जयपुर. कलयुग के खात्मे के साथ ही नए दौर की शुरुआत हिंदू धार्मिक मान्यताओं में लिखी, पढ़ी और बताई जाती है. इसके साथ ही भगवान विष्णु के कल्कि अवतार का जिक्र भी होता है, जो कलयुग के दौर में पाप का नाश कर एक बार फिर पृथ्वी पर रामराज्य की स्थापना के लिए लौटेंगे. जयपुर में 250 साल से ज्यादा पुराने कल्कि मंदिर से जुड़ी भी कुछ मान्यताएं और चर्चाएं हैं. इन मान्यताओं में कल्कि अवतार के साथ एक पीले संगमरमर का अश्व भी जुड़ा है और दोनों के साथ जुड़ी है एक दिलचस्प कहानी, जिसके पूरा होने के साथ ही धरती पर भगवान विष्णु के 10वें अवतार कल्कि अवतरित होंगे.
श्रावण मास में शुक्ल पक्ष की षष्ठी को होगा अवतरण: श्रीमद् भागवत गीता में कहा गया है कि 'जब जब धर्म की हानि होगी, अधर्म का बोलबाला होगा, तब तब धर्म की स्थापना के लिए भगवान विष्णु अवतार लेंगे.' मान्यता है कि कलयुग में पाप की सीमा पार होने पर दुष्टों का संहार करने के लिए भगवान कल्कि अवतरित होंगे. यही नहीं कुछ ग्रंथों में तो उनके अवतरण का दिन भी निश्चित है, जिसके अनुसार श्रावण मास में शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को भगवान कल्कि अवतार लेंगे. हालांकि, उनके अवतरण से पहले ही जयपुर के संस्थापक सवाई जयसिंह द्वितीय ने 1739 में यहां भगवान कल्कि के मंदिर का निर्माण करा दिया था.