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छत्तीसगढ़ लोकसभा चुनाव में बीजेपी कांग्रेस में होगी कड़ी टक्कर,जानिए किस सीट पर कौन है आमने सामने - Lok Sabha Election 2024 - LOK SABHA ELECTION 2024

SWOT Analysis Key Candidates छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बीजेपी और कांग्रेस ने अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है.पहले चरण के मतदान के लिए बस्तर के दोनों प्रत्याशियों ने अपना नामांकन भी जमा कर दिया है. ऐसे में आईए जानते हैं 11 लोकसभा सीटों में दोनों ही पार्टी ने किन उम्मीदवारों को मौका दिया है. Lok Sabha Election 2024

SWOT Analysis Key Candidates
बीजेपी कांग्रेस में होगी कड़ी टक्कर

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Mar 28, 2024, 3:21 PM IST

रायपुर :छ्त्तीसगढ़ में बीजेपी और कांग्रेस ने 11 लोकसभा सीटों पर अपने प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया है. इन सीटों की यदि बात करें तो 9 सीटों पर बीजेपी काबिज है.जबकि 2 सीटों पर कांग्रेस ने कब्जा जमाया हुआ है. छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद से आज तक कांग्रेस प्रदेश में 2 सीटों से ज्यादा नहीं जीत सकी है.इस बार कांग्रेस का दावा है कि लोकसभा चुनाव के परिणाम चौंकाने वाले होंगे. आज हम आपको बताएंगे छत्तीसगढ़ की 11 लोकसभा सीटों पर कांग्रेस और बीजेपी के कैंडिडेट्स के बारे में.साथ ही जानेंगे क्या इस बार कांग्रेस पुराने इतिहास को बदल सकती है या फिर से एक बार फिर पुरानी तस्वीर ही सामने आएगी.

कांग्रेस के लिए प्लस प्वाइंट : लोकसभा चुनाव में इस बार कांग्रेस महागठबंधन के साथ मैदान में उतर रही है. बात यदि छत्तीसगढ़ की करें तो यहां पर ज्यादा से ज्यादा लोकसभा सीट जीतने के लिए कांग्रेस ने उन उम्मीदवारों को टिकट दिया है.जिनका जनाधार काफी ज्यादा है. कांग्रेस ने ऐसे चेहरों को मैदान में उतारा है,जिन्हें लोकसभा में हर कोई जानता पहचानता है. कांग्रेस की लिस्ट में भूपेश बघेल, ताम्रध्वज साहू,ज्योत्सना महंत, शिव डहरिया, देवेंद्र यादव, कवासी लखमा, शशि सिंह, विकास उपाध्याय ये कुछ ऐसे नाम हैं जिन पर कांग्रेस को बड़ी उम्मीद है. कांग्रेस का दावा है कि इन चेहरों के बूते वो लोकसभा चुनाव का किला फतह कर लेगी.

कांग्रेस के लिए बड़ी मुश्किल :विधानसभा चुनाव हारने के बाद कांग्रेस के लिए अपने कार्यकर्ताओं को एकजुट रखना बड़ी चुनौती है.जिन प्रत्याशियों को टिकट सौंपा गया है.उनमें से ज्यादातर को बाहरी प्रत्याशी बताकर कांग्रेस के अंदर ही विरोध के स्वर फूटने लगे हैं. भूपेश बघेल, विकास उपाध्याय,कवासी लखमा, शिव डहरिया, ताम्रध्वज साहू के नामों का पहले दिन से विरोध हो रहा है.यही नहीं कांग्रेस कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर करने के बाद मोदी फैक्टर को भी कांग्रेस को कम करना होगा.क्योंकि विधानसभा चुनाव में जिन वादों के बूते बीजेपी सत्ता में आई, उन्हें 100 दिनों के अंदर पूरा करने का काम सरकार ने किया है.ऐसे में लोकसभा चुनाव में बीजेपी के लिए कहने के लिए काफी कुछ है.वहीं 2018 विधानसभा चुनाव में बीजेपी का सूपड़ा साफ होने के बाद भी लोकसभा में इसका असर नहीं दिखा.अब जब प्रदेश में बीजेपी की सत्ता है तो ये कह पाना थोड़ा मुश्किल है कि कांग्रेस के लिए लोकसभा की राह आसान होगी.

