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अब IPC नहीं BNS; पहली जुलाई से 3 नए कानून लागू, रेप केस की जांच में बड़ा बदलाव - NEW CRIMINAL LAWS

पहली जुलाई यानी आज से देश में तीन नए आपराधिक कानून लागू किए गए हैं. इनके जरिए जहां न्याय प्रणाली में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा वहीं मामलों की सुनवाई त्वरित होगी. सबसे ज्यादा असर रेप के मामलों में देखने को मिलेगा.

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पहली जुलाई से 3 नए कानून लागू (फोटो क्रेडिट; Etv Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jul 1, 2024, 10:55 AM IST

Updated : Jul 1, 2024, 2:00 PM IST

लखनऊ: अभी तक देश में भारतीय दंड संहिता (IPC) लागू थी. जिसके आधार पर आपराधिक मामलों में कार्रवाई की जाती थी. लेकिन, अब पहली जुलाई 2024 से भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) की जगह भारतीय न्याय संहिता (BNS) को लागू कर दिया गया है. अब सभी थानों में बीएनएस की धाराओं में रिपोर्ट दर्ज होगी.

डीजीपी प्रशांत कुमार ने बताया कि पुलिस नई धाराओं के व्यापक प्रचार-प्रसार पर जोर दे रही है. यूपी पुलिस मुख्यालय और जिला स्तर पर नोडल अधिकारी नामित कर समन्वय समिति गठित की गई हैं. ये समितियां नए कानून में आने वाली कठिनाइयों को दूर करेंगी.

ई-साक्ष्य अब कोर्ट में मान्य:पुलिस महकमे की ओर से एक ई-साक्ष्य एप बनाया गया है. इसके जरिए अपराध होने पर घटनास्थल की वीडियोग्राफी भी किए जाने की सुविधा पुलिस को उपलब्ध करवा दी गई है. अदालतों में ई-साक्ष्य को भी साक्ष्य के तौर पर पेश किया जा सकेगा. नए कानूनों में महिलाओं-बच्चों के खिलाफ हुए अपराधों की जांच को प्राथमिकता दी गई है.

रेप और पॉक्सो एक्ट के मामलों की जांच दो माह में की जाएगी पूरी: दुष्कर्म व पॉक्सो एक्ट के मामलों की जांच नए कानून लागू होने के बाद अब दो माह में पूरी की जाएगी. साथ ही पीड़ित को 90 दिन के भीतर अपने मामले की प्रगति की जानकारी लेने का अधिकार प्राप्त होगा. अपराध में लिप्त होने पर विदेश में रहने वालों को भी आरोपित बनाया जा सकेगा. किसी बच्चे को अपराध में लिप्त कराने वाले को तीन से 10 वर्ष तक की सजा की व्यवस्था की गई है.

FIR की प्रति अब पीड़ित को भी दी जाएगी: नए कानून के तहत किसी व्यक्ति की हत्या पर उम्र कैद से लेकर मृत्युदंड तक की सजा हो सकती है. वहीं एक से ज्यादा बार चोरी करने वालों को पांच वर्ष तक की सजा की व्यवस्था की गई है. इसके साथ ही एफआइआर की प्रति अब पीड़ित को भी निशुल्क दी जाएगी. दुष्कर्म व एसिड अटैक के मामलों में पीड़िता का बयान महिला मजिस्ट्रेट द्वारा दर्ज किया जाएगा.

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Last Updated : Jul 1, 2024, 2:00 PM IST

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