महाराजगंज: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को यूपी के महाराजगंज में 5 साल पहले 2019 में हुई बुलडोजर कार्रवाई पर आज बुधवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. कोर्ट ने यूपी के 5 अधिकारियों के खिलाफ जांच के आदेश देने के साथ-साथ पीड़ित व्यक्ति मनोज टिबड़ेवाल आकाश को 25 लाख रुपए मुआवजा देने के भी निर्देश दिए हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाने के दौरान यूपी की योगी सरकार को फटकार भी लगाई. अधिकारियों से कहा कि आप बुलडोजर लेकर रातों-रात किसी का घर नहीं गिरा सकते. बिना किसी नोटिस के किसी के घर में घुसकर उसे ध्वस्त कर देना अराजकता है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बिना नोटिस या समय दिए किसी का मकान सिर्फ मुनादी करावकर गिराने की प्रक्रिया सरकार और अफसरों की हिटलरशाही है. जहां कहीं भी ऐसा हो, वहां कानून का राज नहीं हो सकता.
यह मामला भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन-जजों की पीठ के समक्ष आया और इसमें जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल थे. पीठ ने राज्य के अधिकारियों की उनके ज्यादती भरे रवैये की आलोचना की.
"सीजेआई ने राज्य सरकार से याचिकाकर्ता को 25 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश देते हुए कहा, "यह पूरी तरह से मनमानी है. उचित प्रक्रिया का पालन कहां किया गया? हमारे पास हलफनामा है, जिसमें कहा गया है कि कोई नोटिस जारी नहीं किया गया, आप केवल मौके पर गए और लाउडस्पीकर के जरिए लोगों को सूचित किया."
इस पर न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला, ने कहा, "यह मनमानी है. आप बुलडोजर लेकर नहीं आ सकते और रातों-रात घर नहीं तोड़ सकते. आप परिवार को घर खाली करने का समय नहीं देते. घरेलू सामानों का क्या? उचित प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए. आप केवल ढोलकी कराकर लोगों से घर खाली करने और उन्हें ध्वस्त करने के लिए नहीं कह सकते. उचित नोटिस दिया जाना चाहिए."