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आज भी बिहार के इस गांव में बसते हैं श्रीकृष्ण! उनके बांसुरी की धुन सुन मंत्रमुग्ध हो जाते हैं पशुपालक - Krishna Janmashtami 2024

Kanhaiya Sthan In Dhanrua: पटना के धनरूआ में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को लेकर कास तैयारी की जा रही है. यहां के विजयपुरा गांव स्थित कन्हैया स्थान में 53 दिनों तक रासलीला का आयोजन किया जाता है. जिसे लेकर जन्माष्टमी के मौके पर दूर-दूर से लोग इस मंदिर पर पूजा करने आते हैं. पढ़ें पूरी खबर.

KRISHNA JANMASHTAMI 2024
विजयपुरा गांव स्थित कन्हैया स्थान (ETV Bharat)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Aug 24, 2024, 5:03 PM IST

पटना: राजधानी पटना से सटे धनरूआ का एक ऐसा गांव है, जहां आज भी भगवान श्रीकृष्ण की बांसुरी की आवाज लोगों को सुनाई देती है. कहा जाता है, सुबह गाय चराने के लिए गाय पालक जब निकलते हैं, तो उन्हें कभी पायल, कभी घुंघरू तो कभी बांसुरी की आवाज सुनाई देती है. आस्था और पूरे विश्वास के साथ यहां के ग्रामीण आज इस गांव में श्रीकृष्ण के होने की बात पर विश्वास करते हैं.

श्रीकृष्ण छेड़ते हैं बांसुरी की मधुर तान: राजधानी पटना से सटे 35 किलोमीटर की दूरी पर मसौढ़ी अनुमंडल के धनरूआ प्रखंड के विजयपुरा गांव में आज भी भगवान श्रीकृष्ण की बांसुरी की सुरीली आवाज सुनाई देती है. गांव के लोगों का ऐसा मानना है कि यहां भगवान श्रीकृष्ण बांसुरी की मधुर तान छेड़ते हैं, जिसे आज भी सुना जा सकता है. हालांकि संभव नहीं है कि यह सुरीली आवाज हर किसी को सुनाई दे, जिनकी आस्था और कृष्ण भक्ति दिलों में बसी है, वही इसे सुन सकते हैं.

धनरूआ का कन्हैया स्थान (ETV Bharat)

कैसे रखा गया गांव का नाम?: विजयपुरा गांव के स्थानीय संतोष कुमार सिंह ने बताया कि उनके पूर्वजों का कहना है कि विजयपुरा गांव में भगवान श्रीकृष्ण जब पांडवों के साथ जरासंध पर विजय पाकर लौट रहे थे, तो यहां पर रात में विश्राम किया था. इसके अलावा भगवान श्रीकृष्ण जब रुक्मणी हरण कर लौट रहे थे, तो यहीं पर उनका ठहराव हुआ था, इसलिए शायद इस गांव का नाम वृजपुरा से विजयपुरा रखा गया होगा.

जन्माष्टमी पर खास तैयारी:वहीं देशभर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को लेकर हर्षोल्लास का माहौल है. ऐसे में धनरूआ प्रखंड के विजयपुर गांव स्थित कन्हैया स्थान में जन्माष्टमी को लेकर भी तैयारी की जा रही है. यहां जन्माष्टमी पर दूर-दूर से लोग इस मंदिर में अपनी आस्था और मन्नतें मांगने के लिए आते हैं. बताया जाता है कि विजयपुरा पंचायत स्थित कन्हैया स्थान में आज भी भगवान श्री कृष्ण की बांसुरी की सुरीली आवाज लोगों को सुनाई पड़ती है.

गांव का नाम है विजयपुरा गांव (ETV Bharat)

यहां होता है भव्य रासलीला का आयोजन: कहानी यह भी है कि इसी गांव के बंगाली दास जब भगवान श्री कृष्ण से मिलने के लिए वृंदावन जा रहे थे तो भगवान ने बीच रास्ते में ही उन्हें कुष्ठ रोगी के रूप में मिलकर दर्शन दिए थे. पहले तो श्रीकृष्ण ने उनकी परीक्षा ली थी, जिसके बाद उन्होंने दर्शन दिए थे. बताया जाता है कि जब बंगाली दास ने वृंदावन से मिट्टी लाकर यहां पर पिंडी बनाकर पूजा अर्चना शुरू की, तब से लेकर आज तक यहां पर रासलीला का भव्य कार्यक्रम किया जाता है.

जानें बाबा प्रेम भगत की कहानी (ETV Bharat)

53 दिनों तक होती है रासलीला: ग्रामीणों की मानें तो रासलीला कब से यहां शुरू हुई है, आज तक किसी को नहीं पता है. तकरीबन सैकड़ों सालों से यहां पर रासलीला का कार्यक्रम किया जाता है. यहां तक कि पूरे भारत में तीन जगह पर ही सबसे ज्यादा दिनों तक रासलीला का आयोजन होता है. जिसमें बिहार के पटना के धनरूआ प्रखंड का यह विजयपुरा गांव भी है, जहां पर 53 दिनों तक रासलीला का कार्यक्रम किया जाता है.

यहां श्री कृष्ण की सुनाई देती है बांसुरी (ETV Bharat)

"विजयपुरा गांव में भगवान श्रीकृष्ण जब पांडवों के साथ जरासंध पर विजय पाकर लौट रहे थे, तो यहां पर रात्रि विश्राम किया था. इसके अलावा भगवान श्रीकृष्ण जब रुक्मणी हरण कर लौट रहे थे, तो यहीं पर उनका ठहराव हुआ था. इसी वजह से गांव का नाम वृजपुरा से विजयपुरा रखा गया होगा."-संतोष कुमार सिंह, स्थानीय

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