बीजेपी के लिए राहत की बात : कांग्रेस में जहां अंतरकलह की बातें सामने आ रही हैं,वहीं बीजेपी के लिए इस बात को लेकर काफी राहत है. पार्टी ने एक साथ 11 लोकसभा सीटों पर टिकट का ऐलान काफी पहले किया.ऐसे में जहां भी विरोध के स्वर उठे उसे पार्टी ने शांत करवा लिया. बीजेपी ने उन चेहरों को बड़ी सीटों पर मौका दिया है,जिनका जनाधार है.साथ ही साथ विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी के पक्ष में जो नतीजे आए उससे कार्यकर्ता पूरी तरह से चार्ज हैं. यही नहीं मोदी की गारंटी को पूरा करने के लिए सरकार ने पहले 100 दिनों में दिन रात एक किया है. ऐसे में बीजेपी का दावा है कि वो 11 की 11 लोकसभा सीटों पर इस बार फतह हासिल करेगी.

बीजेपी के लिए परेशानी :विधानसभा चुनाव में मिली जीत का नशा अब भी कई कार्यकर्ताओं के सिर चढ़कर बोल रहा है. ऐसे में यदि कार्यकर्ता ओव्हर कॉन्फिडेंट हुए तो ये बीजेपी के लिए खतरे की घंटी हो सकती है.क्योंकि कांग्रेस ने जिन उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है,उन्हें कमतर नहीं आंका जा सकता. बीजेपी के लिए मोदी फैक्टर ने यदि काम नहीं किया तो लोकसभा चुनाव के नतीजे किसी भी ओर जा सकते हैं. विधानसभा चुनाव में ओव्हर ऑल वोट प्रतिशत की बात करें तो कांग्रेस का वोट बैंक कम नहीं हुआ है.यदि वोट बैंक ने एक बार फिर साथ दिया तो बीजेपी के लिए लोकसभा चुनाव में 11 की 11 सीट जीतने का सपना चकनाचूर हो सकता है.अब आईए आपको बताते हैं कांग्रेस और बीजेपी ने 11 लोकसभा सीटों में किन प्रत्याशियों पर दाव खेला है.

राजनांदगांव लोकसभा

बीजेपी- संतोष पाण्डेय

कांग्रेस- भूपेश बघेल

संतोष पाण्डेय - संतोष पाण्डेय को बीजेपी ने दूसरी बार राजनांदगांव से लोकसभा उम्मीदवार बनाया है. 17वीं लोकसभा 2019 में पहली बार सदन पहुंचे थे. संतोष पाण्डेय की आरएसएस में अच्छी पकड़ है. बीजेपी कवर्धा मंडल के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी निभा चुके हैं. संतोष पाण्डेय दो बार प्रदेश बीजेपी में महामंत्री के साथ कृषि उपज मंडी कवर्धा के अध्यक्ष भी रहे हैं. संतोष पाण्डेय को रमन शासन के दूसरे कार्यकाल में छत्तीसगढ़ युवा आयोग का अध्यक्ष बनाया गया था. साल 2003 विधानसभा चुनाव लड़ा,लेकिन सफल नहीं हुए. इसके बाद भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश प्रभारी रह चुके हैं. बीजेपी प्रशिक्षण प्रकोष्ठ के प्रदेश सह-संयोजक रह चुके हैं. स्वर्गीय शिवप्रसाद पाण्डेय सहसपुर लोहारा मंडल के दो बार बीजेपी अध्यक्ष रहे. इनकी माता अविभाजित मध्यप्रदेश में कवर्धा जिले में जो बार जिला पंचायत सदस्य चुनी गईं थीं.

भूपेश बघेल : भूपेश बघेल की छवि पाटन की जनता के बीच लोकप्रिय नेता और सीएम की रही है. पाटन में जितने भी विकास के काम हुए उन सबका श्रेय भूपेश बघेल को जनता देती है. पाटन सीट से भूपेश बघेल अब तक पांच बार चुनाव जीत चुके हैं. भूपेश बघेल पर कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व पूरी तरह से भरोसा करता है. 2023 के विधानसभा चुनाव में भूपेश बघेल ने बीजेपी प्रत्याशी विजय बघेल को शिकस्त दी है.भूपेश बघेल को इस बार पार्टी ने राजनांदगांव सीट से संतोष पाण्डेय के खिलाफ उतारा है.

