हजारीबाग: देशभर में टीबी उन्मूलन को लेकर व्यापक अभियान चलाया जा रहा है. टीबी को समाप्त करने के लिए 2025 का लक्ष्य रखा गया है, लेकिन हजारीबाग जिले में टीबी उन्मूलन कैसे होगा आज यह बड़ा सवाल बन गया है. पिछले तीन महीने से हजारीबाग स्वास्थ्य केंद्रों में टीबी की दवा की कमी देखी जा रही है. आलम यह है कि सिविल सर्जन डॉक्टर सरयू राय ने राज्य को टीबी की दवा उपलब्ध कराने के लिए कई बार पत्राचार किया, लेकिन जिस अनुपात में टीबी की दवा हजारीबाग को मिलनी चाहिए थी, वह नहीं मिल पाई है.
हजारीबाग को नहीं उपलब्ध करायी गई पर्याप्त दवाई
राज्य की ओर से सिविल सर्जन को निर्देश भी निर्गत किया गया था कि स्थानीय स्तर पर दवा की खरीदारी कर लें. इस संबंध में हजारीबाग के सिविल सर्जन डॉ सरयू राय बताते हैं कि चुनाव को लेकर दवा की उपलब्धता नहीं हो रही है. केंद्र सरकार और राज्य सरकार के पदाधिकारी चुनाव कार्य में व्यस्त हैं. इस कारण जिस मात्रा में दवा की उपलब्धता होनी चाहिए, वह नहीं हो पा रही है. पिछले दिनों हजारीबाग में दवा नहीं के बराबर थी. राज्य की ओर से 380 मरीजों के लिए दवा उपलब्ध कराई गई है.
बीच में दवा छोड़ने पर टीबी मरीजों को हो सकती है परेशानी
कोल डस्ट, स्टोन डस्ट, भट्ठे की छाई टीबी को बढ़ाने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं. जिनके घर में टीबी के मरीज हो उन्हें सर्वाधिक खतरा रहता है. सबसे अच्छी बात है कि संक्रमित मरीज जब दवा लेना प्रारंभ कर देते हैं तो वह दूसरों को संक्रमित नहीं कर पाते. लेकिन इलाज के बीच में दवाई छोड़ देना टीबी उन्मूलन में सबसे बड़ी बाधा है. चिकित्सक भी बताते हैं कि इलाज के बीच में दवा छोड़ना यह बेहद चिंताजनक हो जाता है.टीबी मरीज के लिए सबसे जरूरी यह होता है कि वह दवा हमेशा लेते रहे. तभी इस बीमारी से मुक्ति मिल सकती है.
जिले में 1000 से अधिक हैं टीबी मरीज, पर 380 मरीजों को ही दवा उपलब्ध
यहां यह सवाल खड़ा होता है कि जिले में 1000 से अधिक संक्रमित मरीज हैं, लेकिन राज्य की ओर से महज 380 मरीजों के लिए दवा उपलब्ध करायी गई है. ऐसे में शेष मरीजों को कैसे दवा उपलब्ध कराई जाएगी और हजारीबाग कैसे टीबी मुक्त होगा.