रायपुर :छ्त्तीसगढ़ में बीजेपी और कांग्रेस ने 11 लोकसभा सीटों पर अपने प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया है. इन सीटों की यदि बात करें तो 9 सीटों पर बीजेपी काबिज है.जबकि 2 सीटों पर कांग्रेस ने कब्जा जमाया हुआ है. छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद से आज तक कांग्रेस प्रदेश में 2 सीटों से ज्यादा नहीं जीत सकी है.इस बार कांग्रेस का दावा है कि लोकसभा चुनाव के परिणाम चौंकाने वाले होंगे. आज हम आपको बताएंगे छत्तीसगढ़ की 11 लोकसभा सीटों पर कांग्रेस और बीजेपी के कैंडिडेट्स के बारे में.साथ ही जानेंगे क्या इस बार कांग्रेस पुराने इतिहास को बदल सकती है या फिर से एक बार फिर पुरानी तस्वीर ही सामने आएगी.
कांग्रेस के लिए प्लस प्वाइंट : लोकसभा चुनाव में इस बार कांग्रेस महागठबंधन के साथ मैदान में उतर रही है. बात यदि छत्तीसगढ़ की करें तो यहां पर ज्यादा से ज्यादा लोकसभा सीट जीतने के लिए कांग्रेस ने उन उम्मीदवारों को टिकट दिया है.जिनका जनाधार काफी ज्यादा है. कांग्रेस ने ऐसे चेहरों को मैदान में उतारा है,जिन्हें लोकसभा में हर कोई जानता पहचानता है. कांग्रेस की लिस्ट में भूपेश बघेल, ताम्रध्वज साहू,ज्योत्सना महंत, शिव डहरिया, देवेंद्र यादव, कवासी लखमा, शशि सिंह, विकास उपाध्याय ये कुछ ऐसे नाम हैं जिन पर कांग्रेस को बड़ी उम्मीद है. कांग्रेस का दावा है कि इन चेहरों के बूते वो लोकसभा चुनाव का किला फतह कर लेगी.
कांग्रेस के लिए बड़ी मुश्किल :विधानसभा चुनाव हारने के बाद कांग्रेस के लिए अपने कार्यकर्ताओं को एकजुट रखना बड़ी चुनौती है.जिन प्रत्याशियों को टिकट सौंपा गया है.उनमें से ज्यादातर को बाहरी प्रत्याशी बताकर कांग्रेस के अंदर ही विरोध के स्वर फूटने लगे हैं. भूपेश बघेल, विकास उपाध्याय,कवासी लखमा, शिव डहरिया, ताम्रध्वज साहू के नामों का पहले दिन से विरोध हो रहा है.यही नहीं कांग्रेस कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर करने के बाद मोदी फैक्टर को भी कांग्रेस को कम करना होगा.क्योंकि विधानसभा चुनाव में जिन वादों के बूते बीजेपी सत्ता में आई, उन्हें 100 दिनों के अंदर पूरा करने का काम सरकार ने किया है.ऐसे में लोकसभा चुनाव में बीजेपी के लिए कहने के लिए काफी कुछ है.वहीं 2018 विधानसभा चुनाव में बीजेपी का सूपड़ा साफ होने के बाद भी लोकसभा में इसका असर नहीं दिखा.अब जब प्रदेश में बीजेपी की सत्ता है तो ये कह पाना थोड़ा मुश्किल है कि कांग्रेस के लिए लोकसभा की राह आसान होगी.
बीजेपी के लिए राहत की बात : कांग्रेस में जहां अंतरकलह की बातें सामने आ रही हैं,वहीं बीजेपी के लिए इस बात को लेकर काफी राहत है. पार्टी ने एक साथ 11 लोकसभा सीटों पर टिकट का ऐलान काफी पहले किया.ऐसे में जहां भी विरोध के स्वर उठे उसे पार्टी ने शांत करवा लिया. बीजेपी ने उन चेहरों को बड़ी सीटों पर मौका दिया है,जिनका जनाधार है.साथ ही साथ विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी के पक्ष में जो नतीजे आए उससे कार्यकर्ता पूरी तरह से चार्ज हैं. यही नहीं मोदी की गारंटी को पूरा करने के लिए सरकार ने पहले 100 दिनों में दिन रात एक किया है. ऐसे में बीजेपी का दावा है कि वो 11 की 11 लोकसभा सीटों पर इस बार फतह हासिल करेगी.
