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अजमेर संभाग के सबसे पुराने चौथ माता मंदिर में पूजन के लिए लगा रहा तांता, चंद्रमा को अर्घ्य देकर महिलाएं खोलेंगी व्रत - CHAUTH MATA MANDIR IN AJMER

तिल चौथ के मौके पर अजमेर संभाग के सबसे पुराने चौथ माता मंदिर में महिला श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है.

Chauth Mata Mandir in Ajmer
अजमेर में चौथ माता का सबसे पुराना मंदिर (ETV Bharat Ajmer)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jan 17, 2025, 8:28 PM IST

अजमेर:अजमेर में ऋषि घाटी स्थित संभाग का सबसे बड़ा डेढ़ सौ वर्ष पुराना चौथ माता का मंदिर है. यहां चौथ माता की गोद में बाल स्वरूप गणेश विराजित हैं. इनके दोनों और चंवर करती हुई माता रिद्धि-सिद्धि की प्रतिमा है. यहां हर माह की चौथ तिथि को दर्शन और पूजा के लिए बड़ी संख्या में लोग आते हैं. खासकर तिल चौथ के दिन यहां मेला सा लगा रहता है.

चौथ माता मंदिर से पूरी होती हैं मनोकामनाएं (ETV Bharat Ajmer)

150 बरस पुरानी चौथ माता के मंदिर में तिल चौथ के दिन सुबह से ही महिलाओं का पूजा-अर्चना और दर्शन के लिए तांता लगा रहा. महिलाओं ने विधिवत पूजा अर्चना करने के बाद चौथ माता को घर पर बने हुए तिल और गुड के व्यंजन का भोग लगाया. साथ ही चौथ माता के दीपक जलाकर वंश वृद्धि, परिवार में सुख समृद्धि की कामना की. चौथ माता को भोग लगाने के बाद भगवान सूर्य को भी अर्घ्य भी दिया. इसके बाद मंदिर में ही बुजुर्ग महिलाओं से भगवान गणेश और चौथ माता की कहानी सुनी.

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मंदिर के पुजारी पंडित प्रमोद शर्मा ने बताया कि मंदिर का इतिहास 150 साल पुराना है. 80 बरस पहले मंदिर में नई प्रतिमाएं स्थापित की गई थी. यहां हर महीने पूर्णिमा के बाद हर चौथ पर महिलाएं पूजन कर कथा सुनने के लिए आती हैं. अजमेर संभाग का यह चौथ माता का मंदिर सबसे पुराना है. तिल चौथ पर महिलाएं माता को तेल और गुड़ से बने व्यंजन का भोग लगाती हैं. उन्होंने कहा कि मान्यता है कि चौथ माता के व्रत करने से निसंतान महिला को पुत्र की प्राप्ति होती है. वहीं संतान वाली महिलाएं अपने संतान की सुरक्षा के लिए माता से कामना करती हैं.

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बुजुर्ग शकुंतला शर्मा ने बताया कि चौथ माता की पूजा करने वाली महिलाओं को भगवान गणेश और चौथ माता की कहानी जरूर सुनाई चाहिए. व्रत करने से हर मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. श्रद्धालु पूजा ने बताया कि तिल चौथ के अवसर पर चौथ माता के मंदिर में पूजा-अर्चना करने के लिए बड़ी संख्या में महिलाएं आती हैं. श्रद्धालु श्वेता बताती हैं कि वर्षों से वह चौथ माता के मंदिर में पूजा के लिए आती रही हैं. चौथ माता की पूजा करने से निसंतान दंपती को संतान प्राप्ति होती है. उन्होंने बताया कि रात को चंद्रमा देखने के बाद उसे अर्घ्य दिया जाता है. जो महिलाएं मंदिर नहीं आ पाती हैं, वे रात को चौथ माता की पूजा करने के बाद व्रत खोलती हैं.

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