लखनऊ: उत्तर प्रदेश के किसी भी सरकारी अस्पतालों में फ्लू वैक्सीन नहीं है. इस कारण लोग आए दिन बीमार पड़ रहे है. इस वैक्सीन का इस्तेमाल छोटी-मोटी बीमारियों और वायरल फ्लू के बीमारियों के लिए किया जाता है.
सिविल अस्पताल के वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. आनंद कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि फ्लू वैक्सीन इसलिए लगाई जाती है कि लोग बार-बार होने वाले वायरल बीमारियों से छुटकारा पा सकें. यह अच्छी वैक्सीन है. इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं है. इस वैक्सीन को लगवाने वाले व्यक्ति को बार-बार बीमारी नहीं होती है. सर्दी, खांसी, जुखाम और वायरल बुखार के लिए यह असरदार है.
उन्होंने कहा कि मौसमी फ्लू और इसकी संभावित गंभीर जटिलताओं के जोखिम को कम करने का सबसे अच्छा तरीका हर साल टीका लगवाना है, लेकिन बीमार लोगों से दूर रहना, खांसते समय मुंह को ढकना और हाथ धोना जैसी निवारक क्रियाएं भी वायरल के प्रसार को रोकने और फ्लू जैसी श्वसन संबंधी बीमारियों को रोकने में मदद करती हैं.
उन्होंने कहा कि फ्लू सीजन में केवल एक खुराक वैक्सीन की आवश्यकता होती है. टीकाकरण के बाद सुरक्षा विकसित होने में लगभग दो सप्ताह का समय लगता है. फ्लू के कई वायरस हैं और वे हमेशा बदलते रहते हैं. हर साल एक नया फ्लू वैक्सीन बनाया जाता है, ताकि आने वाले फ्लू के मौसम में बीमारी का कारण बनने वाले इन्फ्लूएंजा वायरस से बचाव किया जा सके.
बाराबंकी निवासी सौरभ सक्सेना ने बताया कि एक महीने में तीन बार वायरल फ्लू हुआ है. दवाई पर चल रहे हैं. वायरल फ्लू की वैक्सीन आती है, ऐसी कोई जानकारी नहीं है. कभी सुना नहीं है. वहीं एक और मरीज दिप्ती कुशवाहा ने बताया कि मुझे इस वैक्सीन की जानकारी तो है. लेकिन कहां लगेगी और कौन लगाएगा, इसकी जानकारी नहीं है. आज से दो वर्ष पहले सरकारी अस्पतालों में एक दो बार पूछा था, लेकिन वहां नहीं लगती है. बस इतनी ही जानकारी प्राप्त हुई थी.