बीजेपी के लिए परेशानी :विधानसभा चुनाव में मिली जीत का नशा अब भी कई कार्यकर्ताओं के सिर चढ़कर बोल रहा है. ऐसे में यदि कार्यकर्ता ओव्हर कॉन्फिडेंट हुए तो ये बीजेपी के लिए खतरे की घंटी हो सकती है.क्योंकि कांग्रेस ने जिन उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है,उन्हें कमतर नहीं आंका जा सकता. बीजेपी के लिए मोदी फैक्टर ने यदि काम नहीं किया तो लोकसभा चुनाव के नतीजे किसी भी ओर जा सकते हैं. विधानसभा चुनाव में ओव्हर ऑल वोट प्रतिशत की बात करें तो कांग्रेस का वोट बैंक कम नहीं हुआ है.यदि वोट बैंक ने एक बार फिर साथ दिया तो बीजेपी के लिए लोकसभा चुनाव में 11 की 11 सीट जीतने का सपना चकनाचूर हो सकता है.अब आईए आपको बताते हैं कांग्रेस और बीजेपी ने 11 लोकसभा सीटों में किन प्रत्याशियों पर दाव खेला है.
राजनांदगांव लोकसभा |
बीजेपी- संतोष पाण्डेय कांग्रेस- भूपेश बघेल |
संतोष पाण्डेय - संतोष पाण्डेय को बीजेपी ने दूसरी बार राजनांदगांव से लोकसभा उम्मीदवार बनाया है. 17वीं लोकसभा 2019 में पहली बार सदन पहुंचे थे. संतोष पाण्डेय की आरएसएस में अच्छी पकड़ है. बीजेपी कवर्धा मंडल के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी निभा चुके हैं. संतोष पाण्डेय दो बार प्रदेश बीजेपी में महामंत्री के साथ कृषि उपज मंडी कवर्धा के अध्यक्ष भी रहे हैं. संतोष पाण्डेय को रमन शासन के दूसरे कार्यकाल में छत्तीसगढ़ युवा आयोग का अध्यक्ष बनाया गया था. साल 2003 विधानसभा चुनाव लड़ा,लेकिन सफल नहीं हुए. इसके बाद भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश प्रभारी रह चुके हैं. बीजेपी प्रशिक्षण प्रकोष्ठ के प्रदेश सह-संयोजक रह चुके हैं. स्वर्गीय शिवप्रसाद पाण्डेय सहसपुर लोहारा मंडल के दो बार बीजेपी अध्यक्ष रहे. इनकी माता अविभाजित मध्यप्रदेश में कवर्धा जिले में जो बार जिला पंचायत सदस्य चुनी गईं थीं.
भूपेश बघेल : भूपेश बघेल की छवि पाटन की जनता के बीच लोकप्रिय नेता और सीएम की रही है. पाटन में जितने भी विकास के काम हुए उन सबका श्रेय भूपेश बघेल को जनता देती है. पाटन सीट से भूपेश बघेल अब तक पांच बार चुनाव जीत चुके हैं. भूपेश बघेल पर कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व पूरी तरह से भरोसा करता है. 2023 के विधानसभा चुनाव में भूपेश बघेल ने बीजेपी प्रत्याशी विजय बघेल को शिकस्त दी है.भूपेश बघेल को इस बार पार्टी ने राजनांदगांव सीट से संतोष पाण्डेय के खिलाफ उतारा है.