दुर्ग लोकसभा

बीजेपी- विजय बघेल

कांग्रेस- राजेंद्र साहू

विजय बघेल : विजय बघेल भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर और तेजतर्रार नेता हैं. साल 2000 में वह नगर पालिका निगम चरोदा के प्रथम अध्यक्ष बने थे. वे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के रिश्तेदार होने के साथ साथ उनके राजनीतिक प्रतिद्वंदी भी माने हैं. 2023 के विधानसभा चुनाव में भूपेश बघेल के खिलाफ विजय बघेल को पार्टी ने उतारा था. जिसमें कड़ी टक्कर के बाद भूपेश बघेल को जीत मिली थी. दुर्ग लोकसभा के लिए एक बार फिर पार्टी ने सांसद विजय बघेल पर भरोसा जताया है. आपको बता दें कि विजय बघेल ने छत्तीसगढ़ में बीजेपी की सरकार लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. विजय बघेल को घोषणापत्र समिति का अध्यक्ष बनाया गया था.जिसके बाद उन्होंने पूरे प्रदेश में जाकर पार्टी कार्यकर्ताओं और आम जनता से बीजेपी के घोषणापत्र को लेकर राय मांगी थी. बताया जाता है कि बीजेपी के घोषणापत्र मोदी की गारंटी के कारण ही छत्तीसगढ़ में वोटर्स का मन बदला और प्रदेश में पंद्रह साल बाद सत्ता से बाहर हुई बीजेपी के लिए जीत के रास्ते खुले.

राजेंद्र साहू : दुर्ग लोकसभा से उम्मीदवार बनाए गए राजेंद्र साहू पूर्व सीएम भूपेश बघेल के करीबी माने जाते हैं. राजेंद्र साहू दुर्ग जिला सहकारी बैंक, दुर्ग के पूर्व अध्यक्ष भी रह चुके हैं. राजेंद्र साहू ने क्षेत्रीय पार्टी स्वाभिमान मंच से दुर्ग विधायक और महापौर का चुनाव लड़ा था. इसके बाद साल 2017 में वह फिर से कांग्रेस में शामिल हो गए. कांग्रेस ने दुर्ग से राजेंद्र साहू को टिकट देकर साहू समाज के मतदाताओं को साधने का प्रयास किया गया है.

जांजगीर लोकसभा

बीजेपी- कमलेश जांगड़े

कांग्रेस- शिव डहरिया

कमलेश जांगड़े :बीजेपी ने जांजगीर लोकसभा सीट से कमलेश जांगड़े को टिकट दिया है. मौजूदा समय में कमलेश भारतीय जनता पार्टी में महिला मोर्चा की जिला अध्यक्ष हैं. कमलेश इससे पहले जिला पंचायत का चुनाव हार चुकी हैं. कमलेश साल 2005 से जनवरी 2015 तक दो पंचवर्षीय कार्यकाल में ग्राम पंचायत मसनियां कला से सरपंच रह चुकी हैं. पहली बार सरपंच कार्यकाल में उत्कृष्ट कार्य के लिए जिले में सर्वश्रेष्ठ सरपंच का सम्मान कलेक्टर ने कमलेश को सौंपा था. साल 2002 में विधार्थी परिषद संयोजक का दायित्व संभाला था. साल 2015 से 2020 तक प्रदेश महिला मोर्चा में विशेष आमंत्रित सदस्य और प्रदेश अनुसूचित जाति मोर्चा सदस्य के रूप में दायित्व संभाला.साल 2015 से 2020 तक सरगुजा जिला में जिला प्रभारी का दायित्व मिला. साल 2020 से बीजेपी जिला उपाध्यक्ष जांजगीर-चांपा का दायित्व मिला.


