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आज है निर्जला एकादशी, विधि विधान से करें पूजा अर्चना - Nirjala Ekadashi

सनातन धर्म परंपरा में व्रत और त्योंहारों का बहुत महत्व है. उपवास और व्रत करने से व्यक्ति मानसिक, शारीरिक, आध्यात्मिक शुद्धि, नैतिक बल और आनंद को प्राप्त करता है. व्रत परंपरा में प्रत्येक माह की एकादशी महत्वपूर्ण होती है, लेकिन निर्जला एकादशी सबसे महत्वपूर्ण एकादशी मानी जाती है.

निर्जला एकादशी
निर्जला एकादशी (फोटो ईटीवी भारत GFX)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jun 18, 2024, 7:27 AM IST

बीकानेर.सनातन धर्म में निर्जला एकादशी का बहुत महत्व बतलाया गया है. इस दिन जलदान करने से वर्ष भर की एकादशियों का फल प्राप्त होता है. ज्येष्ठ शुक्ला एकादशी को निर्जला एकादशी पर्व मनाया जाता है. इसे भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं. इस एकादशी के व्रत्त स्नान और आचमन के अलावा जल नहीं ग्रहण करना चाहिए.

शास्त्र अनुसार महत्व : पञ्चांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया कि निर्जला एकादशी के व्रत का धर्मशास्त्रों में अत्यधिक महत्व है. इस व्रत से समस्त पापों का नाश होता है. इस दिन एकादशी व्रत कथा करने के साथ ही भगवान का कीर्तन करना चाहिए. निर्जला एकादशी के दिन निर्जल रहकर उपवास करना होता है. हिंदू मान्यता के अनुसार निर्जला एकादशी पर व्रत करने से वर्ष की सभी 24 एकादशियों के समतुल्य पुण्य प्राप्त होता है. पांडव पुत्र भीम से जुड़ी होने के कारण इसे पांडव एकादशी या भीमसेनी एकादशी या भीम एकादशी भी कहते हैं.

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इस तरह करें पूजन : पञ्चांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया कि इस एकादशी का व्रत रखने से सम्पूर्ण एकादशियों के व्रत्तों के फल की प्राप्ति सहज ही हो जाती है. इस दिन प्रातः काल भगवान विष्णु का षोडशोचार पूजन करना चाहिए. इस दिन ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करना चाहिए. साथ ही विष्णु सहस्रनामस्तोत्र का पाठ करना चाहिए. मिट्टी के कलश मे जल भरकर दक्षिणा सहित दान करना चाहिए. इस एकादशी का व्रत करके अन्न जला, वस्त्र, आसन, जूता छतरी पंखी फूल आदि का दान करना चाहिए.

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