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ETV BHARAT AMRIT: चैत्र नवरात्र का पांचवां दिन आज, मां स्कंदमाता की पूजा से भरती है सूनी गोद - Chaitra Navratri 2024

नवरात्रि के पांचवे दिन मां स्कंदमाता की पूजा होती है. पहाड़ों पर रहने वाली और सांसारिक जीवों में नवचेतना का बीज बोने वाली देवी को ही मां स्कंदमाता कहते हैं. मान्यता है देवी स्कंदमाता की उपासना से महिलाओं की सूनी गोद भर जाती है और जीवन में खुशियों का संचार होता है.

मां स्कंदमाता की पूजा
मां स्कंदमाता की पूजा

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Apr 13, 2024, 6:37 AM IST

बीकानेर.चैत्र नवरात्रि का आज पांचवां दिन है. आज जगतजननी मां दुर्गा के स्कंदमाता स्वरूप की आराधना होती है. मां स्कंदमाता की पूजा करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूरी होती हैं. मां स्कंदमाता की पूजा से शत्रु विजय के साथ ही निःसंतान लोगों को संतान सुख की भी प्राप्ति होती है.

खीर और मालपुआ का भोग : पञ्चांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि साधक को भी पूजा करते समय विशेष तौर पर ख्याल रखना चाहिए. शुद्ध मन से और अपने सामर्थ्य अनुसार देवी को लगाए गए भोग का फल मिलता है. देवी को भी वो भोग स्वीकार होता है लेकिन यदि पसंद की बात करें तो देवी को खीर, मालपुआ का भोग लगाना श्रेयस्कर होगा. इसका उल्लेख हमारे शास्त्रों में भी मिलता है. वहीं ऋतुफल में केला देवी की पसंद है.

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कुमुद पुष्प पसंद : पंडित किराडू कहते हैं वैसे तो पूजन में प्रयुक्त होने वाले सभी प्रकार के पुष्पों का अपना महत्व है. देवी को सभी प्रकार के पुष्प अर्पित किए जाते हैं लेकिन शास्त्रसम्मत बात करें तो स्कंदमाता के पूजन में कुमुद के पुष्प से पूजन अर्चन और मंत्र अर्चन करना उत्तम होता है. कुमुद पुष्प देवी को अति प्रिय होता है.

भगवान कार्तिकेय की मां स्कंदमाता : पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि स्कंद भगवान कार्तिकेय का दूसरा नाम है और मां को अपने बेटे के नाम से पुकारा जाना प्रिय है इसलिए इनका नाम स्कंदमाता के रूप में प्रचलित हुआ. प्रथम दिन माता शैलपुत्री का पूजन होता है और उन्हें पार्वती का स्वरूप माना जाता है और पांचवें दिन स्कंद माता का पूजन होता है और वह भी पार्वती का ही स्वरूप हैं.

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