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यूपी में 9 सीटों पर उपचुनाव संपन्न; 49.3 फीसदी मतदाताओं ने की वोटिंग, चुनाव आयोग ने 5 पुलिसकर्मियों को किया सस्पेंड

UP BY ELECTION 2024; उत्तर प्रदेश की 9 विधानसभा सीटों पर मतदान संपन्न हो गया है. इस दौरान कई जगह विवाद की स्थित दिखी.

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उत्तर प्रदेश में उपचुनाव संपन्न. (Etv Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 3 hours ago

Updated : 15 minutes ago

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में 9 विधानसभा सीटों के उपचुनाव के दौरान गहमागहमी और विवाद के वोटिंग खत्म हो गई है. मीरापुर, कुन्दरकी, गाजियाबाद, खैर (सुरक्षित), करहल, सीसामऊ, फूलपुर, कटेहरी और मझवां विधानसभा क्षेत्रों के उपचुनाव के लिए बुधवार को मतदान सुबह 7 बजे से शाम 5 बजे तक चला. जिसमें कुल 49.3% मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. वहीं, शिकायत मिलने के बाद चुनाव आयोग ने सख्त कार्रवाई करते हुए मतदाताओं को बूथ पर जाने से रोकने के आरोप में 5 पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया है.

चुनाव आयोग ने कानपुर की सीसामऊ में तैनात 2, मुरादाबाद के कुंदरकी में पोलिंग बूथ पर तैनात 1 और मुजफ्फरनगर के मीरापुर विधानसभा क्षेत्र के पूलिंग बूथ पर 2 पुलिसकर्मियों को सस्पेंड किया है. आरोप है कि इन पुलिसकर्मियों ने मतदाताओं के वोटर आईडी चेक किए और मतदान केंद्रों पर जाने से रोका. वहीं, 3 बजे तक यूपी की 9 सीटों पर 41.92 फीसदी वोटिंग हुई है.

49.3 फीसदी मतदाताओं ने किया मतदान. (ETV Bharat Gfx)

पुलिसकर्मी नहीं करेंगे मतदाताओं की आईडी चेक:उत्तर प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिणवा ने स्पष्ट किया कि मतदान प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित की जाएगी. उन्होंने कहा कि सभी मतदाताओं की आईडी चेक की जाएगी. आईडी चेकिंग केवल मतदान कर्मी करेंगे, पुलिसकर्मी नहीं. पुलिस सिर्फ सुरक्षा व्यवस्था में तैनात रहेगी. निर्वाचन अधिकारी ने सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए हैं कि मतदाताओं को किसी भी प्रकार की बाधा का सामना न करना पड़े. चुनाव आयोग और पुलिस प्रशासन लगातार हालात पर नजर बनाए हुए हैं. उपचुनाव के ये नतीजे उत्तर प्रदेश की राजनीतिक स्थिति पर बड़ा असर डाल सकते हैं.

मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिणवा (Video Credit; ETV Bharat)
सुरक्षा और पर्यवेक्षण में सख्तीमुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिणवा ने बताया कि निर्वाचन प्रक्रिया को स्वतंत्र और निष्पक्ष बनाए रखने के लिए 50% से अधिक मतदान केंद्रों पर वेबकास्टिंग की व्यवस्था की गई थी. इसका पर्यवेक्षण जिला निर्वाचन अधिकारी, मुख्य निर्वाचन अधिकारी और भारत निर्वाचन आयोग द्वारा त्रिस्तरीय स्तर पर किया गया. आयोग ने 9 सामान्य प्रेक्षक, 5 पुलिस प्रेक्षक और 9 व्यय प्रेक्षक नियुक्त किए थे. इसके अलावा 350 सेक्टर मजिस्ट्रेट, 56 जोनल मजिस्ट्रेट, 60 स्थैतिक मजिस्ट्रेट और 745 माइक्रो ऑब्जर्वर तैनात किए गए.
3 बजे तक मतदान प्रतिशत. (ETV Bharat Gfx)
ईवीएम और वीवीपैट की पुख्ता व्यवस्था मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि 3718 मतदान केंद्रों पर पर्याप्त ईवीएम और वीवीपैट की व्यवस्था की गई. शिकायत मिलने पर संबंधित ईवीएम और वीवीपैट को तत्काल बदलने की प्रक्रिया अपनाई गई. चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों की शिकायतों की त्वरित जांच कर समाधान किया गया. शांतिपूर्ण मतदान संपन्न होने के बाद अब मतगणना की तैयारियां जोर-शोर से की जा रही हैं.

अंबेडकरनगर में सपा सांसद का हंगामा:वहीं, अंबेडकरनगर में समाजवादी पार्टी के सांसद लालजी वर्मा और पुलिस के बीच तीखी बहस हो गई. पुलिसकर्मियों से नाराज सांसद ने अपशब्द कहे और प्रशासन पर मतदाताओं को परेशान करने का आरोप लगाया. इसी तरह सोनभद्र की मझवां सीट से सपा प्रत्याशी ज्योति बिंद ने चुनाव आयोग से शिकायत की है. उन्होंने आरोप लगाया कि मतदाताओं को डराया-धमकाया जा रहा है और उनकी मतदान पर्चियां फाड़ दी गईं. वहीं, भाजपा प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने सपा पर निशाना साधते हुए कहा कि बुर्के की आड़ में फर्जी मतदान कराने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने कहा, समाजवादी पार्टी चाहती है कि चुनाव में गड़बड़ी हो.

