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स्वामी रामभद्राचार्य जी महाराज को राज्यपाल ने दी डी. लिट की मानद उपाधि, कहा- संस्कृत में निवास करती है भारत की आत्मा - JRRSU 6th Convocation

JRRSU 6th Convocation, जगद्गुरु रामानन्दाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय के छठे दीक्षांत समारोह में शनिवार को राज्यपाल कलराज मिश्र ने स्वामी रामभद्राचार्य जी महाराज को डी. लिट की मानद उपाधि से सम्मानित किया. इस दौरान राज्यपाल ने कहा कि संस्कृत के माध्यम से भारत को आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है. इसके लिए सबको मिलकर काम करने की जरूरत है.

JRRSU 6th Convocation
स्वामी रामभद्राचार्य जी महाराज को डी. लिट की मानद उपाधि देते राज्यपाल कलराज मिश्र (ETV BHARAT JAIPUR)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jul 27, 2024, 10:43 PM IST

जयपुर.विश्वविद्यालय प्राचीन और नवीन ज्ञान का समन्वय करते हुए संस्कृत व संस्कृति के प्रसार के लिए कार्य करें. संस्कृत के माध्यम से भारत को आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है. इसके लिए सबको मिलकर काम करने की जरूरत है. यह कहना है प्रदेश के राज्यपाल कलराज मिश्र का. राज्यपाल शनिवार को जगद्गुरु रामानन्दाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय के छठे दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने स्वामी रामभद्राचार्य जी महाराज डी. लिट की मानद उपाधि देकर सम्मानित किया.

विश्वविद्यालय प्राचीन और नवीन ज्ञान का समन्वय करते हुए संस्कृत व संस्कृति के प्रसार के लिए कार्य करें. संस्कृत के माध्यम से भारत को आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है. इसके लिए सबको मिलकर काम करने की जरूरत है. - राज्यपाल कलराज मिश्र

बाल्यकाल में वेद कंठस्थ करने 22 भाषाओं का ज्ञान रखने और 230 किताबें लिखने वाले विद्वान तुलसी पीठाधीश्वर पद्म विभूषण जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य जी महाराज को शनिवार को डी. लिट की मानक उपाधि दी गई. जगद्गुरु रामानन्दाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय के छठे दीक्षांत समारोह में प्रदेश के राज्यपाल कलराज मिश्र ने उन्हें यह सम्मानित दिया. साथ ही कहा कि संस्कृत में योग, विज्ञान, शास्त्र, भारतीय संस्कृति, संस्कार से जुड़ी शिक्षा दी जाती है.

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व्यक्तित्व निर्माण के लिए इसी शिक्षा की सबसे ज्यादा आवश्यकता है. यह शिक्षा जिस व्यक्ति के पास है, उसे आगे बढ़ने से कोई रोक नहीं सकता है. उन्होंने नई शिक्षा नीति की चर्चा करते हुए कहा कि इसमें कौशल विकास के साथ भारतीय संस्कृति और जीवन मूल्यों से जुड़े ज्ञान के आधुनिकीकरण पर भी विशेष जोर दिया गया है.

वहीं, समारोह में स्वामी रामभद्राचार्य जी महाराज ने कहा कि हमारी सर्वोत्कृष्ट देवी भारत माता है. उन्होंने भगवान श्रीराम की महिमा का सुंदर और रोचक वर्णन भी किया. साथ ही कहा कि भारतीय संस्कृति और ज्ञान के स्रोत नालंदा और तक्षशिला विश्वविद्यालय थे, जिन्हें बख्तियार खिलजी ने इसलिए जला दिया कि भारत की ज्ञान संस्कृति मिट जाए, लेकिन भारत अविचल अपनी अस्मिता बनाए हुए है.

हमारी सर्वोत्कृष्ट देवी भारत माता है. भारतीय संस्कृति और ज्ञान के स्रोत नालंदा और तक्षशिला विश्वविद्यालय थे, जिन्हें बख्तियार खिलजी ने इसलिए जला दिया कि भारत की ज्ञान संस्कृति मिट जाए, लेकिन भारत अविचल अपनी अस्मिता बनाए हुए है. - स्वामी रामभद्राचार्य जी महाराज

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वहीं, कुलपति प्रो. रामसेवक दुबे ने बताया कि संस्कृत विश्वविद्यालय में शास्त्रों के अध्ययन के अलावा आधुनिक विषयों पर भी ध्यान केंद्रित करते हुए संस्कृत को जन-जन तक लोकप्रिय किए जाने की दिशा में कार्य किए जा रहे हैं. इससे पहले राज्यपाल ने संविधान उद्यान का लोकार्पण किया. साथ ही वयम् और प्रवृत्ति पुस्तकों का भी लोकार्पण किया.

समारोह में स्वामी रामभद्राचार्य जी महाराज के अलावा नई दिल्ली स्थित केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. श्रीनिवास वरखेड़ी को भी डी. लिट की मानद उपाधि दी गई. दीक्षांत समारोह में राज्यपाल ने विश्वविद्यालय के विभिन्न संकायों के 12 छात्र-छात्राओं को स्वर्ण पदक और 27 पीएचडी उपाधियां प्रदान की.

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