नई दिल्ली:दिल्ली हाईकोर्ट के आदेशों के बाद भलस्वा इलाके की सभी डेयरियों को घोघा डेयरी कॉलोनी में शिफ्ट किया जाना है. हालांकि अभी कोर्ट से इन कालोनियों को अक्टूबर तक राहत मिली है. ऐसे में अब दिल्ली सरकार ने भी भलस्वा इलाके की सैकड़ों डेयरियों को बचाने के लिए कवायद तेज कर दी है. इन कॉलोनी के खिलाफ एमसीडी और ड्यूसिब कोई कार्रवाई नहीं करें, इसको लेकर सरकार की ओर से एक यूनिफॉर्म पॉलिसी ऑफ डेयरी कॉलोनी लाने की तैयारी की जा रही है. इस संबंध में हाल ही में दिल्ली के विकास मंत्री सौरभ भारद्वाज की अध्यक्षता में एक खास मीटिंग भी की गई है, जिसमें कई अहम फैसले लिए गए.
मंत्री भारद्वाज ने डेयरी प्रतिनिधियों से की थी मुलाकात:दिल्ली के मंत्री सौरभ भारद्वाज से डेयरी कॉलोनी के प्रतिनिधियों ने मुलाकात की थी. इसके बाद दिल्ली सरकार के तमाम विभागों, एमसीडी, ड्यूसिब के अधिकारियों के साथ इस मामले को लेकर विस्तृत तौर पर विचार विमर्श किया गया. इस मामले पर विस्तृत चर्चा के बाद संबंधित विभागों खासकर दिल्ली नगर निगम और दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (ड्यूसिब) को मंत्री सौरभ भारद्वाज की ओर से कई निर्देश दिए हैं. उनको सप्ताह भर के भीतर एक ड्राफ्ट पॉलिसी तैयार करने और उसमें अपनी टिप्पणियां और प्रतिक्रियाओं को सम्मलित करने के निर्देश दिए हैं. मंत्री की ओर से पशुपालन विभाग के निदेशक को भी दिल्ली में डेयरी कॉलोनियों के लिए एक यूनिफॉर्म पॉलिसी को अंतिम रूप देने में तेजी लाने के सख्त निर्देश दिए हैं.
सूत्र बताते हैं कि दिल्ली नगर निगम और ड्यूसिब से फीडबैक/टिप्पणियां मिलने के बाद उन टिप्पणियों (कमेंट्स) को शामिल करके और अपनी सिफारिशों को अंतिम रूप देने के लिए 'ड्राफ्ट यूनिफार्म पॉलिसी ऑफ डेयरी कॉलोनीज इन दिल्ली कमेटी' की एक मीटिंग आयोजित करने को कहा गया है. इसके बाद इस ड्राफ्ट पॉलिसी को फाइनल मंजूरी के लिए प्रस्ताव बनाकर दिल्ली के उपराज्यपाल के समक्ष रखा जाएगा. कमेटी में विधायक गुलाब सिंह और अमानतुल्लाह खान सदस्य हैं. जबक, AAP एमएलए कुलदीप कुमार और सोमनाथ भारती दोनों विशेष आमंत्रित सदस्य हैं. कमेटी में विधायक नरेश यादव भी हैं.
ड्रॉफ्ट पॉलिसी को अंतिम रूप देने तक शिफ्ट नहीं करने की अपील:मीटिंग के दौरान इस बात पर भी खासी चर्चा हुई है कि ड्रॉफ्ट पॉलिसी को अंतिम रूप देने में काफी वक्त लग सकता है. इसलिए डेयरी कॉलोनी के प्रतिनिधियों ने अधिकारियों से आग्रह किया है कि जब तक पॉलिसी फाइनल नहीं होती और इसको विचार के लिए दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष पेश नहीं किया जाता है, तब तक भलस्वा डेयरी कॉलोनी में रहने वाले परिवारों को उनके घरों को शिफ्ट नहीं किया जाए. प्रतिनिधियों की ओर से सरकार के समक्ष यह बात भी रखी गई कि जरूरत पड़ने पर डेयरी मालिक दिल्ली हाईकोर्ट में अगली सुनवाई पर अपना पक्ष रखेंगे.