दुर्ग लोकसभा |
बीजेपी- विजय बघेल कांग्रेस- राजेंद्र साहू |
विजय बघेल : विजय बघेल भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर और तेजतर्रार नेता हैं. साल 2000 में वह नगर पालिका निगम चरोदा के प्रथम अध्यक्ष बने थे. वे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के रिश्तेदार होने के साथ साथ उनके राजनीतिक प्रतिद्वंदी भी माने हैं. 2023 के विधानसभा चुनाव में भूपेश बघेल के खिलाफ विजय बघेल को पार्टी ने उतारा था. जिसमें कड़ी टक्कर के बाद भूपेश बघेल को जीत मिली थी. दुर्ग लोकसभा के लिए एक बार फिर पार्टी ने सांसद विजय बघेल पर भरोसा जताया है. आपको बता दें कि विजय बघेल ने छत्तीसगढ़ में बीजेपी की सरकार लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. विजय बघेल को घोषणापत्र समिति का अध्यक्ष बनाया गया था.जिसके बाद उन्होंने पूरे प्रदेश में जाकर पार्टी कार्यकर्ताओं और आम जनता से बीजेपी के घोषणापत्र को लेकर राय मांगी थी. बताया जाता है कि बीजेपी के घोषणापत्र मोदी की गारंटी के कारण ही छत्तीसगढ़ में वोटर्स का मन बदला और प्रदेश में पंद्रह साल बाद सत्ता से बाहर हुई बीजेपी के लिए जीत के रास्ते खुले.
राजेंद्र साहू : दुर्ग लोकसभा से उम्मीदवार बनाए गए राजेंद्र साहू पूर्व सीएम भूपेश बघेल के करीबी माने जाते हैं. राजेंद्र साहू दुर्ग जिला सहकारी बैंक, दुर्ग के पूर्व अध्यक्ष भी रह चुके हैं. राजेंद्र साहू ने क्षेत्रीय पार्टी स्वाभिमान मंच से दुर्ग विधायक और महापौर का चुनाव लड़ा था. इसके बाद साल 2017 में वह फिर से कांग्रेस में शामिल हो गए. कांग्रेस ने दुर्ग से राजेंद्र साहू को टिकट देकर साहू समाज के मतदाताओं को साधने का प्रयास किया गया है.
जांजगीर लोकसभा |
बीजेपी- कमलेश जांगड़े कांग्रेस- शिव डहरिया |
कमलेश जांगड़े :बीजेपी ने जांजगीर लोकसभा सीट से कमलेश जांगड़े को टिकट दिया है. मौजूदा समय में कमलेश भारतीय जनता पार्टी में महिला मोर्चा की जिला अध्यक्ष हैं. कमलेश इससे पहले जिला पंचायत का चुनाव हार चुकी हैं. कमलेश साल 2005 से जनवरी 2015 तक दो पंचवर्षीय कार्यकाल में ग्राम पंचायत मसनियां कला से सरपंच रह चुकी हैं. पहली बार सरपंच कार्यकाल में उत्कृष्ट कार्य के लिए जिले में सर्वश्रेष्ठ सरपंच का सम्मान कलेक्टर ने कमलेश को सौंपा था. साल 2002 में विधार्थी परिषद संयोजक का दायित्व संभाला था. साल 2015 से 2020 तक प्रदेश महिला मोर्चा में विशेष आमंत्रित सदस्य और प्रदेश अनुसूचित जाति मोर्चा सदस्य के रूप में दायित्व संभाला.साल 2015 से 2020 तक सरगुजा जिला में जिला प्रभारी का दायित्व मिला. साल 2020 से बीजेपी जिला उपाध्यक्ष जांजगीर-चांपा का दायित्व मिला.
