रांचीः झारखंड पुलिस में 07 प्रशिक्षित लेब्राडोर श्वान (ट्रेंड डॉग्स) शामिल किए गये हैं. इन सभी को मेरठ कैंट के आरवीसी सेंटर एंड कॉलेज से मंगाया गया है. ये इतने खास हैं कि खुद राज्य के डीजीपी अजय कुमार सिंह, एडीजी संजय आनंद राव लाटकर और आईजी असीम विक्रांत मिंज ने इनका वेलकम किया.
इनमें से 06 ऐसे हैं जो कई तरह के विस्फोटक का पता लगा सकते हैं. पलक झपकते ही कच्चे विस्फोटक जैसे टीएनटी, पीईके, आरडीएक्स, कॉर्डेक्स, गन कॉटन, एचएमएक्स, डायनामाइट, नाइट्रोग्लिसरीन जैसे विस्फोटकों की पहचान कर सकते हैं. इनका इस्तेमाल ग्राउंड सर्च, वाहन सर्च, बिल्डिंग सर्च में अहम भूमिका निभाएंगे. दरअसल, विस्फोटक को छिपाने के लिए अपराधी और नक्सली गोबर, यूरिया और राख का प्रयोग करते हैं ताकि ट्रेंड डॉग्स बाहरी गंध की वजह से विस्फोटक पहचानने में कंफ्यूज हो जाएं. लेकिन इन सभी को इस तरह से ट्रेंड किया गया है कि बाहरी गंध के बावजूद विस्फोटक को ढूंढ लेंगे. इस टीम में एक मात्र ऐसा डॉग है जो मानव शरीर और मानव द्वारा इस्तेमाल की गई वस्तु की गंध की पहचान और भेद के आधार पर काम करने में माहिर हैं. यह अपराधियों की खोज करने में मददगार साबित होगा.
स्नीफर डॉग की खासियत
दरअसल, इनमें सूंघने की जबरदस्त क्षमता होती है. इनके नाम के म्यूकोसा में 225 मिलियन रिसेप्टर कोसिकाएं होती हैं जो इनके सूंघने की क्षमता को इंसानों की तुलना में 40-45 गुना बेहतर बनाती हैं. इनमें इंसानों की तुलना में चार गुणा बेहतर सुनने की क्षमता होती है. दृष्टि इतनी मजबूत होती है कि चलती वस्तुओं को पहचान कर सकती है. ये अपनी छठी इंद्री की बतौलत लो-फ्रिक्वेंसी कंपन का पता लगा सकते हैं.