पटना: बिहार के युवा पूरे विश्व में परचम लहरा रहे हैं. देश हो या विदेश अपनी मेहनत और आत्मबल की छाप छोड़ रहे हैं. नवयुवक उद्योगपति नवनीत कुमार सिंह इन्हीं में से है. बेगूसराय में बचपन बिताया, बेंगलुरु में उच्च शिक्षा ग्रहण की और आज एक सफल उद्यमी हैं. आइये आपको बताते हैं कैसा रहा नवनीत कुमार सिंह का सफर.
बेगूसराय में बीता बचपन:बेगूसराय के मोहनपुर गांव में नवनीत कुमार सिंह का बचपन बीता. नवनीत कुमार सिंह ने बताया कि 4 साल की अवस्था में उनके पिताजी उन लोगों को लेकर गांव से बेगूसराय शहर में शिफ्ट हो गए. वहीं उनके फूफा जी का एक प्राइवेट स्कूल विद्या मंदिर चलता था. कक्षा 6 तक की पढ़ाई इस स्कूल में नवनीत सिंह की हुई. कक्षा 7 में उनका नामांकन केंद्रीय विद्यालय में हो गया.
10वीं तक असम में पढ़े: नवनीत की मां केंद्रीय विद्यालय में शिक्षिका हैं. उनकी मां का ट्रांसफर असम के मिसामारी केंद्रीय विद्यालय में हो गया था. वहीं पर केंद्रीय विद्यालय में नवनीत सिंह का नामांकन हुआ और 10वीं तक की पढ़ाई उन्होंने असम में केंद्रीय विद्यालय में ही की. इसके बाद उनकी मम्मी का ट्रांसफर बेगूसराय हो गया और 12वीं की पढ़ाई उन्होंने केंद्रीय विद्यालय बेगूसराय से पूरी की.
पिताजी कॉलेज में प्रोफेसर: नवनीत के पिताजी का बेगूसराय में मेडिकल का दुकान था. इसके अलावा वह एक वित्त रहित कॉलेज में प्रोफेसर भी थे. शुरू में वित्त रहित कॉलेज की स्थिति अच्छी नहीं थी, लेकिन बाद में वह कॉलेज का सरकारी कारण हो गया और उनके पिताजी एमआरजेडी कॉलेज के प्राध्यापक हुए.
उच्च शिक्षा के लिए बेंगलुरु गए: प्लस टू करने के बाद नवनीत सिंह को आगे की पढ़ाई के लिए उनके पिताजी ने उनका नामांकन बेंगलुरु में करवाया. एमएस रमैया कॉलेज में उनका नामांकन ग्रेजुएशन में करवाया गया. इस कॉलेज से उन्होंने एमबीए की डिग्री भी हासिल की. एमबीए की डिग्री हासिल करने के बाद उन्होंने नौकरी करने का फैसला किया.
6 साल तक की नौकरी: 2011 में नवनीत कुमार सिंह को फ्लिपकार्ट में नौकरी लगी. एमबीए करने के कारण उनको एचआर डिपार्टमेंट में नौकरी मिली. 24000 वेतन पर उन्होंने फ्लिपकार्ट में काम करना शुरू किया. 4 साल फ्लिपकार्ट में नौकरी की. इसके बाद ओला में और बाद में स्विगी कंपनी में उन्होंने नौकरी की. कुल 6 साल तक उन्होंने बेंगलुरु में नौकरी की.
कंपनी खोलने का निर्णय: नवनीत कुमार सिंह ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि, 6 वर्ष तक नौकरी करने के बाद अचानक उनके मन में अपना काम शुरू करने का ख्याल आया. चुंकी वह हर डिपार्टमेंट में रिक्रूटर था. मैं देखता था कि लोग नौकरी के लिए कंपनी में आते हैं, इंटरव्यू देते हैं. कंपनी को अपने मन मुताबिक एंप्लॉय नहीं मिलता था.
''जब अपने परिपेक्ष में देखा तो हूं, सारे ऐसे लड़के हैं जो नौकरी की तलाश में हैं और उनको नौकरी नहीं मिल रही है. यदि मिलती भी थी तो मन मुताबिक काम नहीं मिलता था और कम सैलरी में नौकरी मिलती थी. वहीं से मन में यह ख्याल आया कि जो काम हम किसी कंपनी के लिए बैठकर कर रहे हैं, क्यों नहीं अपनी कंपनी खोल के लोगों के लिए यह काम करें.''- नवनीत कुमार सिंह, युवा उद्योगपति
3 लाख 75 हजार रुपये से शुरुआत: नवनीत कुमार सिंह ने नौकरी से इस्तीफा दे दिया और खुद की कंपनी खोलने का निर्णय लिया. कंपनी खोलने में बहुत पैसे की जरूरत होती है, लेकिन उनके पास कुल जमा पूंजी 3 लाख 75 हजार ही थी. उसमें भी कुछ पैसे पत्नी के जमा किए हुए उन्होंने लिए. 3,75000 से उन्होंने अपनी कंपनी की शुरुआत बेंगलुरु में की. जब कंपनी की शुरुआत हो गई तब उनके तीन दोस्तों ने जो पहले से नौकरी कर रहे थे, उन्होंने कुछ पूंजी इस कंपनी में लगाई. इस तरीके से कुछ दिनों के बाद कंपनी की कुल पूंजी 15 लाख रुपए हुई.
'अवसर' की शुरुआत: नवनीत कुमार सिंह ने अवसर नाम की कंपनी का रजिस्ट्रेशन करवाया. 2016 में बड़ी मशक्कत के बाद कंपनी को 'अवसर' नाम मिला. उन्होंने बेंगलुरु में विधिवत कंपनी का ऑफिस खोला.
''कंपनी खोलना एक बहुत बड़ी चुनौती थी, क्योंकि अच्छी खासी नौकरी छोड़कर अपने बदौलत इस मार्केट में अपने आप को साबित करना किसी चुनौती से कम नहीं होती है. यही कारण था कि जिन दोस्तों ने मेरी मदद की, वह भी कंपनी के साथ नहीं जुड़े. वह अपना नौकरी पहले की कंपनी में करते रहे. हालांकि जब कंपनी मार्केट में काम करना शुरू कर दिया तो बाद में जाकर दोस्तों ने इस कंपनी को ज्वाइन किया.''-नवनीत कुमार सिंह, युवा उद्योगपति
'माता पिता से छुपा कर कंपनी खोली':नवनीत कुमार सिंह ने बताया कि चुंकि मम्मी और पिताजी दोनों अध्यापक थे. इसीलिए जब उन्होंने अपनी कंपनी खोलने का निर्णय लिया तो उन्होंने मम्मी-पापा को इसकी जानकारी नहीं दी. उनको इस बात का अंदेशा था कि यदि नौकरी छोड़कर बिजनेस की बात बताएंगे, तो वह लोग इसके लिए तैयार नहीं होंगे. दूसरी बात जब वह नौकरी कर रहे थे इसी बीच में उनकी शादी हो गई थी और शादी होने के बाद यदि नौकरी छोड़कर कोई नया रिस्क ले इसके लिए परिवार राजी नहीं होता. लेकिन उनके कंपनी खोलने के निर्णय में उनकी पत्नी ने बहुत सपोर्ट किया.