वाराणसी: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का गुरुवार को 92 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. वह बीमार चल रहे थे. उनका जाना देश के लिए दोहरी क्षति है. एक प्रधानमंत्री के तौर पर उन्होंने बेहतर कार्यकाल में कई बड़े निर्णय लिए तो अर्थशास्त्री के तौर पर भी उनके काम को जाना जाता रहा. उनके निधन पर हर कोई दुख व्यक्त कर रहा है.
मनमोहन सिंह वाराणसी दो बार आए थे. 2008 में 14 और 15 मार्च को 2 दिन के दौरे पर वाराणसी पहुंचे पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बनारस के काशी हिंदू विश्वविद्यालय के 90वें दीक्षा समारोह में भाग लिया था, जबकि इसके पहले उन्होंने काशी की सुप्रसिद्ध गंगा आरती में शिरकत करने के साथ ही विश्वनाथ मंदिर में पत्नी के साथ दर्शन पूजन भी किया था. इसके अलावा मनमोहन सिंह ने वाराणसी में बुनकरों और मुस्लिम धर्म गुरुओं से भी मुलाकात की थी.
मनमोहन सिंह बेहद ही सादगी भरा जीवन जीते थे. इस बारे में कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष प्रजानाथ शर्मा का कहना है कि मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री रहते हुए भी बेहद सादगी के साथ कहीं भी पहुंच जाते थे. 7 मार्च 2006 को वाराणसी के कैंट और संकट मोचन मंदिर में सीरियल बम ब्लास्ट हुए थे.
इसके अगले ही दिन 8 मार्च को सुबह प्रधानमंत्री रहते हुए मनमोहन सिंह और कांग्रेस की तत्कालीन अध्यक्ष सोनिया गांधी वाराणसी स्टेशन पहुंचे थे. यहां पर निरीक्षण करने के बाद तत्काल इस मामले की जांच हायर लेवल पर करवाने का आदेश देकर यहां से रवाना हुए थे.
उन्होंने बताया कि मनमोहन सिंह पहले प्रधानमंत्री थे जिन्होंने 2008 में पहली बार गंगा आरती में शिरकत की थी. वह भी अपनी पत्नी के साथ. उस समय जल पुलिस थाने से ही मां गंगा को नमन किए थे. प्रोफेसर चंद्रमौली उपाध्याय व श्रीधर पाण्डेय ने मां गंगा का पूजन कराया था. साथ ही गंगा सेवा निधि के संस्थापक अध्यक्ष पंडित स्वर्गीय सतेंद्र मिश्र व संस्थापक सदस्य इंदु शेखर शर्मा ने उनका स्वागत किया था.
इसके अलावा मनमोहन सिंह ने पत्नी के साथ काशी विश्वनाथ मंदिर में भी दर्शन पूजन भी किया था. 14 मार्च 2008 को काशी विश्वनाथ मंदिर में पूजन करने के साथ ही उस वक्त बुनकरों और मुस्लिम धर्म गुरुओं से भी मनमोहन सिंह ने मुलाकात की थी. बुनकरों ने अपनी वर्तमान स्थिति में सुधार के लिए सरकारी योजनाओं का लाभ व अन्य मदद के लिए पत्र भी प्रधानमंत्री को सौंपा था.
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