दिल्ली/चंडीगढ़: बीजेपी ने लोकसभा उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट घोषित कर दी. इनमें हरियाणा की 6 सीटें भी शामिल हैं. हरियाणा के 6 नामों में बीजेपी ने तीन पुराने चेहरों पर भरोसा जताया है वहीं दो सांसदों का टिकट काट दिया गया है. सिरसा से सुनीता दुग्गल (Sunita Duggal) और करनाल से संजय भाटिया (Sanjay Bhatia) को टिकट नहीं मिला. ऐसी चर्चा पहले से थी की बीजेपी कुछ मौजूदा सांसदों का टिकट काट सकती है.
बीजेपी के 6 सीटों पर घोषित हुए उम्मीदवारों में सिरसा से पूर्व कांग्रेसी नेता और हाल ही में आम आदमी पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए अशोक तंवर को मैदान में उतारा गया है. फिलहाल इस सीट से सुनीता दुग्गल सांसद थीं. सिरसा अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट है. अशोक तंवर प्रदेश में बड़े दलित नेता हैं.
सुनीता दुग्गल का टिकट क्यों कटा: हरियाणा में काफी पहले चर्चा चल रही थी कि कई मौजूदा सांसदों का टिकट कट सकता है. जब बुधवार को बीजेपी की दूसरी लिस्ट आई तो सुनीता दुग्गल का नाम लिस्ट में नहीं था. बताया जा रहा है कि बीजेपी के इंटरनल सर्वे में सुनीता दुग्गल का प्रदर्शन अच्छा नहीं मिला था. सिरसा लोकसभा क्षेत्र में भी लोग उनसे बहुत ज्यादा खुश नहीं थे. लोगों की शिकायत थी कि वो सिरसा वासियों से मिलती नहीं हैं. वहीं राजनीतिक अनुभव की कमी भी उनके टिकट कटने की वजह में शामिल है.
सुनीता दुग्गल दिल्ली दौड़ लगा चुकी हैं: टिकट कटने के डर से सुनीता दुग्गल कई बार दिल्ली की दौड़ भी लगा चुकी हैं. हरियाणा बीजेपी के प्रभारी बिप्लब देब से भी उन्होंने मुलाकात की थी. सोशल मीडिया पर उनके टिकट कटने की चर्चा काफी लंबे समय से चल रही है. बताया जा रहा है कि अशोक तंवर के बीजेपी में शामिल होने का भी सुनीता दुग्गल ने विरोध किया था. इसकी बड़ी वजह ये है कि उन्हें पहले ही टिकट कटने के खतरे का एहसास हो चुका था क्योंकि अशोक तंवर भी एससी समुदाय से आते हैं और सिरसा एससी आरक्षित सीट है.
अशोक तंवर पर बीजेपी ने जताया भरोसा:दूसरी तरफ अशोक तंवर हरियाणा के पुराने नेता हैं. वो काफी समय से राजनीति में हैं और अनुसूचित जाति में उनकी अच्छी पहचान है. सिरसा एससी सीट है. अशोक तंवर 2009 से 2014 तक सिरसा सीट से सांसद रह चुके हैं. यही नहीं हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष रहे हैं. कांग्रेस से नाराज होकर अशोक तंवर ने पार्टी छोड़ दी और आम आदमी पार्टी का दामन थाम लिया था लेकिन हाल ही में उन्होंने AAP को छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए. उनके राजनीतिक जनाधार को देखते हुए ही शायद बीजेपी ने उन्हें सिरसा से उम्मीदवार बनाया है.