शिव डहरिया :शिव कुमार डहरिया का जन्म 18 दिसंबर 1964 को रायपुर जिले के अभनपुर में हुआ. पिता का नाम स्व. आशाराम डहरिया और पत्नी का नाम शकुन डहरिया है. शिव कुमार डहरिया ने बीएएमएस की पढ़ाई की है. शिव डहरिया ने 13 साल की उम्र ही राजनीति में कदम रखा. 1977 से लेकर 1988 तक स्कूल और कॉलेज में छात्र संघ के कई पदों पर नियुक्त हुए. साल 1990 में अनुसूचित जाति एवं जनजाति प्रकोष्ठ के संयुक्त मंत्री की जिम्मेदारी मिली.1997 में युवा कांग्रेस के महामंत्री बने. 1990 से 10 सालों तक जिला कांग्रेस कमेटी के महामंत्री रहे. इसके बाद साल 2000 में राज्य परिवहन प्रधिकरण के सदस्य बने. इसी बीच उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा मिला.साल 2001 में छत्तीसगढ़ कांग्रेस के प्रभारी महामंत्री के रूप में नियुक्त हुए.2003 में कांग्रेस पार्टी की ओर से उन्हें विधानसभा का टिकट दिया गया और वह जीतकर पहली बार विधायक बने। फिर 2008 में दूसरी बार और 2018 में तीसरी बार विधायक बने.2023 में चौथी बार विधानसभा चुनाव हार गए.इस बार जांजगीर चांपा लोकसभा सीट से शिव डहरिया को उम्मीदवार बनाया गया है.

महासमुंद लोकसभा

बीजेपी- रूपकुमारी चौधरी

कांग्रेस- ताम्रध्वज साहू

रुपकुमारी चौधरी:बीजेपी ने महासमुंद लोकसभा सीट से बसना निवासी रूपकुमारी चौधरी को प्रत्याशी बनाया है. साल 2013 से 2018 तक रुपकुमारी बसना से विधायक रह चुकी हैं. मई 2015 से दिसंबर 2018 तक संसदीय सचिव का जिम्मा भी रूपकुमारी ने संभाला है. रुपकुमारी वर्तमान में महासमुंद जिलाध्यक्ष हैं.अघरिया समाज में रुपकुमारी चौधरी की अच्छी पकड़ मानी जाती है.रुपकुमारी विधायक बनने से पहले जिला पंचायत सदस्य रह चुकी हैं. रूपकुमारी की उम्र 47 साल है.शिक्षा की बात की जाए तो रूपकुमारी 10वीं तक पढ़ी हैं. रूपकुमारी के पति ओम प्रकाश चौधरी भूमि विकास बैंक के पूर्व अध्यक्ष रहे हैं.परिवार का काम खेती किसानी है.

ताम्रध्वज साहू : ताम्रध्वज साहू भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के सीनियर नेता है.युवावस्था से ही सामाजिक कार्यों से जुड़कर राजनीतिक जीवन की शुरुआत की. 2003 में कांग्रेस पार्टी की ओर से उन्हें विधानसभा का टिकट दिया गया और वह जीतकर पहली बार विधायक बने. इसके बाद 2008 में दूसरी बार और 2018 में तीसरी बार विधायक बने.1998 में पहली बार मध्य प्रदेश विधान सभा के लिए चुने गए.साल 2000 में जब छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना हुई तब प्रदेश सरकार में ऊर्जा, शिक्षा, जल संसाधन, विज्ञान और प्रौद्योगिकी,कृषि और पशुपालन विभाग का राज्य मंत्री बने. 2003, 2008 और 2018 में दुर्ग ग्रामीण से विधायक चुने गए.लेकिन 2023 विधानसभा चुनाव में दुर्ग ग्रामीण से उन्हें हार का सामना करना पड़ा. महासमुंद से ताम्रध्वज साहू को कांग्रेस ने उम्मीदवार बनाया है.

