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वित्त रहित शिक्षकों का पटना में एमएलसी आवास के बाहर धरना, बकाया अनुदान के भुगतान की मांग - unfunded colleges Teacher - UNFUNDED COLLEGES TEACHER

MLC Sanjay Kumar प्रदेश के वित्त रहित डिग्री महाविद्यालयों और इंटरमीडिएट कॉलेज के शिक्षकों और कर्मचारियों ने आज बुधवार को तिरहुत क्षेत्र से शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र के एमएलसी संजय कुमार के आवास का घेराव किया. आवास के बाहर सैकड़ों शिक्षक धरने पर बैठ गए. एमएलसी संजय कुमार भी शिक्षकों की मांगों का समर्थन करते हुए धरने में शामिल हुए. अपने आवास के बाहर शिक्षकों के साथ डटे रहे. पढ़ें, विस्तार से.

वित्त रहित शिक्षकों का प्रदर्शन.
वित्त रहित शिक्षकों का प्रदर्शन. (ETV Bharat)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Aug 28, 2024, 5:40 PM IST

वित्त रहित शिक्षकों का प्रदर्शन. (ETV Bharat)

पटनाः प्रदेश के वित्त रहित डिग्री और इंटरमीडिएट कॉलेजों के शिक्षक और कर्मचारी बकाये अनुदान की मांग को लेकर 'घेरा डालो डेरा डालो' अभियान चला रहे हैं. इसके तहत बुधवार को तिरहुत क्षेत्र से शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र के एमएलसी संजय कुमार के आवास का घेराव किया. आंदोलन कर रहे शिक्षकों का कहना था कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नियोजित शिक्षकों की मांग सुनी. टोला सेवकों की बात सुनी अब वो लोग गुहार लगा रहे हैं तो उनकी भी मांगों को सुना जाए. वह लोग शिक्षित वर्ग से हैं तो एक सम्मानजनक जीवन दें.

"हमारी मांग है कि वित्त रहित कॉलेजों के बकाये का भुगतान किया जाए. डिग्री कॉलेजों का बीते 9 साल से और इंटर महाविद्यालय का पिछले 7 वर्षों से अनुदान बाकी है."- संजय कुमार, प्राध्यापक, सोनपुर के रामसुंदर दास महिला महाविद्यालय

एमएलसी संजय कुमार के आवास का घेराव. (ETV Bharat)

एमएलसी भी धरने पर बैठेः वित्त रहित शिक्षकों के साथ शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र के एमएलसी संजय कुमार भी धरना में बैठे रहे. उन्होंने कहा कि बिहार में वित्त रहित शिक्षा नीति की समाप्ति होनी चाहिए, क्योंकि यह आधुनिक दौर में शर्मनाक है. वह शिक्षकों के साथ हैं क्योंकि वह भी ऐसे ही महाविद्यालय से निकाल कर आए हैं. वह भी बिहार के 250 अंगीभूत महाविद्यालय जो प्राइवेट मैनेजमेंट द्वारा खोले गए थे, उससे आए हुए हैं. समय के साथ-साथ सरकार ने इसे पहले घाटारहित बनाया और फिर इसे सरकारी कर लिया.

वित्त रहित कॉलेजों का हो सरकारीकरण: एमएलसी संजय कुमार ने कहा कि वह सरकार से मांग करते हैं कि कई वर्षों का जो अनुदान शिक्षकों का बाकी है वह अभिलंब भुगतान करें और इंटरेस्ट के साथ भुगतान करें. शिक्षकों को अनुदान के बजाय एक वेतनमान तय करें. कई वर्षों से इनका अनुदान लंबित है ऐसे में जीवन यापन शिक्षकों का मुश्किल हो गया है. सरकार को इन सब पर सोचा होगा. इसके लिए सरकार वित्त रहित कॉलेजों को सरकारी करें या कम से कम घाटा रहित बनाएं.

क्या है 'घेरा डालो डेरा डालो' कार्यक्रम: गौरतलब है कि वितरित शिक्षकों ने घेरा डालो डेरा डालो कार्यक्रम तय किया है. इसके तहत प्रत्येक दिन शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र के प्रतिनिधियों के घर के बाहर जाकर वह धरना देंगे. उनकी मांग है कि सरकार अनुदान नहीं बल्कि उनको वेतनमान दे. लगभग 45000 के करीब वित्त रहित शिक्षक प्रदेश के 1450 अनुदानित माध्यमिक, इंटरमीडिएट और डिग्री कॉलेजों में कार्यरत है. कई कॉलेजों को 6 से 9 साल से अनुदान की राशि नहीं मिली है.

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