उज्जैन:जिले के जवाहर नगर में स्थित शासकीय प्राथमिक विद्यालय की स्थिति बहुत गंभीर है. यहां बच्चों के बैठने के लिए कमरा तक नहीं है. बच्चे खुले आसमान में बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं. स्कूल पहली से पांचवीं कक्षा तक का है. यह स्कूल केवल 10x10 के एक छोटे से कमरे में चलता है. जहां दो कक्षाओं के बच्चे एक साथ कमरे में बैठकर पढ़ाई करते हैं, वहीं बाकी की तीनों क्लास के बच्चों को बाहर बैठ कर पढ़ना पड़ता है. बारिश और गर्मी के मौसम में बच्चों को बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता है. धूप और बारिश से अक्सर उनकी पढ़ाई बाधित रहती है.
19 साल से एक कमरे से आगे नहीं बढ़ा स्कूल
इस शासकीय प्राथमिक विद्यालय की शुरुआत 2005 में हुई थी. स्कूल की शुरूआत 10x10 के एक कमरे से हुई थी. उस समय बच्चों की संख्या कम थी तो उसके हिसाब से यह कमरा बच्चों के लिए पर्याप्त था. अब बच्चों की संख्या बढ़कर 70 हो गई है. दो कक्षाओं के बच्चे अन्दर बैठकर पढ़ते हैं, बाकि की तीन कक्षाओं के बच्चे बाहर बैठते हैं. बारिश और गर्मी के समय बच्चों को काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है. बारिश आ जाने पर सभी बच्चों को एक छोटे से कमरे में बैठना पड़ता है जो किसी चुनौती से कम नहीं है. कमरे में किताबों और खाने-पीने की चीजों सहित काफी सारा सामान भी रखा है, जिससे कमरे में जगह और कम हो गई है.
पास से बहता है नाला, आती है बदबू
स्कूल के बगल में ही नाला है, जिसमें पास में स्थित धर्मशाला का पानी बहता है. नाले की कभी सफाई नहीं होती जिससे बहुत बदबू आती है, बच्चों का बाहर भी बैठना बहुत मुश्किल हो जाता है. स्कूल में शौचालय भी नहीं है जिससे बच्चों को खुले में जाना पड़ता है. 2005 में स्थापित स्कूल स्थापना के 19 साल बाद भी विकास की राह देख रहा है. स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों ने बताया, यहां पर पढ़ाई बहुत अच्छी होती है. शायद अच्छी पढ़ाई ही इस एक कमरे के स्कूल में छात्रों की इतनी संख्या होने की एक मात्र वजह है.
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