सागर: भारतीय सेना की टेरिटोरियल आर्मी (प्रादेशिक सेना) की स्थापना के 75 साल पूरे होने के अवसर पर सेना के 21 जवान चुनौतीपूर्ण साइकिल यात्रा कर समुद्र में डूब चुके दक्षिणी छोर पर भारत का झंडा लहराएंगे. 30 जुलाई को सियाचीन ग्लेशियर से शुरू हुई यात्रा मंगलवार 27 अगस्त को सागर पहुंची. जहां महार रेजिमेंट सेंटर पर इनका भव्य स्वागत किया गया. भारी बारिश के बीच अब तक 1650 किमी का सफर तय कर चुके जवान जोश और उत्साह से भरे हैं. गौरतलब है कि 2004 की सुनामी में ओरिजनल इंदिरा प्वाइंट समुद्र की गहराइयों में पहुंच गया है. सेना के जवान स्कूबा डाइविंग कर समुद्र के अंदर इंदिरा प्वाइंट पर तिरंगा फहराएंगे.
सियाचीन गलेशियर से अंडमान तक साइकिल यात्रा
मेजर अभिनव सिंह रावत ने बताया कि "ये साइकिल यात्रा हमने से सियाचीन ग्लेशियर लद्दाख से शुरू की थी और इसे अंडमान निकोबार दीप समूह के आखिरी द्वीप केंबल वे के सबसे दक्षिणी छोर इंदिरा प्वाइंट पर खत्म करेंगे. दोनों के बीच की दूरी करीब 5500 किलोमीटर है. आज हम सागर पहुंचे हैं, तो यहां से चेन्नई तक साइकिल से ही जाएंगे. उसके बाद आर्मी एयरक्राफ्ट से पोर्ट ब्लेयर पहुंचेंगे. पोर्ट ब्लेयर में जो बड़े द्वीप हैं, वहां साइकिल चलाएंगे और एक द्वीप से दूसरे द्वीप के बीच सेलिंग करेंगे. जब हम आखरी द्वीप केंबल वे पहुंचेंगे और वहां के आखिरी बिंदु इंदिरा प्वाइंट पर डीप स्कूबा डाइव करेंगे. स्कूबा डाइव के जरिए हम समुद्र की तलहटी में जाएंगे और 2004 की सुनामी में डूब चुके ओरिजिनल इंदिरा प्वाइंट पर भारत का परचम लहराने के बाद आराम करेंगे."
मुश्किलों और चुनौतियों भरा सफर
देश के उत्तरी छोर से दक्षिणी छोर तक करीब 5500 किलोमीटर की साइकिल यात्रा को लेकर अभिनव सिंह रावत बताते हैं कि "हमने ये यात्रा 30 जुलाई को शुरू की थी. एकाध दिन बारिश के कारण हमें यात्रा को रोके रखना पड़ा और 7 व 8 दिन के बाद एक बार हम रेस्ट लेते हैं. हमारी टीम में 2 अफसर, 3 जूनियर कमांडिंग ऑफिसर और 16 अलग-अलग रैंक के जवान हैं."