यूपी उपचुनाव में दिखा लोकतंत्र का भयावह चेहरा, कोमा में चुनाव आयोग :आम आदमी पार्टी सांसद व यूपी प्रभारी संजय सिंह ने योगी सरकार और चुनाव आयोग को जमकर घेरते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश के विधानसभा के "उपचुनाव में दिखा लोकतंत्र का भयावह चेहरा, चुनाव आयोग कोमा में. संजय सिंह ने कहा कि मीरापुर विधानसभा उपचुनाव में ककरौली थाना के एसएचओ राजीव शर्मा द्वारा वोटरों को रिवाल्वर दिखाकर धमकी देने की घटना या प्रदेश की सभी नौ सीटों पर जिस तरह की घटनाएं सामने आई है. यह न केवल लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की अवहेलना है, बल्कि पूरी तरह से संविधान और चुनाव प्रक्रिया के खिलाफ है. उन्होंने कहा कि बीजेपी पिस्टल के दम पर चुनाव जीतना चाह रही हैं, जो की बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है.

यूपी उपचुनाव में सत्ता और पुलिस का दुरुपयोगः संजय सिंह ने कहा कि ऐसी घटना लोकतंत्र के लिए खतरनाक उदाहरण पेश करती है, जहां सत्ता और पुलिस का दुरुपयोग चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करने के लिए किया जा रहा है. जब चुनावी अधिकारियों और पुलिस प्रशासन की भूमिका निष्पक्ष होनी चाहिए, तब ऐसी धमकियों से साफ जाहिर होता है कि प्रशासन का एक हिस्सा एक विशेष राजनीतिक दल के पक्ष में काम कर रहा है. यह लोकतंत्र के लिए एक भयावह स्थिति है.

दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होः उन्होंने कहा कि, जो चुनाव आयोग स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार है, इस मामले में पूरी तरह से मौन है. चुनाव आयोग की नाकारात्मक भूमिका और निष्क्रियता यह दर्शाती है कि चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर गहरा सवाल उठता है. इस प्रकार के कृत्य ना केवल लोकतंत्र की हत्या करते हैं, बल्कि जनता के विश्वास को भी तोड़ते हैं. आम आदमी पार्टी, जो हमेशा से चुनावी प्रक्रिया में निष्पक्षता और पारदर्शिता की पक्षधर रही है, इस घटना की कड़ी निंदा करती है और चुनाव आयोग से तत्काल हस्तक्षेप की मांग करती है. साथ ही, इस मामले में दोषी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए ताकि लोकतंत्र की मूल भावना और जनता के अधिकारों की रक्षा की जा सके.

इन सीटों पर हो रहा चुनावःमुज्जफरनगर की मीरापुर, मुरादाबाद की कुंदरकी, गाजियाबाद शहर विधानसभा, अलीगढ़ की खैर (सुरक्षित), मैनपुरी की करहल, कानपुर की सीसामऊ, प्रयागराज की फूलपुर, अंबेडकर नगर की कटेहरी और मिर्जापुर की मझवां सीट पर वोटिंग हो रही है.

यूपी में क्यों हो रहे उपचुनाव:बता दें कि लोकसभा चुनाव 2024 में यूपी के 9 विधायक सांसद निर्वाचित हो गए थे. इसके बाद इन्होंने अपनी विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था. जबकि, कानपुर की सीसामऊ सीट से सपा के विधायक रहे इरफान सोलंकी को गैंगस्टर मामले में सजा हो गई है. इसके चलते उनकी विधायकी चली गई और ये सीट खाली हो गई. जबकि अयोध्या की मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव होने थे लेकिन, कोर्ट में मामला होने के कारण उपचुनाव की घोषणा नहीं की थी. यह उपचुनाव पश्चिम से पूरब तक फैली 9 सीटों पर हो रहा है, जिनमें भाजपा, सपा और रालोद का वर्चस्व रहा है. भाजपा के खाते में गाजियाबाद, खैर और फूलपुर सीटें हैं, जबकि सपा के पास करहल, सीसामऊ और कुंदरकी जैसी सीटें. विपक्ष इन चुनावों को अपनी बढ़त बनाए रखने के अवसर के रूप में देख रहा है, जबकि भाजपा इसे सत्ता में अपनी पकड़ को मजबूत करने का मौका मान रही है.

90 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला आजःउत्तर प्रदेश की 9 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए कुल 149 नामांकन हुए थे. जिनकी जांच के बाद 95 उम्मीदवार योग्य पाए गए थे. 30 अक्टूबर, नाम वापसी की अंतिम तारीख थी, जिसमें पांच प्रत्याशियों ने अपना नाम वापस ले लिया था. अब इन सीटों पर 90 उम्मीदवारों के लिए वोटिंग हो रही है.

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