जयपुर.विश्वविद्यालय प्राचीन और नवीन ज्ञान का समन्वय करते हुए संस्कृत व संस्कृति के प्रसार के लिए कार्य करें. संस्कृत के माध्यम से भारत को आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है. इसके लिए सबको मिलकर काम करने की जरूरत है. यह कहना है प्रदेश के राज्यपाल कलराज मिश्र का. राज्यपाल शनिवार को जगद्गुरु रामानन्दाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय के छठे दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने स्वामी रामभद्राचार्य जी महाराज डी. लिट की मानद उपाधि देकर सम्मानित किया.
विश्वविद्यालय प्राचीन और नवीन ज्ञान का समन्वय करते हुए संस्कृत व संस्कृति के प्रसार के लिए कार्य करें. संस्कृत के माध्यम से भारत को आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है. इसके लिए सबको मिलकर काम करने की जरूरत है. - राज्यपाल कलराज मिश्र
बाल्यकाल में वेद कंठस्थ करने 22 भाषाओं का ज्ञान रखने और 230 किताबें लिखने वाले विद्वान तुलसी पीठाधीश्वर पद्म विभूषण जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य जी महाराज को शनिवार को डी. लिट की मानक उपाधि दी गई. जगद्गुरु रामानन्दाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय के छठे दीक्षांत समारोह में प्रदेश के राज्यपाल कलराज मिश्र ने उन्हें यह सम्मानित दिया. साथ ही कहा कि संस्कृत में योग, विज्ञान, शास्त्र, भारतीय संस्कृति, संस्कार से जुड़ी शिक्षा दी जाती है.
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व्यक्तित्व निर्माण के लिए इसी शिक्षा की सबसे ज्यादा आवश्यकता है. यह शिक्षा जिस व्यक्ति के पास है, उसे आगे बढ़ने से कोई रोक नहीं सकता है. उन्होंने नई शिक्षा नीति की चर्चा करते हुए कहा कि इसमें कौशल विकास के साथ भारतीय संस्कृति और जीवन मूल्यों से जुड़े ज्ञान के आधुनिकीकरण पर भी विशेष जोर दिया गया है.