लखनऊ/महोबा: बरसात के दिनों में अगर आप रोडवेज बस से सफर करने के बारे में सोच रहे हैं, तो फिर अपने साथ या तो छाता लेकर जाएं या फिर बस से सफर करने से ही कतराएं. अगर आप बस से सफर करते हैं और छाता नहीं लेकर जाते हैं, तो फिर बस के अंदर भीगते हुए यात्रा करना तय है. क्योंकि यूपी के परिवहन निगम की बसें बारिश में टपक रही हैं. उनमें झरना बह रहा है.
दरअसल, कैसरबाग और महोबा डिपो की बस की तस्वीरें सामने आई हैं. दरअसल लखनऊ से गोरखपुर के लिए सवारी लेकर निकली. यूपी 33 एटी 4503 नंबर की इस पूरी बस में पानी टपक रहा था. इससे यात्रियों को बैठने में काफी दिक्कत हुई. वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि किस तरह से सिकुड़कर यात्री अपनी सीट छोड़कर दूसरी सीटों पर एडजस्ट हो रहे हैं. एक बच्चा भी अपनी मां के साथ सीट पर बैठने के बजाय गोद में बैठने को मजबूर है.
वहीं, महोबा के मानिकपुर से यात्रियों को लेकर महोबा जा रही बस के अंदर टपकते बारिश के पानी का वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है. वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि किस तरीके से रोडवेज की बस में बैठे यात्री बारिश के दौरान खुद को पानी से बचाने का असफल प्रयास करते नजर आ रहे हैं. वहीं, बस के अंदर टपकते पानी का वीडियो वायरल होने के बाद रोडवेज महकमे में हड़कंप मचा हुआ है.
वहीं, परिवहन निगम की बसों में बारिश का टपकता पानी रोडवेज अधिकारियों की लापरवाही साफ तौर पर उजागर कर रहा है. इससे पहले जब भी बारिश होती है, तो परिवहन निगम दावा करता है कि सभी बसें मेंटेन कर ली गई हैं. लेकिन पहली ही बारिश में पोल खुल जाती है.
पानी की बोतल टांगकर लिया गया वाइपर का काम :इससे पहले भी कई बार ऐसे वीडियो सामने आए जब बस के अंदर पानी टपक रहा था और यात्रियों को छाता लगाकर यात्री करनी पड़ी. इतना ही नहीं बसों के विंडस्क्रीन पर वाइपर लगाने में भी खूब कोताही की गई. एक वीडियो सामने आया था, जब वाइपर की जगह पानी की बोतल टांगकर बारिश में चालक बस दौड़ा रहा था. कई बार शीशे पर नींबू रगड़कर भी वाइपर का काम चलाया गया. अभी एक दिन पहले ही लखनऊ में राजभवन के सामने बस में वाइपर न होने के चलते रोडवेज बस बारिश में डिवाइडर पर चढ़ गई. गनीमत ये रही कि कोई बड़ी दुर्घटना नहीं हुई.
बसों के कायाकल्प में लापरवाही, अब होगी कार्रवाई :उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम ने बरसात से पहले बसों का कायाकल्प करने के लिए मिशन कायाकल्प अभियान शुरू किया. इस अभियान के तहत बसों की सीलिंग को तारकोल लगाकर और बसों की बॉडी भी बारिश में न टपके इसके लिए पूरी तरह से रिपेयर करने के निर्देश दिए गए. बसों का रंग रोगन भी कराया गया. जिम्मेदारी भी तय की गई कि अगर बारिश में बस टपकी, तो इसके लिए अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी.