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किसी ने 35 तो किसी ने 55 लाख दिए, 6 महीने पनामा के जंगलों में गुजारे, अब अमेरिका से हुए डिपोर्ट - DEPORTED YOUTH FROM AMERICA

इस रिपोर्ट में पढ़िए जींद के 2 युवकों की कहानी, जो जमीन बेचकर अमेरिका गए, लेकिन डिपोर्ट होकर घर लौट आए.

DEPORTED YOUTH FROM AMERICA
अमेरिका से डिपोर्टेड युवा (File Photo)

By ETV Bharat Haryana Team

Published : Feb 16, 2025, 10:35 PM IST

जींद: कुछ बड़े सपनों की उड़ान भरकर युवाओं ने विदेश की तरफ रूख किया था. इसी प्रकार के सपने संजोने वाला सफीदों उपमंडल के सबसे बड़े गांव मुआना का निशांत भी था. अपने सपनों को पूरा करने के लिए इसी वर्ष जनवरी माह में अच्छी मोटी राशी खर्च करके डंकी के रास्ते अमेरिका गया था और उसे वहीं पर पकड़ लिया गया. अब उसे डिपोर्ट करके भारत वापस भेज दिया गया.

55 लाख रुपए एजेंट को दिए : उसके पिता अशोक ने अपने बेटे को अमेरिका भेजने के लिए अपनी करीब डेढ़ एकड़ जमीन तक बेच दी. पिता ने 55 लाख रुपए एजेंट को दिए और एजेंट ने डंकी के रास्ते से उसको अमेरिका भेज दिया. शुरूआती तौर पर एजेंट के साथ 36 लाख रुपए में सौदा तय हुआ था, लेकिन एजेंट ने इधर-उधर फंसने की बात कहकर परिवार से करीब 55 लाख रुपए ले लिए. निशांत अभी जनवरी माह में ही गांव मुआना से रवाना हुआ था. रविवार को अमेरिका द्वारा वापस भेजे गए 116 भारतीयों में हरियाणा के 33 युवाओं में गांव मुआना निवासी निशांत का नाम भी शामिल है.

परिवार खेती पर ही निर्भर : निशांत का परिवार खेती बाड़ी पर निर्भर था. निशांत के पिता अशोक किसी तरह से खेतीबाड़ी करके अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे थे. लेकिन निशांत विदेश में जाकर पैसा कमाना चाहता था, ताकि उसका परिवार समृद्ध हो सके. निशांत की दो बड़ी बहनें व एक छोटा भाई है. फिलहाल तीनों कॉलेज की पढ़ाई कर रहे हैं. निशांत विदेश में जाकर अच्छा खासा पैसा कमाकर अपनी बहनों की पूरी धूमधाम से शादी करना चाहता था और अपने भाई को भी कामयाब व्यक्ति बनाना चाहता था.

5 एकड़ जमीन, अब बची केवल आधा एकड़ : पहले निशांत के परिवार के पास कुल 5 एकड़ जमीन थी. जिसमें से तीन एकड़ जमीन पहले ही बिक चुकी थी और डेढ़ एकड़ जमीन बेचकर 55 लाख रूपए एजेंट को दिए. अब परिवार के पास मात्र आधा एकड़ ही जमीन बची है. निशांत ने डंकी के रास्ते अमेरिका में एंट्री तो कर ली लेकिन उसे बॉर्डर पर ही पकड़ लिया गया. अब उसे वहां की सरकार के द्वारा डिपोर्ट करके वापस भेज दिया गया. उसके भारत लौटने से स्वयं उसके और परिवार के सपने चकनाचूर हो गए हैं. परिवार पर एक प्रकार से भारी कुठाराघात हुआ है. उसके डिपोर्ट होने की खबर पाकर परिवार का रो-रोकर बुरा हाल है.

दुबई और थाईलैंड की भी कर चुका कोशिश : इससे पहले भी निशांत दुबई और थाईलैंड देश में जाने के लिए प्रयास कर चुका है लेकिन बीमार होने के कारण वापस आ गया था. अबकी बार उसने डंकी के रास्ते अमेरिका जाने में कामयाबी हासिल की तो किस्मत को मंजूर कुछ ओर ही था. अब वह वापस भारत लौट चुका है.

कुछ इसी तरह की है जींद के रवि की कहानी : वहीं, जींद के सोमनाथ मंदिर के पास गली नंबर दो निवासी रवि 10 जुलाई 2024 को अमेरिका जाने के लिए घर से निकला था. रवि के भाई अमन ने बताया कि 29 लाख रुपए में एजेंट ने अमेरिका भेजने की बात कही थी. उन्होंने कहा था कि पहले उसे दुबई भेजेंगे, वहां से सीधे लीगल तरीके से अमेरिका भेज देंगे. उसके भाई को पहले दुबई भेजा गया. वहां कई माह तक रखा, इसके बाद पनामा के जंगलों से डंकी रूट के जरिए अमेरिका गए. जंगलों में जाकर एजेंट ने छह लाख रुपए की और मांग की. उसके भाई रवि को कई दिनों तक खाना नहीं दिया गया. पांच से छह महीने जंगल में ही काटे. इस दौरान कई तरह की परेशानियों का सामना रवि को करना पड़ा.

9 माह में अमेरिका पहुंचा, 20 दिन ही रह पाया : एजेंट द्वारा छह लाख रुपए की और डिमांड की गई तो उसके पिता ने प्लाट बेचकर और लोन लेकर रुपए जुटाए और एजेंट को दिए. इसके बाद 20 दिन पहले ही रवि दीवार कूदकर अमेरिका पहुंचा था, तभी वापस डिपोर्ट कर दिया गया. रवि को अमेरिका तक कई देशों से होते हुए 9 माह में पहुंचाया गया लेकिन अमेरिका से मात्र 20 दिन में ही वापस डिपोर्ट कर दिया गया. एजेंटों ने 35 लाख रुपए हड़प लिए.

बीए की पढ़ाई बीच में ही छोड़कर गया था अमेरिका : अमन ने बताया कि 26 वर्षीय रवि ने बीए की पढ़ाई को बीच में ही छोड़ दिया था. अमन का कहना है कि एजेंटों ने एंक नंबर से लीगल तरीके से अमेरिका पहुंचाने की बात कही थी, लेकिन उसके साथ धोखाधड़ी की गई. परिजनों के अनुसार शामलो के दीपक मलिक, रजत मोर, मनीष पंडित पेटवाड़ ने उसे अमेरिका भेजा था.

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