ग्वालियर: जिले के डबरा विकासखंड के टेकनपुर में रहने वाले कामता प्रसाद बघेल वो व्यक्ति हैं, जिनकी प्रयागराज में 29 जनवरी की सुबह हुई भगदड़ में मौत हुई थी. आरोप है कि, अपने चचेरे भाई और पांच दोस्तों के साथ कुंभ स्नान के लिए गए कामता प्रसाद के शव को बिना पोस्टमार्टम पंचनामे के साथ प्रयागराज का प्रशासन वापस भेजना चाह रहा था.
मुश्किल से हुआ पोस्टमार्टम
वहां के प्रशासन का कहना था कि, ''कामता प्रसाद की मौत हार्ट अटैक से हुई है इसलिए उनका पोस्टमार्टम नहीं होगा.'' लेकिन जब उनके साथ गए लोगों ने प्रशासन की बात का खंडन किया और कहा कि उन्हें पहले से कोई हार्ट प्रॉब्लम नहीं थी तब कहीं काफी मशक्कत के बाद दूसरे दिन 30 जनवरी को कामता प्रसाद के शव का पोस्टमार्टम किया गया. इससे पहले वहां के प्रशासन ने दबाव डालकर पंचनामा भी लिखवाया. जिसमें भगदड़ के दौरान हुई मौत का जिक्र नहीं था.
नरोत्तम मिश्रा की मदद से शव पहुंचा ग्वालियर
आरोप है कि, कामता प्रसाद के शव को वापस ग्वालियर लाने के लिए एंबुलेंस ₹40000 मांग रही थी. लेकिन बिजली की दुकान चलाने वाले कामता प्रसाद के परिजन के पास इतने पैसे नहीं थे. लिहाजा उन्होंने पूर्व गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा से बात की और उन्हें अपनी मजबूरी बताई. इसके बाद डॉक्टर मिश्रा के हस्तक्षेप से उन्हें एंबुलेंस नसीब हुई. दुखद पहलू ये है कि कामता प्रसाद का एक ही पुत्र है जो मंदबुद्धि है. जबकि उनकी तीन बेटियां हैं. दो बेटियों की शादी उन्होंने 4 महीने पहले ही की है. इसके लिए उन्होंने 10 लाख रुपये का कर्ज लिया था.
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युवक की मौत से परिवार सदमे में
परिवार के लोगों का कहना है कि, ''अब इस कर्ज को किस तरह उतारा जाएगा, यह उनकी समझ से परे है.'' कामता प्रसाद की पत्नी अपने पति की मौत के बाद से बेसुध है. परिवार के लोगों पर दुखों का पहाड़ टूट गया है. साथ गए चचेरे भाई मानसिंह का कहना है कि, ''उन्होंने वहां सैकड़ों लोगों को मृत हालत में देखा है. सरकार ने जो आंकड़ा मृतकों का बताया है वह बेहद कम हैं.''