देहरादूनःचुनाव आयोग ने आज लोकसभा चुनाव 2024 की तारीखों का ऐलान कर दिया है. साथ ही यह भी बता दिया है कि अगली सरकार कब तक बन जाएगी. उत्तराखंड की पांचों लोकसभा सीटों पर भाजपा ने उम्मीदवार उतार दिए हैं. लेकिन दूसरी तरफ विपक्षी दल कांग्रेस ने अब तक उत्तराखंड की तीन ही लोकसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं. नैनीताल-उधमसिंह नगर और हरिद्वार सीट पर अभी भी उम्मीदवारों का ऐलान होना बाकी है.
बताया जा रहा है कि हरिद्वार लोकसभा सीट से पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत अपने बेटे वीरेंद्र रावत के लिए टिकट की मांग कर रहे हैं. इसी कारण हरीश रावत लगातार दिल्ली में जमे हुए हैं. उधर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा भी इन दो सीटों को लेकर पार्टी के आला नेताओं के साथ लगातार बातचीत कर रहे हैं. जबकि इसी बीच 2 दिन पहले ही निर्दलीय विधायक उमेश कुमार ने दिल्ली में कांग्रेस के नेताओं से मुलाकात की है. ये मुलाकात काफी गोपनीय रही. ऐसे में जानकार मानते हैं कि हरिद्वार सीट पर बड़ा 'खेला' होने जा रहा है. भाजपा ने हरिद्वार सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद सिंह रावत को चुनाव मैदान में उतारा है.
त्रिवेंद्र के बयान से फिर हुआ दुश्मनी का जन्म:भाजपा प्रत्याशी त्रिवेंद्र सिंह रावत देहरादून पहुंचे. इस दौरान मीडिया ने हरिद्वार सीट पर उमेश कुमार के प्रत्याशी बनने पर सवाल किया तो त्रिवेंद्र ने राजनीति की पिच पर मजे हुए खिलाड़ी की तरह कहा कि वे उमेश कुमार को नहीं जानते. त्रिवेंद्र के इस बयान ने उमेश कुमार के साथ उनकी राजनीतिक दुश्मनी को फिर से जन्म दे दिया है. सोशल मीडिया में भी इस हरिद्वार लोकसभा सीट से त्रिवेंद्र सिंह रावत और उमेश कुमार ही आमने-सामने दिखाई दे रहे हैं. सोशल मीडिया पर त्रिवेंद्र और उमेश के बीच समर्थक बंटे हुए हैं.
इस तरफ शुरू हुई दुश्मनी:दरअसल, त्रिवेंद्र सिंह रावत के मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान उमेश कुमार ने आरोप लगाया था 2016 में झारखंड के 'गौ सेवा आयोग' के अध्यक्ष पद पर एक व्यक्ति की नियुक्ति को लेकर त्रिवेंद्र सिंह रावत ने घूस ली थी. ये आरोप इतने गंभीर थे कि राज्य में बवाल मच गया था. उमेश कुमार ने आरोप में कहा था कि 'जब ये सब हुआ तब, त्रिवेंद्र रावत झारखंड भाजपा प्रभारी थे. उन्होंने ये भी आरोप लगाते हुए दावा किया था कि घूस की रकम उनके रिश्तेदारों के खातों में ट्रांसफर की गई थी. इसके बाद मामले में नाम आने पर प्रोफेसर हरेंद्र सिंह रावत ने 31 जुलाई 2020 को देहरादून थाने में उमेश कुमार के खिलाफ ब्लैकमेलिंग समेत विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया था.
मुकदमे के अनुसार, उमेश कुमार ने सोशल मीडिया में खबर चलाई थी कि प्रोफेसर हरेंद्र सिंह रावत और उनकी पत्नी डॉ. सविता रावत के खाते में नोटबंदी के दौरान झारखंड से अमृतेश चौहान ने पैसे जमा किए थे. यह पैसे त्रिवेंद्र सिंह रावत को देने को कहा था. इसमें डॉ. सविता रावत को मुख्यमंत्री की पत्नी की सगी बहन बताया गया है. वहीं, हरेंद्र सिंह रावत ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि ये सभी तथ्य निराधार हैं. उमेश कुमार ने बैंक के कागजात फर्जी बनवाएं हैं. उमेश ने उनके बैंक खातों की सूचना गैर कानूनी तरीके से प्राप्त की है. इसके बाद त्रिवेंद्र सरकार ने उमेश कुमार पर गैंगस्टर के तहत भी कार्रवाई की थी. वहीं एफआईआर दर्ज होने के बाद उमेश कुमार ने अपनी गिरफ्तारी पर रोक के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. उनकी ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पैरवी की थी.