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बाबा महाकाल आज सौंपेंगे भगवान विष्णु को पृथ्वी का भार, उज्जैन में निकाली जाएगी सवारी

बैकुंठ चतुर्दशी पर उज्जैन में निकाली जाएगी हरिहर मिलन की सवारी, जानिए रूट और क्या है इसकी मान्यता

UJJAIN HARIHAR MILAN PROCESSION
बैकुंठ चतुर्दशी पर उज्जैन में निकाली जाएगी हरिहर मिलन की सवारी (ETV Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Nov 14, 2024, 8:57 AM IST

उज्जैन: गुरुवार रात श्री महाकालेश्वर मंदिर से बैकुंठ चतुर्दशी के मौके पर हरिहर मिलन की सवारी निकाली जाएगी. मान्यता है कि देवउठनी एकादशी के बाद बैकुंठ चतुर्दशी पर श्री हर (महाकालेश्वर भगवान) श्री हरि (भगवान विष्णु) को सृष्टि का भार सौंपकर कैलाश पर्वत पर चले जाते हैं. सवारी निकलने के दौरान पूरे रास्ते पर श्रद्धालु भगवान का स्वागत करने के लिए जोरदार आतिशबाजी करते हैं. यह सवारी हर साल निकाली जाती है.

बैकुंठ चतुर्दशी पर निकाली जाएगी पालकी

श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक गणेश कुमार धाकड़ ने बताया, '' परंपरा अनुसार महाकाल मंदिर के सभामंडप से रात 11 बजे श्री महाकालेश्वर भगवान की पालकी धूम-धाम से निकाली जाएगी. यह पालकी गुदरी चौराहा, पटनी बाजार से होते हुए गोपाल मंदिर पहुंचेगी. जहां पूजन के दौरान बाबा श्री महाकालेश्वर जी बिल्व पत्र की माला गोपाल जी को भेट करेंगे. बैकुंठनाथ अर्थात श्री हरि तुलसी की माला बाबा श्री महाकाल को भेट करेंगे. पूजन उपरांत श्री महाकालेश्वर जी की सवारी पुन: इसी मार्ग से श्री महाकाल मंदिर वापस आएगी.''

क्या है बैकुंठ चतुर्दशी की मान्यता?

यह पालकी हर साल बैकुंठ चतुर्दशी के मौके पर निकाली जाती है. ऐसी मान्यता है कि देवशयनी एकादशी से देवउठनी एकादशी तक भगवान विष्णु पाताल लोक में राजा बलि के यहां विश्राम करने जाते हैं. उस समय पृथ्वी लोक की सत्ता भगवान महादेव के पास होती है और बैकुंठ चतुर्दशी के दिन भगवान शिव यह सत्ता पुनः श्री विष्णु को सौंपकर कैलाश पर्वत पर तपस्या के लिए लौट जाते हैं. इस दिवस को बैकुंठ चतुर्दशी, हरि-हर भेंट भी कहते हैं.

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