शिव डहरिया :शिव कुमार डहरिया का जन्म 18 दिसंबर 1964 को रायपुर जिले के अभनपुर में हुआ. पिता का नाम स्व. आशाराम डहरिया और पत्नी का नाम शकुन डहरिया है. शिव कुमार डहरिया ने बीएएमएस की पढ़ाई की है. शिव डहरिया ने 13 साल की उम्र ही राजनीति में कदम रखा. 1977 से लेकर 1988 तक स्कूल और कॉलेज में छात्र संघ के कई पदों पर नियुक्त हुए. साल 1990 में अनुसूचित जाति एवं जनजाति प्रकोष्ठ के संयुक्त मंत्री की जिम्मेदारी मिली.1997 में युवा कांग्रेस के महामंत्री बने. 1990 से 10 सालों तक जिला कांग्रेस कमेटी के महामंत्री रहे. इसके बाद साल 2000 में राज्य परिवहन प्रधिकरण के सदस्य बने. इसी बीच उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा मिला.साल 2001 में छत्तीसगढ़ कांग्रेस के प्रभारी महामंत्री के रूप में नियुक्त हुए.2003 में कांग्रेस पार्टी की ओर से उन्हें विधानसभा का टिकट दिया गया और वह जीतकर पहली बार विधायक बने। फिर 2008 में दूसरी बार और 2018 में तीसरी बार विधायक बने.2023 में चौथी बार विधानसभा चुनाव हार गए.इस बार जांजगीर चांपा लोकसभा सीट से शिव डहरिया को उम्मीदवार बनाया गया है.
महासमुंद लोकसभा |
बीजेपी- रूपकुमारी चौधरी कांग्रेस- ताम्रध्वज साहू |
रुपकुमारी चौधरी:बीजेपी ने महासमुंद लोकसभा सीट से बसना निवासी रूपकुमारी चौधरी को प्रत्याशी बनाया है. साल 2013 से 2018 तक रुपकुमारी बसना से विधायक रह चुकी हैं. मई 2015 से दिसंबर 2018 तक संसदीय सचिव का जिम्मा भी रूपकुमारी ने संभाला है. रुपकुमारी वर्तमान में महासमुंद जिलाध्यक्ष हैं.अघरिया समाज में रुपकुमारी चौधरी की अच्छी पकड़ मानी जाती है.रुपकुमारी विधायक बनने से पहले जिला पंचायत सदस्य रह चुकी हैं. रूपकुमारी की उम्र 47 साल है.शिक्षा की बात की जाए तो रूपकुमारी 10वीं तक पढ़ी हैं. रूपकुमारी के पति ओम प्रकाश चौधरी भूमि विकास बैंक के पूर्व अध्यक्ष रहे हैं.परिवार का काम खेती किसानी है.
ताम्रध्वज साहू : ताम्रध्वज साहू भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के सीनियर नेता है.युवावस्था से ही सामाजिक कार्यों से जुड़कर राजनीतिक जीवन की शुरुआत की. 2003 में कांग्रेस पार्टी की ओर से उन्हें विधानसभा का टिकट दिया गया और वह जीतकर पहली बार विधायक बने. इसके बाद 2008 में दूसरी बार और 2018 में तीसरी बार विधायक बने.1998 में पहली बार मध्य प्रदेश विधान सभा के लिए चुने गए.साल 2000 में जब छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना हुई तब प्रदेश सरकार में ऊर्जा, शिक्षा, जल संसाधन, विज्ञान और प्रौद्योगिकी,कृषि और पशुपालन विभाग का राज्य मंत्री बने. 2003, 2008 और 2018 में दुर्ग ग्रामीण से विधायक चुने गए.लेकिन 2023 विधानसभा चुनाव में दुर्ग ग्रामीण से उन्हें हार का सामना करना पड़ा. महासमुंद से ताम्रध्वज साहू को कांग्रेस ने उम्मीदवार बनाया है.
बस्तर लोकसभा |
बीजेपी- महेश कश्यप कांग्रेस- कवासी लखमा |
कवासी लखमा : कवासी लखमा बस्तर रीजन में कांग्रेस का बड़ा चेहरा है. सबसे पहले 1998 में कवासी लखमा ने चुनाव जीता था, उसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. 2003, 2008, 2013, 2018 और फिर इस बार 2023 में कवासी लखमा चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं.स्कूल का मुंह तक नहीं देखने वाले लखमा ने कांग्रेस सरकार में उद्योग और आबकारी मंत्री का पद संभाला है.छत्तीसगढ़ राज्य के कोंटा विधानसभा से पहली बार 2003 में विधायक चुने गए थे. 2013 में दरभा घाटी में नक्सली हमले के दौरान, 30 से अधिक लोग मारे गए थे,कांग्रेस के कई नेता शहीद हुए.लेकिन कवासी लखमा बच गए थे.