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बालोद में रेंजर के बयान पर उठ रहे सवाल, तांदुला जलाशय के किनारे फेंसिंग को लेकर दिया ये तर्क - तांदुला जलाशय

Tandula reservoir surrounded with barbed wire: बालोद का तांदुला जलाशय कटीले तारों से घेर दिया गया है. इससे वन्य प्राणियों को जल की समस्या हो रही है. इस बीच बालोद वन विभाग के रेंजर के बयान पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं.

Tandula reservoir
तांदुला जलाशय

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Feb 21, 2024, 4:57 PM IST

Updated : Feb 21, 2024, 5:16 PM IST

तांदुला जलाशय के किनारे फेंसिंग

बालोद:जीवन दायिनी तांदुला जलाशय मानव जीवन के साथ-साथ वन्य प्राणियों के लिए भी काफी महत्वपूर्ण है. हाल ही में वन विभाग ने इस जलाशय को चारों ओर से कटीले तार से घेर दिया. लगभग 6 से 8 फीट इसे घेरा गया. ऐसे में यह सवाल यह उठता है कि आखिर वन्य प्राणी जलाशय से पानी कैसे पी पाएंगे? वहीं, जंगल में खोदे गए ज्यादातर तालाब भी सूखे हुए हैं. इस बीच वन विभाग के रेंजर का बयान सामने आया है. वन विभाग के रेंजर का कहना है कि, "वन्य प्राणी नीलगाय कटीले तार से कूदकर जलाशय तक पहुंच सकते हैं. इससे उनकी प्यास बुझ जाएगी."

गर्मी में बढ़ेगी जल समस्या: दरअसल, तांदुला जलाशय जो कि वन्य क्षेत्र का एक हिस्सा है. यहां पर वन्य प्राणियों का जमावड़ा रहता है. तेंदुए से लेकर हिरण, नील गाय अक्सर यहां देखे जाते हैं. ऐसे में इस जगह को चारों ओर से घेर दिया गया है. इससे जलाशय की जो खूबसूरती है, वो तो घटी है. साथ ही भीषण गर्मी में वन्य प्राणियों को भी तकलीफ होने वाला है.

वन्य प्राणी नील गाय ऊपर से कूदकर जलाशय तक जा सकता है. एक जगह रास्ता छोड़ा गया है. बारिश में जो तालाब सूख चुके हैं, उसमें पानी भर जाएगा. -हेमलता उइके, रेंजर, बालोद वन विभाग

कांग्रेस नेताओं ने लगाए आरोप:इस संदर्भ में यूथ कांग्रेस के शहर अध्यक्ष साजन पटेल ने बताया कि, "समझ नहीं आता कि आखिर इसे क्यों घेरा गया है? वन्य प्राणी जलाशय तक अपनी प्यास बुझाने आखिर पहुंचेंगे कैसे? वन विभाग का यह भी कहना है कि जंगल में तालाब खोदे गए हैं परंतु जो तालाब खोदे गए हैं, वह तो सूखे हैं. वहां पानी भरने का फिलहाल कोई साधन नहीं है. सीधे-सीधे यहां जेब भरने का काम चल रहा है."

इस जगह को हम बचपन से देख रहे हैं. पहली बार इसे घेर दिया गया है. हम सुबह वॉक करने आते हैं तो देखते हैं कि जानवर प्यासे बेबस कटीली तार के बाहर खड़े रहते हैं. आखिर इसमें वन्य प्राणियों का भला कैसे होगा? -तरुण नाथ योगी, स्थानीय

क्या कहते हैं ग्रीन कमांडो: इस पूरे मामले में वन्य प्राणियों के संरक्षण वाले क्षेत्र में काम कर रहे ग्रीन कमांडो वीरेंद्र सिंह का कहना है कि, "आखिर हर एक जानवर कैसे ढूंढ पाएंगे कि पानी के पीने के लिए रास्ता कहां पर छूटा हुआ है. जलाशय में हमेशा पानी रहता है, इसलिए इस क्षेत्र में सर्वाधिक जानवरों का जमावड़ा रहता है इसके लिए जो संभव हो सके प्रयास किया जाएगा, ताकि वन्य प्राणियों का भला हो सके, वन्य प्राणी तार कूदकर कैसे पानी पीने जलाशय तक जाएंगे."

अक्सर नील गाय होती है घायल: स्थानीय लोगों की मानें तो जंगल के बीच में खोदे गए ज्यादातर तालाब सूखे हुए हैं, जिसके कारण वन्य प्राणियों को काफी दिक्कतें होगी. गर्मी बढ़ने से जल की कमी से कई जानवरों की मौत तक हो जाती है. ऐसे में तालाब भरने के लिए बारिश का इंतजार करना होगा. जिस जगह को तार से घेरा गया है, वह वन्य प्राणियों का विचरण क्षेत्र है. यहां पर नील गाय अक्सर आती रहती है. इन वन्य जीवों के फेंसिंग में फंसने के कारण घायल होने की सूचना मिलते रहती है. जलाशय को तार से घेरने का आखिर उद्देश्य क्या है? ये समझ से परे है. इस बीच वन विभाग की रेंजर का अटपटा बयान सामने आना. ऐसे में अब सवाल यह उठता है कि क्या सच में जानवर प्यास बुझाने के लिए कटीले तार के घेरे से कूदकर जलाशय तक पहुंचेंगे?

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Last Updated : Feb 21, 2024, 5:16 PM IST

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