आगरा :लघुवाद न्यायालय के न्यायाधीश मृत्युंजय श्रीवास्तव की अदालत में ताजमहल या तेजोमहालय विवाद की बुधवार को सुनवाई हुई. जिसमें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने मुस्लिम पक्ष के सैय्यद इब्राहिम हुसैन जैदी के इस मामले में वादी बनाए जाने के प्रार्थना पर आपत्ति दाखिल की.
सुनवाई के दौरान एएसआई ने कहा कि सैय्यद इब्राहिम हुसैन जैदी को पक्षकार बनाए जाने का कोई अधिकार नहीं है. न्यायालय में हर जानकारी देने की जिम्मेदारी एएसआई की है. जिस पर सैय्यद इब्राहिम हुसैन जैदी के अधिवक्ता ने इस मामले में जबाव दाखिल करने के लिए समय की मांग की है. जिस पर न्यायाधीश मृत्युंजय श्रीवास्तव ने इस मामले में सुनवाई की अगली तारीख 16 दिसंबर दी है, जबकि वादी योगी यूथ बिग्रेड के अध्यक्ष और वादी अधिवक्ता ने इस मामले में कोर्ट कमिश्नर नियुक्ति करने के प्रार्थना पत्र के बाद अब ताजमहल के सर्वे की मांग की है. जिसको लेकर अगली सुनवाई में कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया जाएगा.
बता दें कि योगी यूथ बिग्रेड अध्यक्ष कुंवर अजय तोमर ने 23 जुलाई 2024 को अधिवक्ता शिव आधार सिंह तोमर के जरिए सावन माह में ताजमहल या तेजोमहालय में जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक की मांग की थी. इसके बाद से ही इस मामले में लगातार सुनवाई चल रही है. इस मामले में अब तक यूनियन ऑफ इंडिया के जरिए सचिव सांस्कृतिक मंत्रालय भारत सरकार को पक्षकार बनाया जा चुका है. इसके साथ ही मुस्लिम पक्ष से सैय्यद इब्राहिम हुसैन जैदी ने कोर्ट में खुद को वादी बनाए जाने का प्रार्थना पत्र दिया है. जिसमें वादी पक्ष, प्रतिवादी एएसआई और भारत संघ मिले होने का आरोप लगाया गया है.
ताजमहल का सर्वे कराने की देंगे अर्जी :वादी के अधिवक्ता शिव आधार सिंह तोमर ने बताया कि जिस तरह से एएसआई ने अब मुस्लिम पक्ष के सैय्यद इब्राहिम हुसैन जैदी के वादी बनाए जाने के प्रार्थना पत्र पर आपत्ति दाखिल की है. इससे साफ है कि प्रतिवादी एएसआई और सैय्यद इब्राहिम हुसैन जैदी मिले हुए हैं, जबकि हम कोर्ट में सात अक्टूबर को ही अपनी आपत्ति दाखिल कर चुके हैं. तब हमने भी कहा था कि सैय्यद इब्राहिम हुसैन जैदी की ताजमहल निजी प्रॉपर्टी नहीं है, ना ही वे शाहजहां के वंशज हैं, ऐसे में ये केस लड़ने का उनका कोई अधिकार नहीं है. पहले ही इस मामले में कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करने की अर्जी दाखिल कर चुके हैं. अब ताजमहल की हकीकत सबके सामने लाने के लिए कोर्ट में अगली सुनवाई पर ताजमहल के सर्वे कराने की अर्जी दाखिल की जाएगी. जिससे हर किसी के सामने हकीकत आए.
ताजमहल की छवि हो रही खराब :मुस्लिम पक्ष से सैय्यद इब्राहिम हुसैन जैदी ने इस मामले में वादी बनने को प्रार्थना पत्र दाखिल किया है. जिसमें कहा, कि सुर्खियों में रहने के लिए आगरा में कई लोग आए दिन ताजमहल को लेकर कुछ न कुछ करते रहते हैं. जिससे उनका चेहरा तो चमकता रहे. जो ताजमहल और आगरा की छवि दुनिया में खराब कर रहे हैं. अव्यवस्थाओं के जो वीडियो वायरल होते हैं, वो भी ताजमहल और आगरा के पर्यटन कारोबार के लिए ठीक नहीं हैं. उन्होंने कोर्ट में ये भी कहा था कि जहां पर मस्जिद या मकबरा है वो वक्फ संपत्ति है. ये मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है. अभी हमें वादी नहीं बनाया है. आज मैं अधिवक्ता के जरिए अपना पक्ष रखूंगा.
एएसआई ने की थी ये अपील :बता दें कि, सितंबर की सुनवाई में प्रतिवादी एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ. राजकुमार पटेल के अधिवक्ता विवेक कुमार ने न्यायालय में आपत्ति दाखिल की थी. जिसमें एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ. राजकुमार पटेल एक सरकारी अधिकारी होने की वजह से मुकदमा नहीं चलाने की जानकारी दी थी. इस मामले में भारत सरकार को प्रतिवादी बनाया जाए. जबकि, वादी ने अधिवक्ता के जरिए धारा 80 सीपीसी का नोटिस दिया था. जिससे सरकारी अधिकारी पर मुकदमा हो सकता है. इस मामले में भारत सरकार प्रतिवादी है.