आचार संहिता उल्लंघन के मुकदमे के बारे में बताते मुख्य विकास अधिकारी अंकुर कौशिक. (वीडियो क्रेडिट; Etv Bharat) सुलतानपुर: सुलतानपुर जिले में आचार संहिता उल्लंघन मामले की पहली एफआईआर दर्ज हुई है. सपा प्रत्याशी और पूर्व मंत्री रामभुआल व सपा विधायक ताहिर खान समेत अन्य पर आचार संहिता उल्लंघन का केस धनपतगंज थाने में दर्ज हुआ है.
इन सभी पर अस्थाई पंचायत भवन पीरो सरैया में चुनावी प्रचार करने का आरोप लगा है. हालांकि इन सबके बीच प्रशासनिक कार्रवाई सवालों के घेरे में आ गई है. दरअसल वो इसलिए कि सी-विजल एप पर सोमवार को मामले की शिकायत हुई थी.
सोशल मीडिया पर खबर वायरल हुई, उसके बाद प्रशासन (FST) ने अपनी शुरुआती जांच में सपा विधायक और प्रत्याशी को क्लीनचिट दे दी थी. जिसको लेकर सूचना विभाग की तरफ से सूचना भी दी गई.
मामला बल्दीराय तहसील के पीरो सरैया ग्रामसभा में बनी अस्थायी पंचायत भवन का है. यहां 6 मई को सपा प्रत्याशी रामभुआल निषाद पर चुनावी जनसभा की वीडियो और फोटो सामने आई. इसकी शिकायत सोमवार को ही राजनीतिक लोगों ने ग्रामीणों से सी-विजिल एप के जरिए चुनाव आयोग से की थी.
इसके बाद ये खबर सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गई जिससे प्रशासन के हाथ पांव फूल गए थे. तत्काल जिला प्रशासन की ओर से एफएसटी टीम द्वारा जांच कराई गई. प्रथम जांच आख्या में अस्थाई पंचायत भवन में जनसभा नहीं होने की पुष्टि कर दी गई.
लेकिन, बुधवार को धनपतगंज थाने में सपा प्रत्याशी पूर्व मंत्री रामभुआल निषाद, सपा विधायक ताहिर खान समेत अज्ञात पर आचार संहिता उल्लंघन का मामला दर्ज कर लिया गया. एसडीएम बल्दीराय विदुषी सिंह ने बताया कि जांच में पुष्टि हुई है. मुख्य विकास अधिकारी अंकुर कौशिक ने बताया कि ARO की जांच में मामला सही पाया गया है और मुकदमा दर्ज कर लिया गया है.
मामले में सपा विधायक ताहिर खान ने कहा है कि इसौली विधानसभा क्षेत्र के पीरोसरैया में ग्रामीणों के रोकने से सपा प्रत्याशी राम भुआल निषाद ने अल्प ठहराव किया था. नागरिक स्ट्रीट लाइट की मांग कर रहे थे. जिस पर चुनाव के बाद लाइट लगवाने का आश्वसन दिया गया है.
उन्होंने कहा कि पंचायत भवन से चुनाव से संबंधित प्रचार सामग्री नहीं वितरित की गई. ना ही लाउडस्पीकर से अनाउंस किया गया. ताहिर ने कहा पार्टी कार्यकर्ता और पदाधिकारी की तरफ से आचार संहिता का उल्लंघन नहीं किया गया है.
उन्होंने कहा अगर हम दोषी हैं तो प्रशासन ने पंचायत सचिव, सहायक व प्रधान पर कार्रवाई क्यों नहीं की. वो सभी भी दोषी हैं. अगर ये आचार संहिता का उल्लंघन है तो उन्होंने हमें वहां जाने ही क्यों दिया, रोका क्यों नहीं गया.
बड़ा सवाल तो ये है कि जिस मामले में प्रशासन ने क्लीन चिट सोमवार को दे दी थी तो उसी मामले में रिपोर्ट देने वाले पर कार्रवाई क्यों नहीं और ग्राम पंचायत अधिकारी और सचिव पर कार्रवाई क्यों नहीं.
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