लखनऊ :राजधानी के रहमानखेड़ा में एक महीने से ज्यादा समय से बाघ घूम रहा है. इससे लोग दहशत में हैं. बाघ को पकड़ने के लिए लखनऊ, कानपुर, लखीमपुर खीरी से विशेषज्ञों की टीम पहुंची. इसके बावजूद बाघ नहीं मिला. बाघ को पकड़ने के लिए दुधवा से दो प्रशिक्षित हथिनियों डायना व सुलोचना को भी शुक्रवार को बुलाया गया. शनिवार की सुबह 10 बजे से दोपहर 2 बजे तक दोनों जंगल में घूमती रहीं. तीन ट्रेंकुलाइज इंस्पेक्टर और दो महावत भी हथिनी पर बैठे थे. करीब 5 किमी के दायरे में बाघ के पगचिह्न को देखते सर्च अभियान चलाया गया. फिर भी बाघ का पता नहीं चला. वहीं शनिवार सुबह फिर से सराय प्रेमराज गांव के बाहर बाघ के पगचिह्न मिले.
काकोरी के रहमानखेड़ा जंगल में काफी समय से बाघ घूम रहा है. लगातार उसके पैरों के निशान मिल रहे हैं. शनिवार की सुबह भी दोनों हथिनियों के साथ टीम ने सर्च अभियान चलाया. इसके बावजूद कुछ पता नहीं चल पाया. रविवार को दूसरे दिन भी बाघ को पकड़ने के लिए अभियान चलाया जाएगा. शनिवार सुबह प्रधान मुख्य वन संरक्षक और विभाग अध्यक्ष लखनऊ सुनील चौधरी ने रेस्क्यू ऑपरेशन का जायजा लिया. उन्होंने बाघ को जल्द पकड़ने के निर्देश दिए.
शनिवार की सुबह जंगल से 10 किलोमीटर दूर सराय प्रेमराज में किसान ब्रह्मदीन गौतम, चिरौंजी लाल, राधेश्याम गुरुप्रसाद की आम की बाग में बाघ के पगचिह्न मिले. ग्रामीणों का कहना है कि पहली बार गांव में बाघ के पगचिह्न मिले हैं. बाघ ने करीब 15 किलोमीटर में घेरा बना कर रखा है. वह हर दिन जगह बदलता है, रात में रहमान खेड़ा में उसकी मौजूदगी दिखती है. मीठेनगर नई बस्ती धनेवा, मोहम्मदनगर, रहमतनगर, हसनापुर, दुगौली, गुरदीन खेड़ा, कटौली, सहिलामऊ, कसमंडी, मंदौली, उलरापुर, हलुवापुर, बुधड़िया, कुसमौरा, हबीबनगर व आसपास के गांवों में बाघ के पगचिह्न मिल चुके हैं.