बीकानेर.सनातन धर्म में निर्जला एकादशी का बहुत महत्व बतलाया गया है. इस दिन जलदान करने से वर्ष भर की एकादशियों का फल प्राप्त होता है. ज्येष्ठ शुक्ला एकादशी को निर्जला एकादशी पर्व मनाया जाता है. इसे भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं. इस एकादशी के व्रत्त स्नान और आचमन के अलावा जल नहीं ग्रहण करना चाहिए.
शास्त्र अनुसार महत्व : पञ्चांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया कि निर्जला एकादशी के व्रत का धर्मशास्त्रों में अत्यधिक महत्व है. इस व्रत से समस्त पापों का नाश होता है. इस दिन एकादशी व्रत कथा करने के साथ ही भगवान का कीर्तन करना चाहिए. निर्जला एकादशी के दिन निर्जल रहकर उपवास करना होता है. हिंदू मान्यता के अनुसार निर्जला एकादशी पर व्रत करने से वर्ष की सभी 24 एकादशियों के समतुल्य पुण्य प्राप्त होता है. पांडव पुत्र भीम से जुड़ी होने के कारण इसे पांडव एकादशी या भीमसेनी एकादशी या भीम एकादशी भी कहते हैं.