सवाई माधोपुर:समय के साथ हर क्षेत्र में लगातार बदलाव देखने को मिल रहा है. पहले खेती के लिए जहां कभी बैल की उपयोगिता थी, वहीं अब ट्रैक्टर से खेत जोते जाते हैं. कभी बैलों की पूजा होती थी, अब ट्रैक्टर की पूजा होती है. दिवाली एवं गोवर्धन पर पूजा सदियों से जारी है. बस बैलों का स्थान वाहन ने ले लिया है. सवाई माधोपुर जिले सहित प्रदेश एवं देश भर में दिवाली का त्योहार उत्साहपूर्वक मनाया जा रहा है.
सवाई माधोपुर जिले के कई गांवों में सामूहिक गोवर्धन पूजा भाईचारे का संदेश देती हैं. भारजा नदी गांव में दीपावली के पर्व पर अनोखी गोवर्धन पूजा की जाती है. यहां वर्षों पुरानी परंपरा के तहत पूरा गांव सामूहिक गोवर्धन पूजा कर भाईचारे का संदेश देता है. गांव की महिलाओं की ओर से गोबर का बड़े आकार का गोवर्धन बनाया जाता है. उसके बाद शुभ मुहूर्त के अनुसार विधिवत गोवर्धन की पूजा-अर्चना की जाती है. दीपावली के पर्व पर हर वर्ष इस गोवर्धन पूजा की परंपरा को देखने के लिए आसपास के सैकड़ों लोग आते हैं.
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सरपंच मुरारीलाल मीणा, धनसिंह मीणा, केदार मीणा, रामसहाय मीणा, प्रहलाद पटेल, शिवदयाल पटेल सहित गांव के बुजुर्गों की मानें तो करीब 200 साल पहले चंद घरों की आबादी से इस गांव की बसावट हुई. उसी समय से गांव के लोग सामूहिक रूप से गोवर्धन पूजा की परंपरा को निभाते आ रहे हैं. जैसे-जैसे गांव में आबादी बढ़ती गई, वैसे-वैसे सामूहिक गोवर्धन पूजा की मान्यता बढ़ गई. वर्षों पहले गोवर्धन पूजा के दौरान खेती का काम करने वाले बैल और कृषि यंत्रों की पूजा करना शुभ माना जाता था. अब किसानों के पास बैल नहीं हैं. इसलिए गोवर्धन पूजा के दौरान खासकर ट्रैक्टरों की पूजा की जाती है.