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यूपी में कहां है भूतों का मंदिर , क्या है मान्यता और दावा जानिए? - BHUTESHWAR LAL SHIVA TEMPLE

महाभारत कालीन मंदिर होने का दावा, आज तक कोई भी ईंट खराब नहीं हुई.

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हापुड़ के इस शिव मंदिर का निर्माण भूतों ने एक रात में ही किया था (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 24, 2025, 10:51 AM IST

हापुड़ : जनपद हापुड़ के थाना सिंभावली क्षेत्र के ग्राम दत्तियाना में भोलेनाथ का मंदिर है जिसे भूतों के मंदिर के नाम से जाना जाता है. लोगों का ऐसा मानना है कि इस शिव मंदिर का निर्माण भूतों ने एक रात में ही किया था. इस मंदिर में श्रद्धालु आसपास के राज्यों सहित विदेश से भी दर्शन करने आते हैं.

ऐसा माना जाता है की इस भूतों के लाल मंदिर का निर्माण भूतों ने एक रात में ही किया था. मंदिर को महाभारत कालीन मंदिर कहा जाता है. मंदिर की विशेषता है कि इस मंदिर के निर्माण में किसी भी प्रकार की मिट्टी, चूना या सीमेंट का प्रयोग नहीं किया गया है.

मंदिर के पुजारी राकेश गिरी (Video Credit; ETV Bharat)


ग्रामीणों का कहना है कि ऐसी मान्यता है कि भूतों ने भगवान शिव के इस मंदिर को एक रात में ही तैयार किया था और जब सुबह हो गई तो भूत अदृश्य हो गए और इस मंदिर की चोटी का निर्माण नहीं कर पाए. जब सुबह ग्रामीणों ने यह मंदिर देखा तो ग्रामीण भौचक्के रह गए. मंदिर के अंदर भगवान शिव की तस्वीर है. भगवान शिव की आकृति में सर्प पेट पर है इसके साथ ही मंदिर के बीच में शिवलिंग स्थित है शिवलिंग पर भी आकृति बनी हुई है और इसके साथ ही शिवलिंग के पास दीवार पर शिव के गढ़ों की आकृतियां बनीं हुई हैं.


ग्रामीणों का ऐसा भी मानना है कि इस मंदिर के कारण गांव के आसपास कभी भी आपदा नहीं आती. इस मंदिर को प्राचीन भूतेश्वर लाल शिव मंदिर कहा जाता है. वैसे यह मंदिर भूतों के मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है. मंदिर के पुजारी राकेश गिरी 14वी पीढ़ी हैं, जो इस मंदिर की सेवा कर रहे हैं. राकेश गिरी ने बताया कि हमारी 14वीं पीढ़ी है हम इस मंदिर की सेवा कर रहे हैं.


सुबह के समय जब सूरज की किरणें निकलती हैं, तो मंदिर में स्थित शिवलिंग पर सीधे पड़ती हैं सूरज की किरणों से शिवलिंग का अभिषेक होता है. पुजारी का यह भी कहना है कि इस मंदिर को भूतों ने एक रात में तैयार किया था. सुबह जब चक्की चलाने की आवाज आई तो भूत अदृश्य हो गए. इस मंदिर में लाल रंग की ईंटें लगी हैं. महाभारत कालीन मंदिर होने के बावजूद भी आज तक कोई भी ईंट अभी तक खराब नहीं हुई.


मंदिर पर सर्दी, गर्मी और बरसात का कोई असर नहीं होता. इस मंदिर की मान्यता के कारण आसपास के राज्यों और विदेशों तक से श्रद्धालु यहां पर आते हैं. पुजारी ने यह भी बताया कि जो भी श्रद्धालु यहां पर सच्चे मन से अपनी मनोकामना लेकर आते हैं, भगवान शिव उनकी मनोकामना जरुर पूरी करते हैं.

(नोट: यह खबर धार्मिक और पौराणिक मान्यताओं पर आधारित है)

यह भी पढ़ें : यूपी में फिर सक्रिय हो रहा पश्चिमी विक्षोभ; 3 दिन गरज-चमक के साथ होगी बारिश, ओले गिरने की भी संभावना

हापुड़ : जनपद हापुड़ के थाना सिंभावली क्षेत्र के ग्राम दत्तियाना में भोलेनाथ का मंदिर है जिसे भूतों के मंदिर के नाम से जाना जाता है. लोगों का ऐसा मानना है कि इस शिव मंदिर का निर्माण भूतों ने एक रात में ही किया था. इस मंदिर में श्रद्धालु आसपास के राज्यों सहित विदेश से भी दर्शन करने आते हैं.

ऐसा माना जाता है की इस भूतों के लाल मंदिर का निर्माण भूतों ने एक रात में ही किया था. मंदिर को महाभारत कालीन मंदिर कहा जाता है. मंदिर की विशेषता है कि इस मंदिर के निर्माण में किसी भी प्रकार की मिट्टी, चूना या सीमेंट का प्रयोग नहीं किया गया है.

मंदिर के पुजारी राकेश गिरी (Video Credit; ETV Bharat)


ग्रामीणों का कहना है कि ऐसी मान्यता है कि भूतों ने भगवान शिव के इस मंदिर को एक रात में ही तैयार किया था और जब सुबह हो गई तो भूत अदृश्य हो गए और इस मंदिर की चोटी का निर्माण नहीं कर पाए. जब सुबह ग्रामीणों ने यह मंदिर देखा तो ग्रामीण भौचक्के रह गए. मंदिर के अंदर भगवान शिव की तस्वीर है. भगवान शिव की आकृति में सर्प पेट पर है इसके साथ ही मंदिर के बीच में शिवलिंग स्थित है शिवलिंग पर भी आकृति बनी हुई है और इसके साथ ही शिवलिंग के पास दीवार पर शिव के गढ़ों की आकृतियां बनीं हुई हैं.


ग्रामीणों का ऐसा भी मानना है कि इस मंदिर के कारण गांव के आसपास कभी भी आपदा नहीं आती. इस मंदिर को प्राचीन भूतेश्वर लाल शिव मंदिर कहा जाता है. वैसे यह मंदिर भूतों के मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है. मंदिर के पुजारी राकेश गिरी 14वी पीढ़ी हैं, जो इस मंदिर की सेवा कर रहे हैं. राकेश गिरी ने बताया कि हमारी 14वीं पीढ़ी है हम इस मंदिर की सेवा कर रहे हैं.


सुबह के समय जब सूरज की किरणें निकलती हैं, तो मंदिर में स्थित शिवलिंग पर सीधे पड़ती हैं सूरज की किरणों से शिवलिंग का अभिषेक होता है. पुजारी का यह भी कहना है कि इस मंदिर को भूतों ने एक रात में तैयार किया था. सुबह जब चक्की चलाने की आवाज आई तो भूत अदृश्य हो गए. इस मंदिर में लाल रंग की ईंटें लगी हैं. महाभारत कालीन मंदिर होने के बावजूद भी आज तक कोई भी ईंट अभी तक खराब नहीं हुई.


मंदिर पर सर्दी, गर्मी और बरसात का कोई असर नहीं होता. इस मंदिर की मान्यता के कारण आसपास के राज्यों और विदेशों तक से श्रद्धालु यहां पर आते हैं. पुजारी ने यह भी बताया कि जो भी श्रद्धालु यहां पर सच्चे मन से अपनी मनोकामना लेकर आते हैं, भगवान शिव उनकी मनोकामना जरुर पूरी करते हैं.

(नोट: यह खबर धार्मिक और पौराणिक मान्यताओं पर आधारित है)

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