शिवपुरी। लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने गुना-शिवपुरी सीट से राव यादवेंद्र यादव को चुनाव मैदान में उतारा है. जहां गुना-शिवपुरी में राव यादवेंद्र यादव बीजेपी के प्रत्याशी ज्योतिरादित्य सिंधिया को टक्कर देंगे. वहीं प्रत्याशी बनने के बाद राव यादवेंद्र यादव ने तेजी से अपना प्रचार शुरू कर दिया है. इसी क्रम में राव यादवेंद्र यादव पहली बार कोलारस और बदरवास पहुंचे. इस दौरान कांग्रेस प्रत्याशी के साथ कांग्रेस विधायक व पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह भी शिवपुरी पहुंचे. इस दौरान जयवर्धन सिंह ने कार्यकर्ताओं के साथ चुनावी रणनीति पर चर्चा की. साथ ही बीजेपी और केंद्रीय मंत्री सिंधिया पर हमला भी बोला.
सिंधिया के सामने कृष्ण के वंशज
राघौगढ़ विधायक जयवर्धन सिंह ने सिंधिया पर हमला बोलते हुए कहा कि 'जो सिंधिया को हरा कर जीत कर आए थे, भाजपा ने उन्हें घर बैठा दिया. इसकी वजह शायत यह हो सकती है कि सिंधिया ने साल 2020 में कांग्रेस छोड़ने से पहले ही भाजपा से इस पर चर्चा कर ली थी. वहीं उन्होंने कहा कि जो परिणाम 2019 में सिंधिया के सामने आया था. अब एक बार फिर वही परिस्थति बनी है. केंद्रीय मंत्री सिंधिया के सामने भगवान कृष्ण के वंशज खड़े हुए हैं. जयवर्धन सिंह वीरेंद्र रघुवंशी को सुदामा बताते हुए कहा कि पहले सुदामा के रूप में वीरेंद्र रघुवंशी सांसद केपी यादव के साथ चले थे. अब फिर एक बार वीरेंद्र रघुवंशी राव यादवेंद्र सिंह के लिए सुदामा बनेगे.'
सिंधिया को बताया अहंकारी, बोले जनता से हार का बदला लेने आये
इसके बाद राव यादवेंद्र यादव ने भी बीजेपी प्रत्याशी ज्योतिरादित्य सिंधिया पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा 'भारत भले ही 1947 में आजाद हुआ, लेकिन हमारा क्षेत्र 2019 में मुश्किल से आजाद हो पाया था. जनता ने मन बनाकर एक किसान के बेटे को सांसद चुना था. इधर वह जनता को गुलाम समझते थे. इस बात से उन्हें बड़ी तखलीफ हुई कि जनता के बीच का एक किसान उनका गुलाम कैसे जीत गया. इस हार से सिंधिया के अहंकार को चोट पहुंची थी. इसका बदला लेने के लिए सिंधिया ने जनता द्वारा चुनी गई सरकार को गिराकर दूसरी पार्टी का दामन थाम उसमें पहुंच गए. इसके बाद सिंधिया ने पांच साल तक किसान के बेटे को सांसदी नहीं करने दी, उन पर झूठे केस भी लगवाए और अब उसी किसान के बेटे (डॉ केपी यादव) का टिकट कटवाकर खुद आ गए. जबकि सिंधिया खुद राज्यसभा सांसद थे केंद्रीय मंत्री थे. इसके बावजूद उन्होंने अपना कार्यकाल पूरा न करते हुए जीते जिताये सांसद का टिकट कटवा कर यहां से चुनाव लड़ने आ गए.'
रावण शक्ति शाली राजा था फिर भी राम से हारा
राव यादवेंद्र सिंह यादव ने अपने इस चुनाव को महाभारत से जोड़ते हुए कहा कि 'महाभारत के युद्ध में भले ही पांच पांडव थे और कौरवों सैकड़ों की संख्या में थे. लेकिन सच्चाई जीत की हुई. वहीं उन्होंने कहा कि रावण शक्तिशाली राजा था, जबकि भगवान राम ने बानर-भालू की छोटी सी सेना के साथ मिलकर युद्ध लड़ा था. परिणाम भी आपकी सामने है. उन्होंने कहा कि जनता को धोखे में रखकर सरकार में आये जो वादे किसानों से किए वह भी पूरे नहीं किए. काठ की हांडी एक बार चढ़ती है, बार बार नहीं चढ़ती इस बार जनता उन्हें फिर सबक सिखाएगी.'