सरगुजा : छत्तीसगढ़ में रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग और भिलाई जैसे शहर ही ज्यादा लाइमलाइट में रहते हैं. राज्य के ज्यादातर क्षेत्र वनांचल हैं. वो सरकारी तंत्र की पहुंच से दूर नजर आते थे.लेकिन साल 2000 में मध्यप्रदेश से अलग होकर छतीसगढ़ राज्य का निर्माण किया गया. राज्य निर्माण के बाद छत्तीसगढ़ का वो हिस्सा जो उत्तर में था, आदिवासियों की बाहुल्यता के साथ वनों से आच्छादित था.आज 24 साल बाद इस क्षेत्र की जिसे लोग सरगुजा के नाम से जानते हैं,उसकी तस्वीर बदल चुकी है. जिस जगह पर पहले लोग आने से घबराते थे,वहां आने से अब नहीं डरते.आईए जानते हैं कैसा होगा सरगुजा के लिए आने वाला कल.
विकास की पथ पर दौड़ा सरगुजा :1 नवम्बर 2000 को राज्य निर्माण के बाद सरगुजा में काफी काम हुए. प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री बने अजीत जोगी एक आईएएस अफसर थे. लिहाजा उनकी सरकार के तीन साल के अल्प काल में भी विकास ने गति पकड़ी. लेकिन इसके बाद हुए छत्तीसगढ़ के पहले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सत्ता से बाहर हो गई .बीजेपी ने डॉ रमन सिंह को मुख्यमंत्री बनाया. रमन सिंह 15 साल तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे.इस दौरान कई बड़ी सौगातें सरगुजा को मिली.
साहित्यकार गोविन्द शर्मा कहते हैं की "सबसे अहम था सरगुजा में मेडिकल सुविधाओं का विस्तार जिसके लिए सरगुजा में मेडिकल कालेज खोला गया. आज मेडिकल कालेज के साथ-साथ मेडिकल कॉलेज अस्पताल की सुपर स्पेशलिटी सुविधा भी संभाग के लोगो को मिल रही है. हालाकी निर्माण का काम भाजपा सरकार ने शुरू कराया था और इसे पूरा कांग्रेस की सरकार में किया गया. पूर्व स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने भी इस दिशा में अच्छे प्रयास किए.कैंसर की जांच के लिए हाईटेक लैब सरगुजा में स्थापित की गई.
आरटीपीसीआर लैब, विश्व स्तरीय लेबोरेटरी हमर लैब सरगुजा में खोला गया. कैंसर की निशुल्क कीमोथेरेपी सरगुजा में शुरू की गई. किडनी मरीजों के लिए निशुल्क डायलिसिस की सुविधा शुरू की गई. स्वास्थ्य के क्षेत्र में सरगुजा में बड़े बदलाव राज्य निर्माण के बाद हुए है. हालांकि अब भी बहुत से काम होने बचे हैं. अभी भी सरगुजा में ट्रामा सेंटर, न्यूरो सर्जन और न्यूरो फीजीशियन की सुविधा नहीं है. लेकिन तुलनात्मक बड़े बदलाव हुए हैं.- गोविंद शर्मा, साहित्यकार
कई कॉलेज खुले :शिक्षिका वर्षा गुप्ता कहती हैं "शिक्षा के क्षेत्र में भी सरगुजा काफी आगे बढ़ चुका है. मेडिकल कालेज खुलने से यहां मेडिकल की पढ़ाई शुरू हो सकी. इसके साथ ही, सरगुजा को कृषि विज्ञान केंद्र, कृषि महाविद्यालय मिला. जहां एग्रीकल्चर के छात्र पढ़ाई कर रहे हैं. अनुसंधान केंद्र में कृषि वैज्ञानिक नए प्रयोग करते हैं. किसानों को उन्नत तकनीकी के बारे में बताते हैं .अब छात्रों को सरगुजा में ही एग्रीकल्चर की पढ़ाई करने का अवसर मिल रहा है.पहले जबलपुर या रायपुर के कृषि महाविद्यालय में जाकर छात्र पढ़ाई करते थे.
रेल लाइन का हुआ विस्तार :मुकेश तिवारी के मुताबिक रेल सुविधाओं में भी इजाफा हुआ, मध्यप्रदेश से जोड़ने वाली रेल लाइन पहले सूरजपुर जिले के विश्रामपुर तक ही थी उसे बढाकर अंबिकापुर तक किया गया . इस लाइन में एक मात्र ट्रेन शहडोल अंबिकापुर के अतिरिक्त, अम्बिकापुर से जबलपुर, अंबिकापुर-मनेन्द्रगढ़-अनूपपुर, अम्बिकापुर शहडोल मेमू और अम्बिकापुर से दुर्ग तक की ट्रेन शुरू हुई, इसके बाद बीते वर्ष अम्बिकापुर से देश की राजधानी दिल्ली तक ट्रेन शुरू हुई .रेल सुविधा बढ़ने से सरगुजा के व्यापार में भी परिवर्तन देखा गया. अब भी सरगुजा रेल सुविधाओं में काफी पीछे है. रेनुकूट और कोरबा तक रेल लाइन विस्तार की मांग बनी हुई है.
बिछा सड़कों का जाल : एडवोकेट मनोज के मुताबिक राज्य निर्माण के बाद सरगुजा में एयरपोर्ट बनकर तैयार हो चुका है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस एयरपोर्ट का लोकार्पण भी कर दिया है. जल्द ही हवाई सेवा भी सरगुजा में शुरू हो सकेगी. हवाई सेवा शुरू होने से बड़े बदवाल सरगुजा में देखे जा सकेंगे. इसी क्रम में सड़क मार्ग भी बढ़े हैं. मध्यप्रदेश से अंबिकापुर आने के लिए फोर लेन सड़क नेशनल हाइवे बन गई. यही सड़क अम्बिकापुर से आगे निकालकर जशपुर, झारखंड के गुमला तक पहुंचती है. अंबिकापुर से राजधानी रायपुर जाने के लिए भी बेहतर सड़क बन चुकी है, इसे कटघोरा से रायपुर 4 लेन और अंबिकापुर से कटघोरा 2 लेन सड़क है.
काम हुए लेकिन और गति चाहिए :वर्तमान में सरकार ने केन्द्रीय सड़क मंत्रालय को कटघोरा अंबिकापुर सड़क को भी 4 लेन किए जाने का प्रस्ताव भेजा है. अंबिकापुर से बनारस मार्ग का भी निर्माण हो चुका है. एक नया नेशनल हाइवे मिला है जो अंबिकापुर से बलरामपुर जिला होते हुए झारखंड को जोड़ेगा. इस सड़क का टेंडर हो चुका है. जल्द ही काम भी शुरू हो जाएगा. काम कई क्षेत्र में हुए हैं. लेकिन इनकी गति और तेज होनी चाहिए. शहर और गांव को जोड़ने वाली सड़कों की भी स्थिति पर ध्यान देने की जरूरत है.