रायपुर: ''प्रवर्तन निदेशालय ने जिस तरीके से कथित शराब घोटाला केस में पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा को गिरफ्तार किया है वो तरीका सही नहीं है''. ये टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कही है. ईडी की कार्रवाई पर टिप्पणी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 20 अप्रैल को पूर्व आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा की जिस तरीके से गिरफ्तारी हुई वो परेशान करने वाली है. पूरे मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने किया.
शराब घोटाला केस में फटकार: 20 अप्रैल 2024 को शाम करीब 4.30 बजे रायपुर स्थित एसीबी कार्यालय में अनिल टुटेजा बैठे थे. सबसे पहले उन्हें 12 बजे ईडी के समक्ष पेश होने का समन भेजा गया. बाद में जब वे एसीबी कार्यालय में थे तब उन्हें 5.30 बजे ईडी के समक्ष पेश होने के लिए एक और समन दिया गया. इसके बाद उन्हें ईडी द्वारा लाई गई वैन में ईडी दफ्तर ले जाया गया. पूरी रात उनसे पूछताछ की गई और सुबह 4 बजे उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. इस पूरे घटनाक्रम को न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने आदेश में रेखांकित किया है.
पीठ ने दिए निर्देश: सुनवाई के दौरान पीठ ने निर्देश दिया है कि "जमानत के लिए आवेदन करने की स्वतंत्रता के साथ एसएलपी को वापस ले लिया गया है और यदि मामले के विशिष्ट तथ्यों पर विचार करते हुए ऐसा कोई आवेदन किया जाता है तो संबंधित विशेष अदालत जमानत आवेदन के निपटान में आवश्यक प्राथमिकता देगी. ईडी का प्रतिनिधित्व करने वाले अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने पीठ को सूचित किया कि एजेंसी को ऐसी घटनाओं से बचने के लिए उपचारात्मक उपाय करने होंगे. इस संबंध में 29 अक्टूबर, 2024 को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की गई.
याचिकाकर्ता के वकील का पक्ष: सुनवाई के दौरान सिंघवी ने कहा कि शीर्ष अदालत ने पहले 8 अप्रैल 2024 को ईडी द्वारा दर्ज किए गए मनी लॉन्ड्रिंग मामले को रद्द कर दिया था. उन्होंने तर्क दिया कि ईडी ने तीन दिन बाद उन्हीं तथ्यों और सामग्रियों के आधार पर एक नई ईसीआईआर यानि शिकायत दर्ज की. दर्ज शिकायत मेंं कहा गया कि एजेंसी के पास इतने कम समय में नई जानकारी नहीं हो सकती.
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा सवाल: न्यायमूर्ति ओका ने पूछा कि क्या ईडी दूसरे मामले के पंजीकरण को उचित ठहराने के लिए पहले ईसीआईआर, जिसे रद्द कर दिया गया था उसी जानकारी पर भरोसा कर सकता है. अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि दूसरी ईसीआईआर की जांच के दौरान, पीएमएलए, 2002 की धारा 50 के तहत दर्ज बयानों सहित सभी प्रासंगिक दस्तावेज पहली ईसीआईआर के जांच अधिकारी से प्राप्त किए गए.