गिरिडीह: बगोदर के जन नायक महेंद्र सिंह की 21 वीं शहादत दिवस आज है. इस मौके पर भाकपा माले के द्वारा बगोदर में जन संकल्प सभा का आयोजन किया गया है. सभा में पार्टी के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य मुख्य अतिथि के रुप में उपस्थित होंगे. शहादत दिवस की शुरुआत महेंद्र सिंह के पैतृक गांव खंभरा से होगी.
महेंद्र सिंह की 21वीं शहादत दिवस पर भाकपा माले के द्वारा बगोदर बस स्टैंड में विशाल जन संकल्प सभा का आयोजन किया गया है, जिसकी तैयारी भी पूरी कर ली गई है. शहादत दिवस को लेकर बगोदर बस स्टैंड, सरिया रोड, पुरानी जीटी सहित महेंद्र सिंह के पैतृक गांव खंभरा को लाल झंडे से पाट दिया गया है. सभा को लेकर बगोदर बस स्टैंड में स्थित स्टेज को मंच बनाया गया है.
कई स्थानों पर पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी जाएगी
कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि भाकपा माले के महासचिव कामरेड दीपांकर भट्टाचार्य उपस्थित होंगे. इस संबंध में जानकारी देते हुए भाकपा माले के प्रखंड सचिव परमेश्वर महतो ने बताया कि कार्यक्रम की शुरुआत खंभरा से होगी. यहां स्थित उनकी आदमकद प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी जाएगी. तत्पश्चात बगोदर किसान भवन के सामने स्थित उनकी आदमकद प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि अर्पित की जाएगी. इसके बाद संकल्प सभा की शुरुआत होगी.
कार्यक्रम में भाकपा माले के निरसा विधायक अरुप चटर्जी, सिंदरी के भाकपा माले विधायक चंद्रदेव महतो, बगोदर के पूर्व विधायक विनोद कुमार सिंह, राजधनवार के पूर्व विधायक राजकुमार यादव, सिंदरी के पूर्व विधायक आनंद महतो, राज्य सचिव मनोज भक्त, जिला सचिव जर्नादन प्रसाद सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित होंगे.
राजनीति में हमेशा याद किए जाएंगे जन नायक महेंद्र सिंह
बगोदर विधान सभा क्षेत्र का लगातार तीन बार प्रतिनिधित्व करने वाले महेंद्र सिंह राजनीति में हमेशा याद किए जाते रहेंगे. खासकर बगोदर इलाके की जब भी राजनीतिक चर्चा होगी उनका नाम लिए बगैर चर्चा अधूरी रह जाएगी. किसान- मजदूरों के अधिकार के लिए सड़क से लेकर झारखंड सदन और बिहार के सदन में उनकी बुलंद आवाज गूंजती थी.
एकीकृत बिहार के समय उन्होंने दो बार और अलग राज्य झारखंड निर्माण के बाद एक बार इस तरह से कुल तीन बार बगोदर विधान सभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था. इस बीच उनकी लड़ाई सामंती ताकतों, भ्रष्ट नौकरशाहों, पुलिस के जुल्म, महाजनी प्रथा आदि के खिलाफ होती रही. यहां तक कि 1995- 2000 में जब नक्सलियों की तूती बोलती थी उस समय नक्सलियों के मांद झुमरा पहाड़ में चढ़कर नक्सलियों से उन्होंने पंगा लिया था.