नाहन: वर्ष 2025 तक देश और प्रदेश को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, लेकिन सरकार के इस सपने की राह में वह लोग रोड़ा बनते नजर आ रहे हैं, जो टीबी को लेकर गलतफहमी के चलते इसके टेस्ट करवाने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं, या यूं कहे कि वह टीबी की सैंपलिंग के लिए हिचकिचा या फिर डर रहे हैं. ऐसा ही कुछ हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में भी देखने को मिल रहा है. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग को सैंपलिंग के लिए दिक्कतों का भी सामना करना पड़ रहा है. दरअसल टीबी उन्मूलन को लेकर सरकार और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की ओर से कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. टीबी ग्रस्त लोगों को उपचार और अन्य लोगों को जागरूक किया जा रहा है. हालांकि टीबी मामलों में कमी आई है, लेकिन अभी भी इस पर पूरी तरह से काबू नहीं पाया जा सका है.
टेस्ट करवाने आगे नहीं आ रहे लोग
स्वास्थ्य विभाग की माने तो टीबी को लेकर लोगों में गलतफहमी है. इतने जागरूकता कार्यक्रमों के बाद भी लोग टीबी को लेकर अवेयर नहीं है. लोग टीबी के टेस्ट करवाने से आज भी हिचकिचा रहे हैं. स्वास्थ्य जांच शिविरों में अकसर देखा गया है कि अन्य टेस्ट करवाने की अपेक्षा टीबी के लिए सैंपल देने लोग आगे नहीं आ रहे हैं.
जांच के लिए आगे आए लोग: सीएमओ
सीएमओ सिरमौर डॉ. अजय पाठक ने बताया कि राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के तहत 2025 तक देश व प्रदेश को टीबी फ्री करवाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. इसके लिए विभाग ने अनेक कार्यक्रम चलाए हैं. उन्होंने बताया कि आज भी लोग टीबी की सैंपलिंग के लिए हिचकिचाते हैं. उन्होंने लोगों से आह्वान किया कि वह लक्षण दिखने पर टीबी की जांच के लिए आगे आए. इससे घबराने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि इसका इलाज संभव है.
टीबी सैंपल जांच के लिए 22 सेंटर
सीएमओ ने बताया कि सिरमौर जिले में टीबी सैंपल जांच के लिए 22 सेंटर उपलब्ध है. इनमें 15 डीएमसी, 4 सीबी नॉट और 3 ट्रूनेट सेंटरों के माध्यम से टीबी संभावित लोगों के सैंपल की जांच की जा रही है. सीबी नॉट सुविधा जिले के नाहन, पांवटा साहिब, शिलाई, राजगढ़, सराहां, ददाहू और सीएचसी ददाहू में उपलब्ध है. इसके अलावा जहां इन सैंटरों की सुविधा उपलब्ध नहीं है, वहां से आशा कार्यकर्ताओं के माध्यम से सैंपल लैब तक पहुंचाए जा रहे हैं.
जिले में अभी 630 टीबी के मरीज
जिला सिरमौर में वर्तमान में टीबी के 630 के करीब मरीज हैं, जिनका उपचार चल रहा है. मरीज के ठीक होने पर ये आंकड़ा कम ज्यादा होता रहता है. उन्होंने बताया कि जिले में हर साल औसतन 1200 से 1250 के मामले रहते हैं. ऐसे में टीबी उन्मूलन कार्यक्रम और 2025 तक देश को टीबी फ्री करने के लक्ष्य को लेकर स्वास्थ्य विभाग को खासी करसत करनी पड़ रही है.