नई दिल्ली: "यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत. अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्. परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्. धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे."...गीता का यह श्लोक दिल्ली की तिहाड़ जेल में खूब गूंज रहा है. जेल में बंद कैदी इन दिनों भगवत गीता पढ़ रहे हैं. दिल्ली सरकार में सीनियर मेडिकल अफसर डॉ. सौरभ हयाना ने बताया कि इन दिनों वह तिहाड़ जेल में कार्यरत हैं. यहां जेल में खूंखार अपराधियों और आरोपियों को रखा गया है. जेल में उनकी काउंसलिंग की जाती है. दवाओं के साथ भगवत गीता का भी सहारा लिया जा रहा है.
कैदी भी भगवत गीता पढ़कर हृदय परिवर्तन कर रहे हैं
डॉ. सौरभ हयाना ने बताया कि भगवान कृष्ण ने अर्जुन को कुरुक्षेत्र में महाभारत के युद्ध के दौरान उपदेश दिया था, जिसे हिंदू धर्म में श्रीमद भगवत गीता के नाम से जाना जाता है. गीता में भगवान कृष्ण के उपदेशों का विस्तार से वर्णन किया गया है. गीता में दिए गए भगवान कृष्ण के उपदेश आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं और व्यक्ति को जीवन जीने की सही राह दिखाते हैं. दिल्ली के जेल में बंद कैदी भी अब भगवत गीता पढ़कर हृदय परिवर्तन कर रहे हैं. वे गुनाहों का रास्ता छोड़कर सच्चाई के मार्ग पर चलने की बातें कर रहे हैं.