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स्वास्थ्य व्यवस्था का हाल : स्टाफ की कमी से जूझ रहा मेरठ मेडिकल कॉलेज, टेंशन में मरीज और तीमारदार

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 26, 2024, 11:59 AM IST

यूपी के मेरठ जिले में स्थित लाला लाजपत राय स्मारक मेडिकल कॉलेज (Lala Lajpat Rai Memorial Medical College in Meerut) में लगभग तीन हजार मरीजों की ओपीडी प्रतिदिन होती है. मेडिकल काॅलेज में इन दिनों स्टाफ की भारी कमी है.

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जानकारी देते लाला लाजपत राय स्मारक मेडिकल कॉलेज के मीडिया प्रभारी वीडी पांडेय

मेरठ :जिले में स्थित लाला लाजपत राय स्मारक मेडिकल कॉलेज को वेस्टर्न यूपी के तीन मंडलों का एम्स कहा जाता है. यहां लगभग तीन हजार मरीजों की ओपीडी प्रतिदिन होती है. हैरानी की बात यह है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सबसे महत्वपूर्ण इस मेडिकल कॉलेज में स्टाफ की भारी कमी वर्षों से बनी हुई है.

उपचार के लिए आते हैं मरीज :पश्चिमी यूपी के इस मेडिकल कॉलेज में हर दिन हजारों मरीज उपचार के लिए इस भरोसे यहां आते हैं कि उन्हें बेहतर उपचार मिलेगा. यहां की हालत बेहद ही दयनीय है. तमाम तरह के स्टाफ की कमी भी बनी हुई है. इतना ही नहीं यहां से काफी मेडिकल स्टाफ अब तक रिटायर हो चुका है. काफी स्टाफ का समय-समय पर ट्रांसफर भी होता रहता है. इसका खामियाजा यहां भुगतना पड़ता है. मेरठ मंडल के सभी जिलों समेत सहारनपुर और मुरादाबाद मंडल से भी मरीज यहां उपचार के लिए आते हैं.

मेडिकल कॉलेज में खाली हैं पद :मेडिकल कॉलेज के जिम्मेदार दावा करते हैं कि इनमें से नियमित और संविदाकर्मी के तौर पर सेवा देने वाले सदस्य नियमित रूप से अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इसी प्रकार नर्सिंग स्टाफ के मेडिकल कॉलेज की तरफ से और अस्पताल की तरफ से पद स्वीकृत हैं. इसमें कॉलेज की तरफ से 181 पद स्वीकृत हैं जबकि, हॉस्पिटल की तरफ से 167 पद स्वीकृत हैं. इसी प्रकार कॉलेज की तरफ से जो नर्सिंग स्टाफ के पद हैं उनमें साढ़े तीन सौ नर्सिंग स्टाफ कार्यरत हैं. वहीं, कॉलेज की तरफ से जो पद स्वीकृत हैं उनकी संख्या 167 है. जिनमें से 44 कार्यरत हैं जबकि, उनमें से 123 पद रिक्त हैं.

मैटर्न फैकल्टी के 236 पद हैं जबकि, 155 लोग कार्यरत हैं. इनमें नियमित भी हैं और संविदाकर्मी भी, इन 155 में से 75 नियमित हैं बाकी रिक्त हैं. नर्सिंग में दो व्यवस्थाएं हैं जिनके कुल पद 881 हैं. इनमें से संविदा पर 140 ही हैं. इसी तरह परमानेंट सिस्टर 57 हैं. नर्सिंग ऑफिसर 140 और आउटसोसिंग पर 183 हैं. बाकि के पद रिक्त हैं, इस तरह कुल 230 हैं. वर्तमान में नर्सिंग स्टाफ के 500 से अधिक पद रिक्त हैं. ये हालात तो मेडिकल कॉलेज के हैं. इसी प्रकार अब अगर अस्पताल की बात करें तो सहायक नर्सिंग अधीक्षिका मैटर्न के 8 पद स्वीकृत हैं, जिनमें से दो ही कार्यरत हैं और 6 पद खाली हैं. मैटर्न नर्सिंग स्टाफ के 111 पद हैं, जिनके सापेक्ष 23 कार्यरत हैं, 88 रिक्त हैं. यहां सिस्टर के 48 पद हैं, जिनमें 19 कार्यरत हैं जबकि 29 रिक्त हैं.

इसी तरह अन्य स्टाफ के स्वीकृत पद 167 हैं. वर्किंग सिर्फ 44 हैं और 123 पद रिक्त हैं. फिलहाल इस डाटा से यह बात स्पष्ट हो जाती है कि तमाम तरह के स्टाफ की कमी है. इसका सीधा असर मरीजों पर पड़ रहा है. सरकार के उस विजन पर पड़ेगा जिसका दावा सरकार करती है कि सभी को उपचार मिले. बता दें कि बीते दिनों तो प्रदेश के डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री मेरठ पहुंचे थे. तब मेडिकल कॉलेज में स्टाफ की कमी के बारे में उन्हें पुनः अवगत भी प्रिंसिपल समेत अन्य जिम्मेदारों ने कराया था. उससे पहले भी समय-समय पर यह मांग उठती रही है. लेकिन, अभी तक तो किसी का ध्यान इस तरफ नहीं पहुंचा है.

मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल आरसी गुप्ता का कहना है कि यहां पर सीमित मेडिकल स्टाफ है, यह बिल्कुल सही है, लेकिन उसके बावजूद कोशिश की जाती है कि जो भी मरीज यहां आएं उन्हें असुविधा न होने दी जाए. वह बताते हैं कि यहां मेडिकल फैकल्टी से लेकर तमाम तरह के स्टाफ की कमी है.


लाला लाजपत राय स्मारक मेडिकल कॉलेज के मीडिया प्रभारी वीडी पांडेय बताते हैं कि मेरठ का मेडिकल कॉलेज पश्चिमी यूपी का एम्स कहा जाता है. यहां तीन मंडलों के मरीज उपचार के लिए अलग-अलग जिलों से आते हैं. यहां हर दिन जो ओपीडी होती है वह तीन से साढ़े तीन हजार मरीजों की होती है. यहां पर यूं तो मेडिकल कॉलेज के लिए प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर भी चिकित्सक के रूप में तैनात हैं. इसी प्रकार नर्सिंग असिस्टेंट समेत विभिन्न स्टाफ के पद हैं. यहां सभी अपनी सेवाएं देते हैं. मीडिया प्रभारी वीडी पांडेय बताते हैं कि मेडिकल कॉलेज में जो संकाय सदस्य हैं. उनके कुल 336 पद स्वीकृत हैं जबकि, वर्तमान में महज 136 स्टाफ ही इनमें से उपलब्ध है.

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