बस्तर लोकसभा

बीजेपी- महेश कश्यप

कांग्रेस- कवासी लखमा

कवासी लखमा : कवासी लखमा बस्तर रीजन में कांग्रेस का बड़ा चेहरा है. सबसे पहले 1998 में कवासी लखमा ने चुनाव जीता था, उसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. 2003, 2008, 2013, 2018 और फिर इस बार 2023 में कवासी लखमा चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं.स्कूल का मुंह तक नहीं देखने वाले लखमा ने कांग्रेस सरकार में उद्योग और आबकारी मंत्री का पद संभाला है.छत्तीसगढ़ राज्य के कोंटा विधानसभा से पहली बार 2003 में विधायक चुने गए थे. 2013 में दरभा घाटी में नक्सली हमले के दौरान, 30 से अधिक लोग मारे गए थे,कांग्रेस के कई नेता शहीद हुए.लेकिन कवासी लखमा बच गए थे.

महेश कश्यप :महेश कश्यप को बीजेपी ने बस्तर से लोकसभा प्रत्याशी बनाया है. महेश कश्यप की छवि कट्टर हिंदूवादी के तौर पर जानी जाती है. वर्तमान में महेश कश्यप सरपंच संघ के अध्यक्ष के अलावा वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी अनुसूचित जनजाति मोर्चा के जिला अध्यक्ष हैं. महेश सर्व आदिवासी समाज के प्रदेश उपाध्यक्ष भी हैं. महेश कश्यप ने धर्मांतरण के विरोध में आया चोर द्वार कार्यक्रम चलाकर सुर्खियां बटोरी थी. महेश कश्यप 1996 से 2001 तक बजरंग दल के जिला संयोजक रहे. इसके बाद 2001 से 2007 तक विश्व हिंदू परिषद जिला संगठन मंत्री और 2007 से 2008 तक विश्व हिंदू परिषद के विभाग संगठन मंत्री बने. 2014 में पंचायत चुनाव जीतकर महेश ग्राम पंचायत कलचा के सरपंच भी बने. सरपंच चुनाव जीतने के बाद उन्हें बस्तर सरपंच संघ अध्यक्ष बनाया गया. महेश कश्यप छत्तीसगढ़ सरपंच महासंघ के सह संयोजक और भतरा समाज विकास परिषद के संभागीय सचिव का जिम्मा भी संभाल चुके हैं.

कोरबा लोकसभा

बीजेपी- सरोज पाण्डेय

कांग्रेस- ज्योत्सना महंत

ज्योत्सना महंत :ज्योत्सना महंत पूर्व केंद्रीय मंत्री और वर्तमान विधानसभा नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत की पत्नी है. कोरबा लोकसभा सीट से दूसरी बार कांग्रेस ने उन्हें टिकट दिया है. ज्योत्सना का जन्म 18 नवंबर 1953 को हुआ था. भोपाल विश्वविद्यालय से वर्ष 1974 में बीएससी और फिर एमएससी पूरी की. ज्योत्सना और चरणदास महंत की शादी 23 नवंबर 1980 को हुई. उनकी तीन बेटी और एक बेटा है. ज्योत्सना महंत को साल 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने टिकट दिया था. जिसमें उन्होंने बीजेपी के ज्योति नंद दुबे को हराया था. 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 2 सीट ही मिली थी.उसमें से एक कोरबा लोकसभा भी थी. 9 अक्टूबर 2019 को लोकसभा की कमेटी ऑन इंपावरमेंट ऑफ वुमेन की सदस्य बनाया गया. फिर 13 सितंबर 2019 को स्टेंडिंग कमेटी ऑन साइंस एंड टेक्नोलॉजी, ईनवायरनमेंट फॉरेस्ट एंड क्लाइमेट चेंज के सदस्य के तौर पर नियुक्त हुईं.

सरोज पाण्डेय : कोरबा से सरोज पाण्डेय को बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में उतारा है. पहली बार वर्ष 2000 और 2005 में दो बार दुर्ग की मेयर चुनीं गईं. वर्ष 2008 में पहली बार वैशाली नगर विधानसभा सीट से विधायक चुनी गईं.बीजेपी ने साल 2009 के आम चुनाव में दुर्ग से उतारा,जिसमें उन्होंने जीत हासिल की. साल 2013 में महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष बनीं. वर्ष 2014 का लोकसभा चुनाव भी लड़ा. लेकिन कांग्रेस के ताम्रध्वज साहू से हार गईं. हार के बावजूद बीजेपी की राष्ट्रीय महासचिव बनीं और मार्च 2018 में राज्यसभा के लिए चुना गया. एक ही समय में मेयर, विधायक और सांसद का पद संभालने का अनूठा विश्व रिकॉर्ड, गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स और लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में सरोज पाण्डेय का नाम शामिल है. इसके अलावा लगातार 10 वर्षों तक दुर्ग से मेयर रहकर सबसे लंबे कार्यकाल का रिकॉर्ड भी सरोज पाण्डेय ने बनाया है.

