्टी बांधकर निजीकरण का विरोध किया गया था.
नौकरी खत्म होने के साथ बेरोजगारी बढ़ेगीःअभियंता संघ शाखा के सचिव रविंद्र पांडेय ने बताया कि कर्मचारियों को कहना है कि निजीकरण के बाद कर्मचारियों की नौकरी समाप्त हो जाएगी. इससे बेरोजगारी बढ़ने के साथ ही कई पद खत्म हो जाएंगे. इसके अलावा किसानों को मुफ्त में बिजली की सुविधा मिल रही है जो निजीकरण के बाद समाप्त हो सकती है. वहीं, गरीब उपभोक्ता मुफ्त कनेक्शन का लाभ उठा रहे हैं. निजीकरण के बाद बिजली महंगी होगी. इसके चलते महंगी बिजली चलाना संभव नहीं होगा.
करीब 76 हजार कर्मचारियों की छंटनी की आशंकाः उन्होंने बताया कि उपभोक्ता के साथ निजीकरण का सबसे अधिक खामियाजा बिजली कर्मचारियों को उठाना पड़ेगा. पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम तथा दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम का निजीकरण होने से करीब 50 हजार संविदा कर्मियों और 26000 नियमित कर्मचारियों की छंटनी होगी. कॉमन कैडर अभियंताओं और जूनियर इंजीनियरों की बड़े पैमाने पर पदवनति और छंटनी में शामिल किया जाएगा. कर्मचारियों ने यह भी स्पष्ट किया कि जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं होती तब तक विरोध प्रदर्शन का कार्य साथ-साथ आंदोलन जारी रहेगा.
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