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पुत्रदा एकादशी 10 जनवरी को: यह उपवास करने से खुलते हैं वैकुंठ के द्वार - PUTRADA EKADASHI IN RAJASTHAN

इस बार पुत्रदा एकादशी 10 जनवरी 2025 को आ रही है. इसे सभी एकादशियों में श्रेष्ठ माना जाता है. इसे वैकुंठ एकादशी भी कहते हैं.

PUTRADA EKADASHI  IN RAJASTHAN
पुष्कर सरोवर (Etv Bharat Ajmer)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jan 7, 2025, 4:58 PM IST

अजमेर:पुत्रदा एकादशी को सभी एकादशियों में श्रेष्ठ माना जाता है. इस बार पुत्रदा एकादशी 10 जनवरी को आ रही है. इस एकादशी को वैकुंठ एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. शास्त्रों के अनुसार पुत्रदा एकादशी का व्रत करने वाले यदि निराहार या फलाहार और दूध व जल पीकर व्रत करते हैं तो उन्हें निश्चित रूप से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और व्रत करने वाले निसंतान दंपती को संतान प्राप्ति का आशीर्वाद भी मिलता है.

पुष्कर के ज्योतिर्विद पंडित कैलाश नाथ शर्मा ने बताया कि पुत्रदा एकादशी का विशेष धार्मिक महत्व है. शास्त्रों में पुत्रदा एकादशी को सभी एकादशियों से श्रेष्ठ बताया गया है. इस एकादशी पर व्रत करने से भगवान विष्णु की कृपा से संतान योग बनता है. मृत्यु के उपरांत पुत्र की ओर से तर्पण और मार्जन का पुण्य कर्म भी माता पिता को मिलता है. साथ ही व्रत करने वाले मरने के बाद वैकुंठ गामी होते हैं.

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पंडित शर्मा ने बताया कि इस बार पुत्रदा एकादशी 10 जनवरी को है. इस दिन विष्णु भगवान का पूजन, हवन और दान पुण्य करने से वैकुंठ के दरवाजे खुलते हैं. पंडित शर्मा ने बताया कि इस दिन कृतिका नक्षत्र और चंद्रमा व सब राशि पर स्थित होने से पद्म के समान पुण्य प्राप्त होता है.

तीर्थ में स्नान से मिलता है कोटि गुना फल: शर्मा ने बताया कि इस दिन तीर्थ स्थान, नदी, समंदर और ब्रह्मा के पवित्र ब्रह्म सरोवर आदि में स्नान, पूजन, दान, हवन और परिक्रमा करने से कोटि गुना फल मिलता है. पंडित शर्मा बताते हैं कि जिन दंपती को संतान नहीं है, उन्हें इस दिन से 12 महीने तक एकादशी करने और विष्णु पूजन करने से संतान को प्राप्ति होती है. शर्मा ने बताया कि शास्त्रों में वर्णित है कि इस दिन यदि किसी प्राणी की मृत्यु होती है तो वह विष्णु लोक वैकुंठ लोक में जाता है और प्राणी को मोक्ष गति प्राप्त होती है.

एकादशी को यह करें दान: फल, अन्न, जल, वस्त्र, सूखा, मेवा, दूध, मावे के मिष्ठान, धार्मिक पुस्तक, दक्षिणा दान, गोदान, हरा चारा आदि दान करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में सुख समृद्धि, शांति, ऐश्वर्य और मनोकामना सिद्ध होती है.

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