बिलासपुर लोकसभा

बीजेपी- तोखन साहू

कांग्रेस- देवेंद्र यादव

तोखन साहू :बिलासपुर लोकसभा से बीजेपी ने तोखन साहू को उम्मीदवार बनाया है. तोखन का जन्म 15 अक्टूबर 1969 को मुंगेली में हुआ. पिता का नाम बलदाउ साहू और माता का नाम लीलावती साहू है.तोखन ने पोस्ट ग्रेजुएशन किया है.लोरमी विधानसभा से तोखन को पहली बार 2013 बीजेपी ने उम्मीदवार बनाया था. जिसमें तोखन ने कांग्रेस प्रत्याशी धरमजीत सिंह को हराया था. साल 2014-15 में महिलाओं और बच्चों के कल्याण संबंधित समिति के सदस्य के तौर पर तोखन को जिम्मेदारी सौंपी गई. इसके अलावा तोखन छत्तीसगढ़ विधानसभा में प्रत्यायुक्त विधान समिति के सदस्य भी रहे. 2015 में छत्तीसगढ़ शासन के संसदीय सचिव का पद भी संभाला. तोखन साहू वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी के किसान मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष हैं.

देवेंद्र यादव :देवेंद्र यादव 2009 में रुंगटा कॉलेज के एनएसयूआई प्रतिनिधि रहे. 2009 से 2011 तक जिला अध्यक्ष एनएसयूआई रहे. 2011 से 2014 तक प्रदेश अध्यक्ष एनएसयूआई बने. 2014 से 2015 तक राष्ट्रीय सचिव 2015 से 2016 तक राष्ट्रीय महासचिव एनएसयूआई रहे. 2016 में नगर पालिका निगम भिलाई के महापौर बने. 2017–18 में वे राष्ट्रीय सचिव यूथ कांग्रेस रहे. देवेंद्र यादव 2018 में पहली बार कांग्रेस की टिकट पर विधायक बने थे. देवेंद्र यादव ने स्कूल के दौरान ही कांग्रेस की छात्र राजनीति में कदम रख दिया था. देवेंद्र एनएसयूआई के प्रतिनिधि और एनएसयूआई के जिलाध्यक्ष भी रह चुके हैं. साथ ही एनएसयूआई के राष्ट्रीय सचिव और राष्ट्रीय महासचिव की जिम्मेदारी भी संभाली है. 25 वर्ष की उम्र में देश के सबसे कम उम्र के महापौर बनने का खिताब देवेंद्र यादव को मिला है. राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में देवेंद्र यादव ने अहम भूमिका निभाई थी.देवेंद्र यादव ने दो बार छत्तीसगढ़ विधानसभा के पू्र्व अध्यक्ष और मंत्री प्रेमप्रकाश पाण्डेय को चुनाव में शिकस्त दी है.

रायपुर लोकसभा

बीजेपी- बृजमोहन अग्रवाल

कांग्रेस- विकास उपाध्याय

बृजमोहन अग्रवाल :रायपुर लोकसभा सीट के प्रत्याशी बृजमोहन अग्रवाल आठवीं बार विधायक बनकर विधानसभा पहुंचे थे. छत्तीसगढ़ कैबिनेट में चौथी बार मंत्री पद की शपथ लेने वाले बृजमोहन अग्रवाल का जन्म एक मई 1959 को रायपुर में हुआ था. काॅमर्स और आर्ट्स दोनों विषय से पोस्ट ग्रेजुएशन, एलएलबी की डिग्री भी ली है. साल 1986 में इनकी शादी सरिता देवी अग्रवाल से हुई. इनके 2 बेटे और 1 बेटी हैं. बृजमोहन रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट से विधायक हैं.साल 1990 को महज 31 साल की उम्र में पहली बार विधायक बने थे. छात्र जीवन से ही इन्होंने राजनीति की शुरुआत कर दी थी.1984 में वे भारतीय जनता पार्टी के सदस्य बने.1988 से 1990 तक वे भाजयुमो के युवा मंत्री रहे. 1990 में वे पहली बार मध्यप्रदेश विधानसभा में विधायक बने. इसके बाद से 1993, 1998, 2003, 2008, 2013, 2018 और 2023 में वे लगातार विधायक बनते आ रहे हैं.

