जयपुर : सुप्रीम कोर्ट ने जल जीवन मिशन घोटाले के मामले में पीएचईडी के ठेकेदार पदमचंद जैन को ईडी प्रकरण में जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है. जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस एजी मसीह और जस्टिस विनोद चन्द्रन की पीठ ने पदमचंद जैन की विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्णय लिया.
अदालत ने पहले ही जल जीवन मिशन घोटाले के मूल मामले में पदमचंद जैन को जमानत दी थी. कोर्ट ने यह भी कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि जिस मंत्री को कथित तौर पर फायदा पहुंचाने के लिए लेनदेन हुआ, उसे इस मामले में आरोपी नहीं बनाया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी उल्लेख किया कि मामले के मुख्य साक्ष्य दस्तावेज पहले ही ईडी द्वारा जब्त कर लिए गए हैं, इसलिए उन दस्तावेजों से छेड़छाड़ की संभावना नहीं है. इसके अलावा, मामले में लगभग 50 गवाहों का परीक्षण बाकी है, जिसमें समय लगने की संभावना है. इस आधार पर अदालत ने पदमचंद जैन को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया.
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पदमचंद जैन की दलील :पदमचंद जैन की ओर से दलील दी गई थी कि मामले में समान भूमिका वाले अन्य आरोपियों को पहले ही जमानत दी जा चुकी है और वह लंबे समय से जेल में हैं. इसके अलावा उन्हें पहले ही मूल प्रकरण में जमानत मिल चुकी है, इसलिए उनकी विशेष अनुमति याचिका को स्वीकार करके उन्हें जमानत पर रिहा किया जाए. वहीं, ईडी ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता आरोपी पीएचईडी टेंडर घोटाले में करीब 136.41 करोड़ रुपए के गबन में शामिल हैं. उसके खिलाफ आरोप गंभीर प्रकृति के हैं. ईडी ने यह भी कहा कि सह आरोपी पीयूष जैन और संजय बडाया की तुलना में पदमचंद जैन पर लगाए गए आरोप अधिक गंभीर हैं.
सुनवाई के बाद अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद पदमचंद जैन को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया. उल्लेखनीय है कि जल जीवन मिशन में फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से करोड़ों रुपए के टेंडर लेने के मामले में एसीबी ने 2023 में कार्रवाई करते हुए श्याम ट्यूबवेल कंपनी के संचालक पदमचंद जैन, उनके बेटे पीयूष जैन और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया था. बाद में ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में अलग से प्रकरण दर्ज किया और 13 जून, 2023 को पदमचंद जैन को गिरफ्तार किया था.