चंडीगढ़ : कहा जाता है कि अंगदान महादान क्योंकि इसके जरिए शख्स मौत के बाद भी अमर हो जाता है. वो भले ही इस दुनिया में नहीं रहता लेकिन उसके अंग दूसरों को नया जीवन देते हैं. ऐसा ही कुछ देखने को मिला है चंडीगढ़ में, जहां पर सड़क हादसे के बाद ब्रेन डेड हो चुकी 3 साल की मासूम कंचन के अंगों को दान कर दिया गया और अब उसके अंगों के लिए गंभीर बीमारी से जूझ रहे लोगों को नया जीवन हासिल हुआ है.
ब्रेनडेड होने के बाद अंगदान करने का फैसला :आपको बता दें कि चंडीगढ़ के कैंबवाला में रहने वाले लाल सिंह की बेटी कंचन 28 जुलाई को एक कार की चपेट में आने के बाद अपनी जान गंवा बैठी थी, जिसके बाद उसे इलाज के लिए जीएमएसएच 16 में भर्ती कराया गया था. इसके बाद उसी दिन उसे पीजीआईएमईआर चंडीगढ़ रेफर कर दिया गया था. यहां पर सीनियर डॉक्टरों की सारी कोशिशों के बावजूद कंचन को बचाया नहीं जा सका और उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया. इसके बाद उसके परिवार ने अंगदान करने का फैसला लिया और अब कंचन के अंगों से गंभीर बीमारी से जूझ रहे लोगों को नए जीवन का उपहार मिला है.
कंचन ने मरीज़ों को दिया जीवनदान :3 साल की मासूम कंचन के अंगदान करने के बाद पीजीआईएमईआर के रोट्टो विभाग ने कंचन की दोनों किडनी को चंडीगढ़ की 26 वर्षीय महिला में प्रत्यारोपित किया, साथ ही बाकी अंगों का जरूरतमंद मरीज़ों के शरीर में प्रत्यारोपण किया गया. इस तरह गंभीर बीमारी का सामना कर रहे लोगों को नया जीवन मिला है. पीजीआई के रोट्टो विभाग ने इस दौरान कंचन को विशेष तौर पर श्रद्धांजलि दी. वहीं इस मौके पर बोलते हुए पीजीआईएमईआर के निदेशक प्रोफेसर विवेक लाल ने कहा कि लाल सिंह का अपनी प्यारी बेटी के अंगों को दान करने का फैसला आशा और मानवता का परिचय देता है. कंचन के नेक काम को हमेशा याद रखा जाएगा और संजोया जाएगा, क्योंकि ये अंग दान की सच्ची भावना और कई लोगों की जान बचाने की क्षमता को दर्शाता है.
कंचन के पिता ने क्या कहा ? :वहीं कंचन के पिता लाल सिंह ने कहा कि कंचन को खोना हमारे जीवन का सबसे कठिन अनुभव रहा है. लेकिन ये जानना कि उसके अंगों ने दूसरों को जीवन का दूसरा मौका दिया है, हमें कुछ सुकून देता है. हमें उम्मीद है कि हमारा फैसला दूसरों को अंगदान पर विचार करने और जीवन बचाने में मदद करने के लिए प्रेरित करेगा.