विकास उपाध्याय :विकास उपाध्याय का जन्म छत्तीसगढ़ के रायपुर में 5 नवंबर 1975 को एक किसान परिवार में हुआ.कॉलेज की पढ़ाई के दौरान 1998 में इकाई के अध्यक्ष के रूप में चुने गए. 1999 में एनएसयूआई के जिला अध्यक्ष बने. 2004 में एनएसयूआई का प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया. 2006 में राष्ट्रीय स्तर का पद मिला और एनएसयूआई के राष्ट्रीय सचिव के रूप में नियुक्त हुए. इसके बाद राजस्थान, जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश राज्यों का नेतृत्व किया.2009 में उन्हें भारतीय युवा कांग्रेस का राष्ट्रीय सचिव की जिम्मेदारी दी गई. पंजाब, उत्तर प्रदेश, त्रिपुरा और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ की यात्रा की.अप्रैल 2010 में अखिल भारतीय युवा कांग्रेस का महासचिव बनाया गया. 2018 विधानसभा चुनाव में रायपुर पश्चिम से चुनाव लड़ा और राजेश मूणत को 12 हजार से ज्यादा मतों से हराया. लेकिन 2023 में राजेश मूणत से ही विकास चुनाव हार गए.

सरगुजा लोकसभा

बीजेपी- चिंतामणि महाराज

कांग्रेस-शशि सिंह

चिंतामणि महाराज :चिंतामणि महाराज का जन्म गणतंत्र दिवस के दिन 26 जनवरी सन् 1968 को हुआ. पिता का नाम रामेश्वर है. चिंतामणि ने 11 वीं मैट्रिक तक की पढ़ाई की है. जिसमें वह संस्कृत विषय के प्रति खास रूचि रखते थे. चिंतामणि महाराज पूर्व की बीजेपी शासन के समय राज्य संस्कृत बोर्ड के अध्यक्ष भी रह चुके. चिंतामणि ने संस्कृत शिक्षा के लिए राज्य के जशपुर जिले में संस्कृत कॉलेज भी अपनी कोशिशों से खुलवाया.चिंतामणि महाराज ने दूसरी बार कांग्रेस की टिकट से बलरामपुर जिले के सामरी विधानसभा से जीत हासिल कर विधानसभा में पहुंचे थे.लेकिन साल 2023 में कांग्रेस ने उनका टिकट काट दिया.जिससे नाराज होकर चिंतामणि ने बीजेपी की सदस्यता ले ली. जिसका नतीजा ये हुआ कि कांग्रेस का सरगुजा से सूपड़ा साफ हो गया.वहीं इस जीत के बाद बीजेपी ने चिंतामणि को लोकसभा टिकट देकर उनका सम्मान किया है.

शशि सिंह : पूर्व मंत्री तुलेश्वर सिंह की बेटी शशि सिंह को कांग्रेस ने लोकसभा का टिकट दिया है. वर्तमान ने सूरजपुर जिले में शशि जिला पंचायत सदस्य हैं. अनुसूचित जनजाति वर्ग से आने वाली शशि सिंह का क्षेत्र में काफी जनाधार माना जाता है. गोंड जनजाति से आने वाली महिला नेता शशि सिंह को राजनीति विरासत में मिली है.दिल्ली से इंटीरियर डेकोरेशन की पढ़ाई करने वाली शशि सिंह भारत जोड़ो यात्रा और भारत न्याय यात्रा में सक्रिय रही हैं. भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी के साथ पूरे समय पदयात्रा में शामिल रहीं.शशि सिंह के पिता तुलेश्वर सिंह अजीत जोगी की सरकार में मंत्रिमंडल का हिस्सा रह चुके थे.

