लखनऊ : परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स की उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन पूर्व के आधार पर ही होगा. कक्षा 2 की कॉपियों में 50 की जगह 25 नंबर और कक्षा 3 से 5 की कॉपियों में 50 की जगह 35 नंबर के आधार पर ही अंक मिलेंगे. प्रश्नपत्र में हुई गड़बड़ी के चलते शिक्षकों के साथ स्टूडेंट्स को भी परेशानियों को सामना करना पड़ा. परिषदीय विद्यालयों की वार्षिक परीक्षाएं 20 मार्च से शुरू हुई थीं. प्रदेश में बेसिक शिक्षा परिषद के पूरे प्रदेश में 1 लाख 51 हजार स्कूल है. जिसमें करीब 2 करोड़ से अधिक स्टूडेंट्स पढ़ रहे हैं.
बता दें, बुधवार पहले दिन कक्षा 2 से 8 तक की परीक्षा कराई गई. इसमें प्राथमिक विद्यालय में कक्षा 2 में प्रश्नपत्र का पूर्णांक 25 नंबर की जगह 50 नंबर में पूछा गया. कक्षा 3 से 5 तक में प्रश्नपत्र का पूर्णांक 35 नंबर के स्थान पर 50 नंबर का आया. शिक्षकों ने बताया कि परीक्षा से कुछ समय पहले ही बेसिक शिक्षा सचिव ने निर्देश जारी किए थे, जिसमें यह साफ निर्देश था कि लिखित परीक्षा और मौखिक परीक्षाएं अलग-अलग होंगी और दोनों के नंबर जोड़े जाएंगे. मौखिक परीक्षा के प्रश्नों का निर्धारण प्रधानाध्यापक द्वारा किया जाएगा. इसके बावजूद डायट द्वारा तैयार प्रश्नपत्र गलत बनाकर भेज दिए गए.
कक्षा 2 में बोर्ड की तरह पूछा गया प्रश्नपत्र :शिक्षकों ने बताया कि प्रश्नपत्र का पूर्णांक 50 नंबर का होने के चलते बहुत बड़ा हो गया. स्टूडेंट्स को प्रश्नपत्र हल करने में कठिनाईयों का सामना करना पड़ा. हिन्दी का यह पेपर कुछ अलग ढंग से आया. जानकारी के अभाव में स्टूडेंट्स को इसकी कोई तैयारी भी नहीं कराई गई. शिक्षकों के मुताबिक पहली बार ऐसा प्रश्नपत्र देखने को मिला. दो नंबर के प्रश्न को भी एक-एक नंबर में तोड़ के दिया गया. वहीं, पेपर काफी बड़ा था, जिसे स्टूडेंट्स के लिए निर्धारित समय में हल करना भी मुश्किल था.