लखनऊ :लखनऊ के फलपट्टी क्षेत्र में बागवानी के शौकीनों के लिए फलों और फूलों की ही नहीं, बल्कि ऐसी कई वनस्पतियां उपलब्ध हैं, जिसकी वह उम्मीद करते हैं. चूंकि यह क्षेत्र आम के लिए प्रसिद्ध है. इसलिए यहां के बागवान अपनी नर्सरी में सबसे ज्यादा आम की प्रजातियां रखते हैं. इनमें देश की मशहूर प्रजातियां ही नहीं, बल्कि ऑस्ट्रेलिया, थाईलैंड व अन्य तमाम देशों में मशहूर आम की प्रजातियां भी यहां मिलती हैं. इसके अलावा गर्मी के मौसम में उत्तर प्रदेश जैसे जलवायु वाले इलाकों के लिए अनुकूल सेब, लीची, आडू, चीकू सहित मसालों की तमाम वनस्पतियां भी यहां की नर्सरियों में उपलब्ध हैं.
मलिहाबाद में नर्सरी चलाने वाले जुबैर बताते हैं कि यहां विशेष रूप से आम की प्रसिद्ध मियां जकी, किंग ऑफ चकापत, बनाना मैंगो, चिली मैंगो, बुर्नैकिंग, ऑस्टिन मैंगो, पूसा अरुणिमा, पूसा लालिमा, पूसा अरुणिका, थाईलैंड की थ्री टेस्ट, इरविन और रेड आईबेरी प्रजातियां लोगों लोगों को बहुत भाती हैं. यहां दूर-दूर से लोग इन प्रजातियों की पौध लेने के लिए आते हैं. इन प्रजातियों के फल रंगीन और अलग-अलग आकारों में होने के साथ ही स्वाद में भी अनूठे होते हैं. ऐसे में इनकी कीमतें भी सामान्य आम के मुकाबले कई गुने अधिक मिलती हैं. यही कारण है कि बागवान ऐसी किस्में लगाना बेहतर समझते हैं.
जुबैर बताते हैं कि यहां सबसे ज्यादा पसंद किया जाने वाला बनाना मैंगो का फल देर से तैयार होता है. यह खाने में बेहद जायकेदार और देखने में केले की तरह एकदम पीला होता है. शुगर के मरीजों के लिए भी कुछ किस्में बहुत ही लोकप्रिय हैं. इनमें टॉमी एक्टिंस और सेंसेशन आम ऐसी ही प्रजातियां हैं जो बहुत कम मिठास लिए होती हैं और शुगर के रोगियों के लिए नुकसानदेह नहीं होती हैं. इन प्रजातियों के आम काफी टिकाऊ भी होते हैं. इसलिए इस प्रजाति के आमों को विदेश भेजना भी आसान होता है, क्योंकि यह जल्दी खराब भी नहीं होते हैं.