कांकेर लोकसभा

बीजेपी- भोजराज नाग

कांग्रेस- बीरेश ठाकुर

भोजराज नाग :भोजराज नाग 2014 में हुए अंतागढ़ विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी से जीत हासिल कर विधायक बने थे. भोजराज अनुसूचित जनजाति सुरक्षा मंच के संयोजक हैं. पूर्व विधायक भोजराज नाग ने अपनी राजनीतिक सफर की शुरुआत साल 1992 में की थी. सबसे पहले अपने गांव हिमोड़ा के सरपंच बने. साल 2000 से 2005 तक जनपद पंचायत अंतागढ़ के अध्यक्ष रहे. 2009 से 2014 तक जिला पंचायत सदस्य भी रहे. मौजूदा समय में भोजराज बीजेपी अंतागढ़ के मंडल अध्यक्ष हैं. लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने छत्तीसगढ़ के बस्तर के दोनों लोकसभा सीटों में हिंदुत्व के छवि वाले नेताओं पर अपना दाव खेला है. बस्तर लोकसभा सीट से महेश कश्यप और कांकेर लोकसभा सीट से भोजराज नाग को सांसद प्रत्याशी बनाया गया है.

बीरेश ठाकुर :2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के मोहन मंडावी ने कांग्रेस के बिरेश ठाकुर को 6,914 हजार वोटों से हराया था. मोहन मंडावी को 5,46,233 लाख यानी 47.1 फीसदी वोट मिले थे जबकि बिरेश ठाकुर को 5,39,319 लाख यानी 47 फीसदी वोट प्राप्त हुए थे. बीरेश ठाकुर 1995 में भानुप्रतापपुर क्षेत्र से जनपद सदस्य निर्वाचित हुए थे . साल 2000 और 2010 में फिर से जनपद सदस्य बने.2010 में ही जनपद अध्यक्ष बने. बीरेश ठाकुर साल 2015 के चुनाव में जिला पंचायत सदस्य निर्वाचित हुए.इसके बाद जिला पंचायत के सभापति बनाए गए. इसके बाद बीरेश का कांग्रेस कमेटी का उपाध्यक्ष भी बनाया गया.

रायगढ़ लोकसभा

बीजेपी- राधेश्याम राठिया

कांग्रेस- डॉ मेनका देवी

राधेश्याम राठिया :राधेश्याम राठिया को बीजेपी ने रायगढ़ लोकसभा से उम्मीदवार बनाया है.गोमती साय के विधानसभा चुनाव लड़ने के बाद इस सीट पर नए प्रत्याशी की तलाश बीजेपी कर रही थी. बीजेपी की तलाश 52 साल के राधेश्याम राठिया पर खत्म हुई. राधेश्याम का जन्म 12 जून 1972 को हुआ था. 12वीं तक की पढ़ाई करने वाले राधेश्याम घरघोड़ा, धरमजयगढ़ के रहने वाले हैं. वर्तमान में राधेश्याम जिला महामंत्री, बीजेपी किसान मोर्चा जिला रायगढ़ की जिम्मेदारी संभाल रहे थे. इसके अलावा जिला सह संयोजक जनजाति सुरक्षा मंच और लघु वनोपज समिति के अध्यक्ष भी रह चुके हैं.

डॉ मेनका देवी :रायगढ़ लोकसभा सीट से कांग्रेस ने राजपरिवार की सदस्य को उम्मीदवार बनाया है. राजपरिवार गिरी विलास से डॉ.मेनका देवी को प्रत्याशी चुना गया है. मेनका सिंह तत्कालीन सारंगढ़ रियासत के राजा नरेश चंद्र के परिवार से ताल्लुक रखती हैं. मेनका रायगढ़ लोकसभा की सांसद रह चुकी पुष्पा देवी की छोटी बहन हैं. कांग्रेस नेत्री मेनका सिंह लंबे समय से कांग्रेस परिवार से जुड़ी हुई हैं. कांग्रेस ने मेनका को कई पदों से नवाजा है. वहीं अब लोकसभा चुनाव में बड़ी जिम्मेदारी दी है.

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