जबलपुर: हाई कोर्ट ने कांग्रेस के राज्यसभा सांसद विवेक तंखा की मानहानि के मुकदमे में शिवराज सिंह चौहान, वीडी शर्मा और भूपेंद्र सिंह की याचिका खारिज कर दी है. अब तीनों नेताओं को मुकदमे में बयान दर्ज कराने के लिए जबलपुर आना होगा. भाजपा नेताओं ने इस मुकदमे के ट्रायल को खत्म करने के लिए मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. लेकिन कोर्ट ने इनके खिलाफ फैसला दिया.
भाजपा नेताओं पर गलत बयानबाजी का आरोप
अन्य पिछड़ा वर्ग को आरक्षण के मामले में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका शिवराज सरकार के दौरान दायर की गई थी. सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में याचिका की सुनवाई के दौरान कांग्रेस नेता और सीनियर एडवोकेट विवेक तंखा भी मौजूद थे. तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और तत्कालीन कैबिनेट मंत्री भूपेंद्र सिंह पर आरोप हैं कि उन्होंने अपने भाषणों में इस बात का जिक्र किया कि विवेक तंखा की वजह से अन्य पिछड़ा वर्ग को 28% आरक्षण नहीं मिला.
इस घटनाक्रम के तुरंत बाद विवेक तंखा ने तीनों भाजपा नेताओं को माफी मांगने और अपना बयान वापस लेने के लिए कहा. लेकिन इन नेताओं ने बयान वापस नहीं लिया. लिहाजा विवेक तंखा ने इनके खिलाफ 10 करोड़ रु की मानहानि का मुकदमा जबलपुर की जिला अदालत में दायर कर दिया. विवेक तंखा ने इस मामले में कपिल सिब्बल को अपना वकील बनाया है और अदालत में अपने बयान दर्ज कराए हैं. शिवराज सिंह चौहान, भूपेंद्र सिंह और वीडी शर्मा की ओर से मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में बीते दिनों एक याचिका लगाई थी. जिसकी सुनवाई सितंबर में हुई थी. इसमें इन तीनों नेताओं ने इस ट्रायल को रोकने की मांग की है.
शुक्रवार को इस मामले में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए शिवराज सिंह चौहान, वीडी शर्मा और भूपेंद्र सिंह की याचिका खारिज कर दी. कोर्ट ने कहा है कि इस मामले में ट्रायल को रोका नहीं जा सकता और निचली अदालत में ट्रायल जारी रहेगी. जिसकी तारीख जिला अदालत तय करेगी.